सुनी सुनाई खबरों पर , एतबार न कर लें !
झूठी खबरों के, सस्ते अखबार बदल लें !
उनसे कहिये, चलने का अन्दाज़ बदल लें !
बचपन से जो सीखा , सारा सच न होता
दादी नानी के कल्पित विश्वास बदल लें !
गोश्त न खाते फिर भी, चर्बी चढ़ती जाती,
शाकाहारी होकर भी
दुखी न हों पर , जानवरों का दूध छोड़ दें !
जो भी खाएं , ध्यान से देखें ,सोचें पहले
बचपन से बैठे मन के, विश्वास बदल लें !
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एक निवेदन !
आपके दिए गए कमेंट्स बेहद महत्वपूर्ण हो सकते हैं, कई बार पोस्ट से बेहतर जागरूक पाठकों के कमेंट्स लगते हैं,प्रतिक्रिया देते समय कृपया ध्यान रखें कि जो आप लिख रहे हैं, उसमें बेहद शक्ति होती है,लोग अपनी अपनी श्रद्धा अनुसार पढेंगे, और तदनुसार आचरण भी कर सकते हैं , अतः आवश्यकता है कि आप नाज़ुक विषयों पर, प्रतिक्रिया देते समय, लेखन को पढ़ अवश्य लें और आपकी प्रतिक्रिया समाज व देश के लिए ईमानदार हो, यही आशा है !
- सतीश सक्सेना