Friday, September 12, 2025

अपने कष्ट बताने थे , कुछ दर्द तुम्हारा सुनना था -सतीश सक्सेना

बरसों मन में छिपा रखीं जो बातें, तुमसे कहनी थीं !
सदियों बाद मिले थे तुमसे , बिसरी बातें करनी थी !

उस दिन खूब सोच के आये , घंटों बातें करनी थीं !
तुम्हें देख कर भूल गये हम, जो भी बातें करनी थी !

दिया आँख ने धोखा उस दिन, सारे बंधन टूट गये 
कितने बार पिये थे आंसू, कभी तो गंगा बहनी थी ,!

कितने दिन से सोच रखा था जब भी तुमको देखेंगे !
कुछ अपनी बतलानी थी कुछ तुमसे बातें सुननी थीं 

जब जब हमने कहना चाहा दुनियां के व्यवधानों से 
मुंह पर मेरे ताला था , और बेड़ी तुमने पहनी थी !


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- सतीश सक्सेना

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