कुछ समय से अपने लिए पुत्रवधू की तलाश में हूँ, जो कि आने वाले समय में मेरी बेटी का रिक्त स्थान भर सके, इस जटिल मानसिक काम को करने में कुछ नए नए अनुभव हुए, कुछ सुखद तो कुछ कष्टदायक ! एक सादा तथा बेहद विनम्र पिता से बात हुई, उन्होंने अपनी पुत्री के स्वभाव के बारे में जो कुछ बताया उसे सुन कर लगा कि शायद खोज पूरी हो गयी, शायद ऐसी ही बेटी की तलाश थी मुझे !
वास्तव में उस विदुषी मगर सामान्य वस्त्र पहने लडकी के फोटो ने मुझे काफी प्रभावित किया ! मगर रात में उस बच्ची के पिता का फ़ोन आया कि साहब आपका बेटा जन्मपत्री के हिसाब से मांगलिक है, यह तो आपने बताया ही नही ?
मुझे लगा जैसे एक अपराध बोध से घिर गया मैं ! लगा कि जैसे मैंने " मेरा पुत्र मांगलिक या आंशिक मांगलिक है" यह बात मुझे शादी की चर्चा में सबसे पहले बतानी चाहिए, चाहे मुझे इस मिथक धारणा पर विश्वास हो या न हो !मैं यह समझ नहीं पा रहा हूँ की मैं इस घटना का दोष उन्हें दूं अथवा अपने आपको को !
पल भर को ऐसा लगने लगा कि एक बड़ी अंतर्राष्ट्रीय सॉफ्टवेयर कंपनी में कार्यरत और विश्व की आधुनिकतम टेक्नालोजी में एक्सपर्ट मेरा बेटा हिन्दू धर्म के एक बड़े वर्ग के हिसाब से हर किसी लड़की से विवाह करने योग्य नहीं है, अब उसका विवाह सिर्फ मांगलिक लडकी से ही होगा ! जो पुत्र अपने परिवार तथा मित्रों में अपने सद्गुणों से हमेशा सम्मान पता रहा है, जिसके स्वभाव एवं चरित्र पर आजतक किसी ने ऊँगली नहीं उठाई, ज्योतिष के लिहाज़ से वह क्रूर तथा झगडालू हो सकता है ! मेरे लिए यह तथाकथित धार्मिक तथ्य बेहद कष्टदायक लायक लगा !
जन्मकुण्डली के 1,4,7,8, एंव 12वें भाव में मंगल के होने से जातक/जातिका मांगलिक कहलाते हैं ! बड़ी संख्या में (१२ में से ५ स्थानों पर) मंगल देख वर और वधु को तुंरत मंगली घोषित कर देना कहाँ तक ठीक है ? अगर यह सच है तो लगभग हर तीसरा इन्सान मांगलिक होगा एवं वह तामसी गुणों से युक्त होगा, इस धारणा को अगर बल दिया जाये तो हिन्दू समाज में शादी विवाह सामान्यतः हो पाएंगे इसमें संदेह है !
Saturday, June 20, 2009
17 comments:
एक निवेदन !
आपके दिए गए कमेंट्स बेहद महत्वपूर्ण हो सकते हैं, कई बार पोस्ट से बेहतर जागरूक पाठकों के कमेंट्स लगते हैं,प्रतिक्रिया देते समय कृपया ध्यान रखें कि जो आप लिख रहे हैं, उसमें बेहद शक्ति होती है,लोग अपनी अपनी श्रद्धा अनुसार पढेंगे, और तदनुसार आचरण भी कर सकते हैं , अतः आवश्यकता है कि आप नाज़ुक विषयों पर, प्रतिक्रिया देते समय, लेखन को पढ़ अवश्य लें और आपकी प्रतिक्रिया समाज व देश के लिए ईमानदार हो, यही आशा है !
- सतीश सक्सेना
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Satish Bhai aap nahak chinta na karen nirdharit samay par sab theek thaak ho jayega.Vaise Sangeeta Puri ji se sampark karen. Ve bata payengi.
ReplyDeleteसतीश जी नमस्कार,
ReplyDeleteजो हुया, वो ठीक ही हुया, अब आप इसे भुल जाये, यह कुंडली सुंडली भी हमी लोगो ने बनाई है, मै आप सब के सामने उदाहरण हुं, मेने कोई कुंडली नही मिलाई, कोई ऎसा काम नही किया जिस से मै अपने आप को अंधविशवासी समझू, कोई दहेज वगेरा नही, अपने समाज से लडा, अपने मां बाप से लडा, इन सब झुठे पांखडो के कारण,
आज तक हम दोनो पति पत्नि जिन्दा ही नही बहुत खुश है, इस लिये मत पडो इन खाम्खा के वहमो मे, ओर फ़िर दुनिया मै हिन्दुयो के सिवा कोन मिलाता है कुंडली ? ओर जो कुंडली मिलाते है क्या वो सुखी है? क्या उन के तलाक नही होते?
क्या वो हमेशा ....
मै नही मानता लेकिन दुसरो को समझाना मेरा फ़र्ज है, आगे कोई माने या ना माने, जिस समाज मै हम ने रहना है अगर उस समाज मे कोई बुराई है तो उसे दुर करना हमारा ही फ़र्ज है, मुझे यह बुराई लगती है, शायद किसी दुसरे को यही अच्छाई लगे, इस लिये हम सब के अपने अपने विचार है,
लेकिन आप फ़िक्र ना करे, जिसे संयोग कहते है, वो सच है, आप के बेटे की शादी शायद उस लडकी से भी अच्छी लडकी से हो, बस होस्सला रखे, ओर उस भगवान को याद रखे, साथ मओ कोशिश जारी रखे.
धन्यवाद
मुझे शिकायत है
पराया देश
छोटी छोटी बातें
नन्हे मुन्हे
प्रिय सतीश,
ReplyDeleteतुम वापस आ गये! अच्छा लगा! अरे भई परिवार का कोई सदस्य अनुपस्थित रहता है तो बहुत खटकती है.
हां जहां तक बेटे के शादी की बात है, फिकर न करो. समय आने पर सही कन्या मिल जायगी और आपको एक बेटी मिल जायगी.
हर रास्ते में रोडे आते हैं. लेकिन इस कारण यात्रा बाधित नहीं होती है. जुटे रहो!!
प्रभु मदद करेंगे !!
सस्नेह -- शास्त्री
हिन्दी ही हिन्दुस्तान को एक सूत्र में पिरो सकती है
http://www.Sarathi.info
यह वृक्ष हमने ही बोए हैं
ReplyDeleteअब इन पर आम की
चाहत करना बेमानी है।
पर रखिए इसे भी ध्यान
ईश्वर जो करता है
सदा अच्छा करता है
पर हमें पता
बाद में चलता है।
सतीश जी, जब आप ज्योतिष पर आधारित नहीं तो जन्मपत्री बीच में लाए ही क्यों? अब तो नतीजा यही है। अब यह तो लड़की के पिता को यह स्वतंत्रता तो देनी होगी कि वह अपनी मान्यताओं के हिसाब से अपनी बेटी का रिश्ता तय करे। अभी इस मानसिकता से निकलने में वर्षों लगेंगे हमें।
ReplyDelete
ReplyDeleteअमाँ सतीश भाई, किस चक्कर में हो ? मेरा भी ऎसा ही कुछ रहा, मैं ठहरा जन्मों का विद्रोही, दूसरे यह कि कन्या बँग ब्राह्मण इस पर पँडित जी महाराज का वीटॊ ! मेरा हठ कि यह भ्रम टूटे तो सही.. भीरू माँ एवँ चर्चिल टाइप पिताश्री को राजी किया कि पँडित महाराज के अनुसार एक वर्ष के अँदर विवाहित दम्पति में से किसी एक की मृत्यु ब्रह्मा भी नहीं टाल सकते ।
बस वह फँस ही तो गये, जब मैंने कहा कि, एक कुँठित और अपराधबोध-ग्रसित लँबी आयु से अच्छा एक वर्ष के ख़ुशनुमा पल किस माँ बाप बुज़ुर्ग को मँज़ूर न होगा ?
सब अँटा-चित्त, और देखिये कि 27 वर्षों से हम साथ हैं, और मेरे कान पर इनकी पकड़ ढीली न हुई है । कोई ऎसा कैसे कह बैठता है, इस सनक में दो वर्षों तक बनारस जा जा कर ज्योतिष में भी मुँह मार आया, वह अनुभव कभी बाद में..
साहेब आपकी कमी महसूस हुई. बहुत सामयिक पोस्ट है. मंगल कभी अमंगल नहीं होता.
ReplyDeleteमस्त रहें.
जो होता है अच्छे के लिए होता है, जहां संयोग होगें और जब होगें तभी आप की खोज पूरी होगी। हमने भी जन्मपत्री वगैरह नहीं मिलाई थी।
ReplyDeleteकुण्डली का चक्कर इतनी आसानी से नहीं छुटने वाला. बहुत शुभकामनाऐं इस तलाश के लिए. आमंत्रण का इन्तजार रहेगा. :)
ReplyDeleteमंगल-अमंगल की मानसिकता को बदलने में सदियां लगेगी। वैसे भी जो होता है अच्छे के लिए होता है, जहां संयोग होगें तो खोज जल्द ही पूरी होगी।
ReplyDeleteशुभकामनायें।
सतीश जी
ReplyDeleteयह लोगों की धारणाएं है, सभी की अलग-अलग हम किसी की धारणाएं न तो बदल सकते हैं और न ही अपनी धारणा थोप सकते हैं. सब-कुछ ठीक ही होगा, क्यों चिन्ता करते हो?
'लाइट ले यार'
सतीशजी सबसे पहले तो आपको यहां पाकर बहुत खुशी हूई. अब बेटी के बाप का अधिकार तो नही छीना जा सकता. पर यहां एक बात कहना चाहूंगा कि ये सब ढकोसला या अंधविश्वास ज्यादा लगता है.
ReplyDeleteमैं स्वयम भयानक यानि कि चौथे घर मे मकर के मंगल वाला हूं और मेरी पत्नि बिना मंगल वाली है. आज से ३६ साल पहले यह मुद्दा ऊठा पर मेरे ससुर ठहरे कृषक ब्राह्मण. सो वो बोले जी मेहनत करने वाले लडके का मंगल क्या बिगाड लेगा?
और आज सफ़ल ३६ साल का वैवाहिक जीवन है हमारा. ज्योतिष ठोडा बहुत जानता और समझता हूं अत: चिंता ना करें. हर बात के पीछे ईश्वर कुछ अच्छा ही करता है.
और इसमे भी कुछ अच्छाई ही होगी.
रामराम.
बहुमत बहू लाने को कह रहा है सतीश जी और हां निमंत्रण जरूर भेजियेगा....
ReplyDeleteSatish Bhaiya sabase pahale aap ka swagat, mai bahi edhar kuchh time nahi de pa raha tha blog par, ,maine aapka article padha kaphi achchha alga aur maine apne dosto ko bhi dikhaya...
ReplyDeleteRegard...
DevPalmistry |" Lines tells the story of ur life"
मांगलिक को तो व्यर्थ मानता हूं मैं। पर ईश्वर जो करता है, शुभ करता है।
ReplyDeleteबाकी लोगों की तो कोई बात नहीं .
ReplyDeleteअब आप ताऊ जी की बातों को देखें .
"मैं स्वयम भयानक यानि कि चौथे घर मे मकर के मंगल वाला हूं "
लडके का मंगल क्या बिगाड लेगा?
और ताऊ की नज़र में इनका सफल....
ताई को शुभकामनायें
सतीशजी,
ReplyDeleteअपना दु:ख कहें, घरवालों ने एक लडकी का फ़ोटो और बाओडाटा दिखाया। लगा कि बात की जाये, उन्होने जन्मकुंडली मांगी तो आनन-फ़ानन में एक पंडित से बनवाई गयी क्योंकि हमारे घर में कोई कुंडली/ज्योतिष को नहीं मानता। पता चला कि हम भी आपके पुत्र के समान ही मांगलिक निकले..
आप स्वयं ज्योतिष में विश्वास न करें लेकिन अब दूसरा पक्ष करता है तो इसमें आप क्या कर सकते हैं।
इसका एक दूसरा पक्ष भी है। घरों पर कम्प्यूटर पर चलने वाले कुंडली नामक साफ़्टवेयर ने बहुत कबाडा किया है। मैं इसको मानता नहीं लेकिन एक पंडितजी से इस विषय पर चर्चा की। उनके अनुसार यदि पांच खानों में से किसी में भी मंगल हो तो कम्प्यूटर के हिसाब से आप मांगलिक हो जाते हैं। लेकिन इसके अलावा कुछ अलग नियम भी हैं। मसलन यदि बृहस्पति और मंगल एक खाने में हो तो मंगल का प्रभाव समाप्त हो जाता है। ऐसे ही कुछ अन्य नियम भी हैं जिन्हे सब लोग नहीं जानते/मानते।
खैर क्या कहें, हमारे तो मन में लड्डू रखे ही रह गये ;) हा हा हा...इसके तुरन्त बाद दीदी ने मजाक में कहा...नीच, मांगलिक...निकल जा हमारे घर से और हम ह्यूस्टन वापिस...