हम लोग, एक बड़े देश के निवासी "अनेकता में एकता " का नारा अक्सर सुनते आये हैं, और लगता है कि कश्मीर से कन्याकुमारी तक सब लोग एक जुट हैं, मगर हाल में एक उत्तर पूर्वीय प्रान्त के मुख्यमंत्री का यह कथन कि मेरे देशवासी मुझे अक्सर नेपाली समझते हैं , और इस कारण अक्सर मुझे कहना पड़ता है कि मैं आपकी तरह भारतीय हूँ किसी अन्य देश का नहीं ! अपने ही देशवासियों के समक्ष एक देश भक्त का यह स्पष्टीकरण उन्हें खुद कितना कष्टदायक लगता होगा यह तो मैं नहीं जानता, मगर व्यक्तिगत तौर पर मुझे वेहद नागवार लगता है, एक आवेश सा आता है कि कितनी अज्ञानता है मेरे देश में, ऐसी धारणाओं के कारण हम अपनी समझ की, बाहर वालों से कितनी मजाक बनवाते हैं ?
हम लोग इस विशाल देश की सीमाओं तथा विविधिताओं से अनजान रहते हुए, खुद अपनी समझ पर इतराते हुए, बिहारी, पञ्जाबी, मद्रासी एवं पुरबियों की मज़ाक बनाते समय इसके दूरगामी परिणामों के बारे में नहीं सोचते !
कब विकसित होगी हम लोगों की समझ ??
आप का मेरा कष्ट साझा है।
ReplyDeleteहम कूप मंडूक बने रहने में सुरक्षित महसूस करते हैं.
ReplyDeleteअगर वो नेता नेपाल से लगती सीमा से होगा तो उस के राज्य के लोग भी उसी तरह के होगे, इस लिये कोन उसे कहेगा कि आप नेपाली लगते है. यह बस एक चाल होती है अपने आप को दुनिया मै अलग दिखाना, अपनी ओर लोगो का ध्यान दिलाना, इस लिये ऎसी बातो पर ध्यान ही ना दे, भारत मै कितने राज्य है किअतनी भाषाये है, सभी लोग तो मिल कर रहते है, लेकिन इन नेताओ को ही कठानई होती है.
ReplyDeleteधन्यवाद
वो कहा जो मेरे दिल में था. आभार!!
ReplyDeleteबहुत सही सोच है आपकी. शुभकामनाएं.
ReplyDeleteरामराम.
सुबह ज़रूर आयेगी,
ReplyDeleteसुबह का इंतज़ार कर .
सक्सेना जी ,लोग ये कहना शुरू कर दें कि हम हिन्दुस्तानी हैं तो प्रांत ,जाती ,धर्म सबकी सीमायें खुद बी खुद टूट जायेंगी
ReplyDeleteबहुत ज्वलंत समस्या उठा दी भाई
ReplyDeleteभारत के अन्दर न जाने
ReplyDeleteकितने छोटे-छोटे भारत बसे हुए हैं !
अभी कल रात ही की न्यूज है कि असम में
हिंदी भाषियों पर दुबारा हमले हुए !
इसके लिए कुछ अज्ञानता है
कुछ राज ठाकरे जैसे कूप मंडूक नेता !
आज की आवाज
मेरे विचार से मामला ग्लोकल है - हम ग्लोबल भी होंगे तो रहेंगे लोकल ही। और कुछ गलत भी नहीं उसमें।
ReplyDeleteबहुत ही सही प्रश्न उठाया है आपने। सही माने में भारतीयता की अवधारणा और चेतना विकसित करने के लिये सचेतन प्रयास आवश्यक हैं।
ReplyDelete