Friday, September 12, 2025

अपने कष्ट बताने थे , कुछ दर्द तुम्हारा सुनना था -सतीश सक्सेना

बरसों मन में छिपा रखीं जो बातें, तुमसे कहनी थीं !
सदियों बाद मिले थे तुमसे , बिसरी बातें करनी थी !

उस दिन खूब सोच के आये , घंटों बातें करनी थीं !
तुम्हें देख कर भूल गये हम, जो भी बातें करनी थी !

दिया आँख ने धोखा उस दिन, सारे बंधन टूट गये 
कितने बार पिये थे आंसू, कभी तो गंगा बहनी थी ,!

कितने दिन से सोच रखा था जब भी तुमको देखेंगे !
कुछ अपनी बतलानी थी कुछ तुमसे बातें सुननी थीं 

जब जब हमने कहना चाहा दुनियां के व्यवधानों से 
मुंह पर मेरे ताला था , और बेड़ी तुमने पहनी थी !


8 comments:

  1. कितने जीवन बीते हैं ऐसे कशमकश में !....कितनी छुपी कहानी हैं ।
    भावों के उद्वेलन को बखूबी व्यक्त करती बहुत ही लाजवाब रचना ।

    ReplyDelete
  2. मार्मिक रचना

    ReplyDelete
  3. बहुत खूब !! लाजवाब भावाभिव्यक्ति जो पाठक को पढ़ते हुए अपनी सी लगती है ।

    ReplyDelete
  4. बहुत सुंदर रचना
    Welcome to my new post....

    ReplyDelete
  5. वाह वाह वाह बेहतरीन

    ReplyDelete
  6. सुंदर भावपूर्ण सृजन

    ReplyDelete
  7. बहुत सुंदर

    ReplyDelete

एक निवेदन !
आपके दिए गए कमेंट्स बेहद महत्वपूर्ण हो सकते हैं, कई बार पोस्ट से बेहतर जागरूक पाठकों के कमेंट्स लगते हैं,प्रतिक्रिया देते समय कृपया ध्यान रखें कि जो आप लिख रहे हैं, उसमें बेहद शक्ति होती है,लोग अपनी अपनी श्रद्धा अनुसार पढेंगे, और तदनुसार आचरण भी कर सकते हैं , अतः आवश्यकता है कि आप नाज़ुक विषयों पर, प्रतिक्रिया देते समय, लेखन को पढ़ अवश्य लें और आपकी प्रतिक्रिया समाज व देश के लिए ईमानदार हो, यही आशा है !


- सतीश सक्सेना

Related Posts Plugin for Blogger,