दिसम्बर 2014 में केंद्रीय सरकार से एक राजपत्रित अधिकारी पद से रिटायर होते समय मैं अपने कमजोर होते स्वास्थ्य के प्रति चिंतित था ! बढ़िया भोजन से एसिडिटी, मोटापा, बढ़ा हुआ बीपी , एबनॉर्मल हार्ट रेट , कब के जाम हुए खांसते फेफड़े , कब्ज़ और चलते हुए हांफना सामान्य था ! विद्यार्थी जीवन से लेकर शानदार नौकरी से रिटायर होते समय तक शायद ही कभी पसीना बहाया होगा ! एक किलोमीटर दूर जाने के लिए रिक्शा के बिना जाना असम्भव था यहाँ तक कि मॉल में घूमते हुए भी थोड़ी देर में थक जाता था !
ऎसी स्थिति में विधि ने मुझे सुझाव दिया कि पापा ढाई महीने बाद मिलेनियम हाफ मैराथन हो रही है क्यों न आप और मैं उसमें भाग लें , तैयारी के लिए आप 45 मिनट वाक् करते हुए अंत में थोड़ा दौड़ा करिये और आपको धीरे धीरे दौड़ना आ जाएगा और मेरी झिझक के बावजूद उसने अपने साथ मेरा रजिस्ट्रेशन करा दिया !
1नवंबर २०१५ को होने वाली हाफ मैराथन जिसे मशहूर धावक एवं उस समय के आयरन मैन अभिषेक मिश्रा करा रहे थे , की तैयारी शुरू करने से पहले, मैंने अपने ब्लॉग और फेसबुक मित्रों में घोषणा कर दी थी कि मैं हाफ मैराथन दौड़ने जा रहा हूँ ! इससे मैंने अपने आपको मानसिक तौर पर प्रतिबद्ध कर लिया ताकि कमजोर मन आदि कारणों के होते मैं इससे बाहर न निकल पाऊं !
1 नवंबर 2015 को आखिर वह दिन आ गया जब मैं अपने जीवन की पहली दौड़ में भाग रहा था ,मेरा बेटा गौरव मेरी और विधि की हिम्मत बांधने के लिए साइकिल से पूरे रुट पर साथ साथ था जो लगातार हमारी हिम्मत बंधा रहा था !आधा दूरी पार करने में मैंने लगभग 82 मिनट लिए थे , यू टर्न लेते समय मैं अपने आप से कह रहा था यहाँ तक आ तो गए हो अब बापस कैसे जाओगे मगर रास्ते में अपने से कमजोर महिलाओं और पुरुषों को भी दौड़ते देख, हिम्मत आ गयी और जैसे तैसे दौड़ता रहां, आखिरी 5 किलोमीटर मेरे लिए पहाड़ जैसे लग रहे थे , पैर बुरी तरह थक कर ठोस हो रहे थे आखिरी दो किलोमीटर में बेटा बार बार मुझे दौड़ने के लिए कह रहा था जब भी वह मुझे पैदल चलता देखता तो कहता कि बस थोड़ा ही और बचा है ! आखिरी किलोमीटर पर बज रहे नगाड़े मुझे मीलों दूर लग रहे थे मगर बेटे का वहां होना मुझे दौड़ने को लगातार प्रेरित कर रहा था !और आखिर में जब मैंने दौड़ते हुए फिनिश लाइन को पार किया उस समय गौरव साइकिल पर मेरा वीडियो बना रहे थे कि उसके पिता ने 61 वर्ष की उम्र में ३ घंटे से कम समय में हाफ मैराथन पूरी कर ली और उस समय तक मुझे यकीन नहीं हो रहा था कि एक किलोमीटर भी न चलने वाला मैं वाकई ३ घंटे तक लगातार दौड़ चुका हूँ !
जब थके हुए पैरों से लड़खड़ाते हुए घर की सीढिया चढ़ रहा था तो मन एक जबरदस्त आत्म विश्वास से भरा हुआ था कि मैं इस उम्र में भी जवानों के साथ लम्बी दौड़ें, दौड़ सकता हूँ !
जब थके हुए पैरों से लड़खड़ाते हुए घर की सीढिया चढ़ रहा था तो मन एक जबरदस्त आत्म विश्वास से भरा हुआ था कि मैं इस उम्र में भी जवानों के साथ लम्बी दौड़ें, दौड़ सकता हूँ !
सार्थक प्रेरक लेखन.....अंतरराष्ट्रीय हिन्दी ब्लॉग दिवस पर आपका योगदान सराहनीय है. हम आपका अभिनन्दन करते हैं. हिन्दी ब्लॉग जगत आबाद रहे. अनंत शुभकामनायें. नियमित लिखें. साधुवाद.. आज पोस्ट लिख टैग करे ब्लॉग को आबाद करने के लिए
ReplyDelete#हिन्दी_ब्लॉगिंग
Aapke daudne se mujhe bhi inspiration milti hai, Main bhi bas sochte rah jaata hoon daudne ki, lekin ab jaldi ispar amal karunga!
ReplyDeleteअन्तर्राष्ट्रीय ब्लोगर्स डे की शुभकामनायें ..... #हिन्दी_ब्लॉगिंग जिन्दाबाद
ReplyDeleteजिन्दादिली इसी का नाम है
ReplyDeleteमन का उत्साह जीवन को बहुत दूर तक ले जाता है
शुभकामनाएं
प्रेरक ...सादर .
ReplyDeleteहम तो आपको पढ़कर ही जवान हो जाते हैं । आप इसी तरह दौड़ते रहें और हम आपकी इस दौड़ में आपके साथ रहें और जवान रहें । हैप्पी ब्लॉगर्स डे ।
ReplyDeleteबहुत बढ़िया, हमेशा की तरह प्रेरणादायक पोस्ट।
ReplyDeleteबधाई और शुभकामनाएं।
वाह ,प्रेरणादायक
ReplyDeleteबच्चों के बारे में पहले आपसे ही सुना है, समय के साथ उनके प्रति सम्मान और बढ़ा है।
ReplyDeleteप्रेरणा देती पोस्ट ... बहुत खूब ...
ReplyDeleteसंकल्प जितना मजबूत होता है स्वयं पर श्रद्धा भी और गहरी हो जाती है । तो असंभव भी संभव हो जाता है
ReplyDeleteबधाई ।