Tuesday, April 14, 2020

बुरे हाल में साथ न छोड़ें देंगे साथ किसानों का -सतीश सक्सेना

यह कविता यवतमाल के किसानों का हाल जानने हेतु आचार्य विवेक जी द्वारा भारत पद यात्रा (15 अप्रैल से 19 अप्रैल 2015)
के अवसर पर लिखी गयी थी जिसमें मुझे शामिल होने का सौभाग्य मिला .....

बुरे हाल में साथ न छोड़ें देंगे साथ किसानों का
यवतमाल में पैदल जाकर जाने हाल किसानों का

जुड़ा हमारा जीवन गहरा भोजन के रखवालों से
किसी हाल में साथ न छोड़ें देंगे साथ किसानों का

इंद्रदेव की पूजा करके भूख मिटायें मानव की
राजनीति के अंधे कैसे समझें कष्ट किसानों का

यदि आभारी नहीं रहेंगे मेहनत और श्रमजीवी के
मूल्य समझ पाएंगे कैसे बिखरे इन अरमानों का

चलो किसानों के संग बैठें जग चेतना जगायेंगे
सारा देश समझना चाहे कष्ट कीमती जानों का



6 comments:


  1. यदि आभारी नहीं रहेंगे मेहनत और श्रमजीवी के
    मूल्य समझ पाएंगे कैसे बिखरे इन अरमानों का
    आज के परिपेक्ष्य में, बल्कि हर काल और हर युग में ये पंक्तियाँ जन जन को याद रखनी चाहिए।
    सादर।

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  2. लाजवाब सृजन। वैसे समझना कौन चाह रहा है? समझाये हुऐ है अब सब।

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  3. बहुत प्रभावी रचना ... आज भी उतनी ही सार्थक ...

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  4. भूमिपुत्र किसान के कष्टों में उनका साथ देने वाले सभी पदयात्रियों को सादर नमन । बहुत दृढ़संकल्प झलकता आपकी रचना में ।

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  5. हमारे अन्नदाता की सेवा ही माँ अन्नपूर्णा की पूजा है ।

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- सतीश सक्सेना

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