Friday, September 16, 2022

उनसे कहिये, चलने का अन्दाज़ बदल लें !

सुनी सुनाई खबरों पर , एतबार न कर लें !
झूठी खबरों के, सस्ते अखबार बदल लें !

चलते, अहंकार की चाल , नज़र आती है !
उनसे कहिये, चलने का अन्दाज़ बदल लें !

बचपन से जो सीखा , सारा सच न होता
दादी नानी के कल्पित विश्वास बदल लें !

गोश्त न खाते फिर भी, चर्बी चढ़ती जाती,
शाकाहारी होकर भी 
दुखी न हों पर , जानवरों का दूध छोड़ दें  !

जो भी खाएं , ध्यान से देखें ,सोचें पहले 
बचपन से बैठे मन के, विश्वास बदल लें !

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- सतीश सक्सेना

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