रनिंग एक हाई इम्पैक्ट एक्सरसाइज है जो कि कार्डियोवैस्कुलर सिस्टम को बेहतर करने के साथ साथ हड्डियों को मजबूत करने में भी सहायक है ! दौड़ते समय रनर के हर गिरते हुए कदम पर, रनर के शरीर के वजन का तीन गुना इम्पैक्ट उसके घुटने पर पड़ता है जो कि उसकी कमजोर आंतरिक मसल्स को चोटिल करने को पर्याप्त है , अतः दौड़ने की शुरुआत करने से पहले शरीर को उसे झेलने हेतु ,धीरे धीरे अभ्यस्त बनाना होता है ताकि शरीर के अवयव इस शानदार हाई इंटेंसिटी क्रिया को आसानी से वर्दाश्त कर सके !
दौड़ने से आपके हृदय और फेफड़ों के कार्य में आश्चर्यजनक सुधार के अतिरिक्त , मसल्स का मजबूत होना , बेहतर नींद और स्वच्छ खून , पेट के रोग , बढ़ा हुआ वजन , डायबिटीज, हृदय रोग और हाइपरटेंशन गायब होते नजर आते हैं !
ध्यान रहे दौड़ते समय आपके पूरे शरीर के हर आंतरिक अवयव में जबरदस्त इम्पैक्ट और कम्पन लगातार होता है , जिससे पूरे शरीर में हलचल होती है और फेफड़े व् हृदय अपने पूरी गति के साथ ऑक्सीजन खींच कर खून में पम्प करते हैं , अगर आप दौड़ते समय अपने हर गिरते उठते कदम के साथ साँस नहीं ले पा रहे हैं तब आप ऑक्सीजन की कमी के कारण शीघ्र हांफने लगेंगे और कुछ कदम दौड़ने के साथ ही थक कर रुकने को विवश हो जाएंगे अतः दौड़ते समय सांसों को कदमों के साथ लयबद्ध करना आवश्यक होता है !
अब इतने वर्ष दौड़ने के बाद मैं अपने आपको एक सहज रनर मानता हूँ उक्त सारी बीमारियां पता ही नहीं कहाँ गायब हो गयीं और अब सुबह की लम्बी दौड़ के बाद शरीर से टपकता पसीना वरदान जैसा लगता है साथ ही पूरे दिन मूड की मस्ती मुफ्त !
सो आइये गुनगुनाएं ...
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चलते, अहंकार की चाल,नज़र आती है !
उनसे कहिये,चलने का अंदाज बदल लें !
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बिलकुल सही कहा आपने।
ReplyDeleteवाह 👌🌼
ये app पहली बार सुना है। आपने बहुत अच्छी जानकारी दी
ReplyDelete2 km की दौड़ तो मेरे भी रूटीन में है। लेकिन ये ध्यान नहीं कि टोटल कितने किलोमीटर दौड़ चुका।
दौड़ने से पहले शरीर को उसके अनुसार तैयार करना बेहद जरूरी है।
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बहुत खूब
ReplyDeleteआपका स्वास्थ्य और हल्कापन देख कर प्रेरणा मिलती है।
ReplyDeleteजी नमस्ते,
ReplyDeleteआपकी लिखी रचना शुक्रवार १६ जुलाई २०२१ के लिए साझा की गयी है
पांच लिंकों का आनंद पर...
आप भी सादर आमंत्रित हैं।
सादर
धन्यवाद।
वाह! बहुत प्रेरक पंक्तियाँ!
ReplyDeleteबेहतरीन लेख
ReplyDeleteबहुत प्रेरक
ReplyDeleteप्रेरक शिक्षा प्रद लेख ।
ReplyDeleteछोटे अभिनव बंध के साथ।
बहुत सुंदर आलेख
ReplyDeleteअच्छी जानकारी
ReplyDeleteबढ़िया आलेख
बहुत प्रेरक लेख है सतीश जी | मुझे हिम्मत सैर की भी नहीं होते दौड़ना तो दूर | आपका लेख पढ़कर मन तो बहुत करता है पर एक नियमित क्रम के लिए जो प्रबल इच्छा शक्ति चाहिए होती ही नहीं |फिर भी कोशिश करके देखेंगे | हार्दिक आभार और शुभकामनाएं|
ReplyDeleteबहुत ही प्रेरक लेख
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वाह!!!
बहुत खूब
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