अंतिम अंत केवल एक चीज करती है — मानव शरीर की अपनी प्रतिरक्षा शक्ति , वैक्सीन किसी सैनिक की तरह वायरस से नहीं लड़ती , वह सिर्फ शरीर को पहचान कराती है कि “देखो, ऐसा दुश्मन आने वाला है !"
यह ऐसा है जैसे किसी बच्चे को पहले से बता दिया जाए कि कुत्ता कैसा दिखता है ताकि असली कुत्ता दिखने पर वह डरने के बजाय सही प्रतिक्रिया दे !
यानी लड़ाई वैक्सीन ने नहीं, बल्कि शरीर ने लड़ी ,कोरोना संक्रमण हुआ, और शरीर के अंदर की सेना टी सेल , बी सेल, एंटीबॉडी और मेमोरी सेल इन सबने मिलकर वायरस को पहचानकर खत्म किया।
वायरस शरीर में जितनी तेजी से बढ़ता है, हमारी प्रतिरक्षा उतनी ही तेजी से उसका पीछा करती है और उसे निष्क्रिय बनाती है ! बहुत सारे लोग बिना वैक्सीन के भी ठीक हुए क्योंकि उनकी प्रतिरक्षा शक्ति मजबूत थी !वैक्सीन ने समय रहते मानव शरीर को ट्रेंड कर दिया कि मेरे भयानक रूप से कैसे लड़ना होगा !
पर वायरस को समाप्त करने का काम प्रतिरक्षा शक्ति ने ही किया! वैक्सीन ने प्रतिरक्षा शक्ति को बताया कि यह वायरस का स्वरूप कैसा है मगर उससे अंतिम लड़ाई, अंतिम प्रहार और अंतिम जीत इंसान की प्रतिरक्षा शक्ति ने दी !

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- सतीश सक्सेना