Thursday, June 12, 2025

उमस, प्राकृतिक तरीका पसीना निकलने का -सतीश सक्सेना

पसीना वरदान है मजबूत बीमारी रहित शरीर के लिए , त्वचा के

 असंख्य छिद्रों से बहता पसीना हमारे शरीर का ज़हर बाहर फेंकता है और एक पूरा सीजन जिसमें गर्मी और उमस आती है , शरीर से पसीना निकालने में सहायता करता है !

और मूर्ख मानव पंखा तौलिया कूलर एसी तलाश करता है इससे जान छूटाने के लिए , महिलायें तो और भी आगे हैं वे स्किन के इन महीन छिद्रों को क्रीम और पाउडर घुसा कर बंद कर देती हैं !

जय हो आप सबकी महा मानवी, मानवों !

Friday, June 6, 2025

इसे भी पढ़ लें दोस्त -सतीश सक्सेना


मेरा लगभग हर दोस्त जो 70+ का है, तीन चार तरह की दवाएं रोज खाता है चाहे एक ही दवा की आवश्यकता हो मगर डॉ उसकी घबराहट को देख चार पाँच तरह की गोलियां देकर घर भेजता है ताकि उसे भरोसा रहे कि डॉ उसे बचाने का प्रयत्न कर रहा है !

ख़ास तौर पर वे दोस्त जो कि बड़े ओहदे से रिटायर हुए हों अथवा समाज में मशहूर हों या शिष्य मंडली बड़ी हो , बड़े प्रभामंडल से सुसज्जित यह लोग बढ़ती उम्र से सबसे अधिक भयभीत दिखते हैं , अपनी शान में पढ़े कसीदों और तालियों से ताक़त पाते हैं , वे वाक़ई सबसे अधिक ख़तरे में होते हैं और किसी दिन अचानक तालियों की गड़गड़ाहट RIP में बदल जाती है और इस तरह एक शानदार व्यक्तित्व असमय ही मात्र अपनी लापरवाही के कारण संसार से विदा ले लेता है !

क्या आपने कभी सोचा कि 

हर घाव बिना दवा के भर जाता है, ,हर बुखार बिना ऐंटीबायोटिक के उतर जाता है, हर जुकाम कुछ दिन बाद खुद-ब-खुद चला जाता है 

क्यों?

क्योंकि भीतर कोई है जो सदा जाग रहा है ...वही हमारी प्राकृतिक चिकित्सा शक्ति, हमारी इम्यून पॉवर है।

उसने सतीश सक्सेना की जवान रहने की जिद को 70 साल की उम्र में पूरा करवा दिया ! मरने का भय मस्त शरीर को भी समय से पहले मार सकता है , "कुछ हो न जाय "का विचार मात्र , कॉर्टिसोल, एड्रिनलिन ना नामक हार्मोन्स पैदा करते हैं ये हमारी प्रतिरक्षा प्रणाली को रोक देते हैं और हम बिना लड़े ही बीमारियों के सामने आत्मसमर्पण कर बैठते हैं !

बीमारी के समय यह मानना कि “मैं ठीक हो जाऊँगा "शरीर को यह संदेश देता है कि "घबराओ मत, मैं तुम्हारे साथ हूँ "

मानव शरीर एक जीवित चमत्कार है , हर रोग से लड़ने की शक्ति इसके भीतर है, बशर्ते हम उसे डर से नहीं, भरोसे से देखें 

डॉक्टर और दवाइयाँ अंतिम उपाय हैं  पहला कदम है शरीर को समझना, सुनना और सहारा देना।

डरिए मत, ध्यान दीजिए , शरीर के संकेत समझने की शक्ति विकसित करें , आप योगी , बुद्ध कहलायेंगे !

प्रणाम !

Sunday, April 27, 2025

बीमारी से डरें नहीं -सतीश सक्सेना

जीवन के आख़िरी पड़ाव 70 + में मेरा यह विश्वास व अनुभव है कि भयानक बीमारियों से निजात पानी है तब उससे डरो मत , उसे चैलेंज दो कि वह तुम्हारे शरीर का कुछ नहीं बिगाड पाएगी, आप देखेंगे कि आपकी यह निडरता से आपकी आंतरिक जीवन शक्ति अचानक भरपूर शक्तिशाली हो गई और बीमारी को शरीर से भगाने में आसानी से कामयाब हो गई !

मैंने इसी तरह अपने शरीर से कैंसर नुमा कितने ही सिम्पटम को आसानी से हराने में कामयाबी पायी , घुटने , कमर जांघों के भयानक दर्द , गले से बरसों खाँसते हुए ख़ून निकलना , ४५ वर्ष पुरानी खांसी, दो जगह दुर्दांत गांठें , मुँह गालों के अंदर पड़ी हुई ३० वर्ष पुरानी काले रंग की गाँठ जो आज भी है , मेरा कभी कोई नुक़सान नहीं कर पायीं क्योंकि मैंने कभी उनकी परवाह ही नहीं की और न कैंसर की भयानक कहानियाँ मुझे डरा पायीं !

हमें चाहिए कि अपनी ख़तरनाक बीमारी से बिना डरें आज का दिन का आनंद उठायें , कल सुबह उठकर नए दिन का हँसते हुए स्वागत करें तो पायेंगे कि आपका शरीर कुछ दिनों में हौसला पाकर बहुत ताक़तवर हो गया है और उस बीमारी के भयानक से दिखने वाले सिम्प्टम ख़ुद ब ख़ुद ग़ायब होते जा रहे हैं !

विश्वास बनाए रखें कि आपको बरसों जीना है और हंसते हुए जीना है , लंबा रास्ता जीवंत दिखने लगेगा जहाँ जाओगे फूल मिलेंगे हँसते हुए !

सस्नेह सुनील और Avenindra Mann , 

प्रणाम आप सबको

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