Sunday, July 31, 2011

हिंदी ब्लोगिंग में स्नेह और प्यार -सतीश सक्सेना

डॉ टी एस दराल ने एक पोस्ट लिखी जिसमें चार ब्लागर साथियों  के द्वारा एक साथ बैठकर किये गए भोजन का जिक्र था , जिसमें आत्मीयता की एक गहरी झलक दिखती थी ! डॉ अरविन्द मिश्र के दिल्ली आगमन पर डॉ दराल साहब की तरफ से दिए गए, इस भोज पर वीरू भाई भी उपस्थित थे यकीनन चार ब्लागरों  का यह मिलन, नायाब ही था मगर इसने मुझे अन्य कई ब्लोगर भोजों की याद दिलाई और यकीन करें, किसी में भी गर्मजोशी की कमी नहीं पायी गयी !
दिल्ली में मुझे ब्लोगर मीटिंग का पहला मौका, अजय कुमार झा के जरिये मिला था जब उन्होंने एक खुला आमंत्रण देकर हम लोगों को एक जगह इकट्ठा करने का प्रयत्न किया था और लगभग  ४ घंटे चले इस  सम्मलेन  में ब्लागिंग की असीमित क्षमताओं पर अच्छा विमर्श किया गया !
इसमें शिरकत करने वालों में, इंग्लॅण्ड से डॉ कविता वाचक्नवी एवं जर्मनी से राज भाटिया ,  पंडित डी.के.शर्मा "वत्स" , खुशदीप सहगल , डॉ टी एस दराल आदि लोग मौजूद थे ! 

ब्लागर मीटिंग्स के नाम के साथ  अविनाश वाचस्पति का नाम  अवश्य जुड़ता है, सब लोगों को जोड़ने का उनका उत्साह, नवोदितों के लिए ,हिंदी ब्लागिंग की शक्ति  को ,नए शिखर पर  पंहुचाने के  लिए बहुत हिम्मत देगा  !
आज भी नए लोगों से, मिलने की इच्छा होते हुए भीं, हर जगह पहल की कमी महसूस होती है ! इस प्रकार के सम्मलेन और मुलाकातें, निस्संदेह एक नवीन वातावरण के निर्माण में मदद देगी ! फलस्वरूप न केवल आपसी स्नेह बढेगा बल्कि आप अपनी शक्ति को भी बढ़ते हुए महसूस करेंगे !  मेरे अपने द्वारा, ब्लॉग जगत में रूचि बढ़ने का एक अच्छा कारण यह मुलाकातें रहीं जहाँ मैं प्रत्यक्ष रूप से, अपने पसंद के लेखकों को आमने सामने सुन सका  ! जिन लोगों  से मैं मिल चूका हूँ ,पहली मुलाकात में ही समीर लाल , रचना , अविनाश वाचस्पति ,रविन्द्र प्रभातखुशदीप सहगल , डॉ दराल ,ताऊ रामपुरिया, योगेन्द्र मौदगिल, सलिल वर्मा, अनूप शुक्ल, बी एस पाबला ,राज भाटिया, शाहनवाज़, निर्मला कपिला,ललित शर्मा ,रतन सिंह शेखावत,  अमरेन्द्र त्रिपाठी, दिनेश राय द्विवेदी,सुनीता शानू  स्मार्ट इंडियन ,राजीव तनेजा ,शहरोज़, दीपक बाबा, एवं डॉ अरविन्द मिश्र ने, अपनी  शख्शियत की , एक गहरी छाप छोड़ी !
 हिंदी लेखन क्षेत्र में , ब्लोगिंग की उपलब्धियों को नकारा नहीं जा सकता ! गूगल के द्वारा दिए गए प्लेटफार्म के जरिये हिंदी भाषा में जो काम, अब तक हो चुका है ,कुछ वर्ष पहले इसकी कल्पना भी नहीं की जा सकती थी ! जिन लोगों ने, सार्वजनिक मंच पर , अपनी अभिव्यक्ति लाने के बारे में कभी सोंचा भी नहीं होगा, वे अब ब्लोगिंग के जरिये अपने विचार न केवल धड़ल्ले से व्यक्त कर रहे हैं बल्कि खासे सफल भी हैं !
इसमें कोई संदेह नहीं कि जहाँ हम लोग, इस शानदार प्लेटफार्म के जरिये ,एकता के सूत्र में बंधने में कामयाबी मिलने की आशा कर रहे हैं वहीँ यहाँ कुछ लोग अपने कट्टर राजनीतिक, धार्मिक विचारों को भी स्वर देने का प्रयत्न कर रहे हैं ! अपरिमित सीमायें होने से, ब्लॉग जगत लगभग हर क्षेत्र में  ही अपना सफल योगदान कर रहा है !
ब्लाग जगत में, एक से एक विद्वान् कार्यरत हैं , जिन्हें पढना ही सौभाग्य माना जाता है, मगर अक्सर वे भिन्न विचार धाराओं से जुड़े रहने के कारण एक साथ नहीं बैठ पाते ! विभिन्न राजनैतिक पार्टियों , समाजों और धर्मों का प्रतिनिधित्व करने वाले मनीषी, अगर एक स्थान पर जुड़ सकें तो विद्वानों का कुम्भ होने का सपना पूरा हो सकता है ! 


पिछले कुछ दिनों से यह देखा जा रहा है कि ब्लोगिंग में पहले से कार्यरत लोगों की दिलचस्पी कुछ कम हुई है !  इस सम्बन्ध में खुशदीप सहगल का एक लेख आया था जिसमें इस प्रवृत्ति की और चिंता प्रकट की गयी थी ! मुझे लगता है देर सबेर यह संक्रमण काल भी गुजर जाएगा यदि हम लोग लेखन गुणवत्ता का विशेष ध्यान रखें  !
हजारों तरह के लोग , यहाँ अपनी अपनी समझ के अनुसार लिख रहे हैं  , स्वाभाविक है कि जिस  क्वालिटी की मानसिकता होगी, लेख में उसी समझ की झलक नज़र आएगी  ! पाठकों की वाह -वाह करती टिप्पणियों की बेपनाह शक्ति, यहाँ मूर्ख को विद्वान् और विद्वान् को नासमझ बनाने में समर्थ है ! अतः पाठकों को टिप्पणी अस्त्र का प्रयोग सोंच समझ कर  करना होगा !जहाँ एक  ओर  नए ब्लोगर को मिली टिप्पणी, उसमें नवजीवन संचार कर, बेहतर लेखन की प्रेरणा देती हैं वही टिप्पणी, किसी स्वच्छ चादर में लिपटे धूर्त को, रावण बनाने में समर्थ है ! प्रोत्साहन का दुरुपयोग और सदुपयोग यहाँ बखूबी महसूस होता है !     
आवश्यकता है केवल एक सकारात्मक सोंच और उत्साह की जिसके प्रभाव से नकारात्मक   शक्तियों का ह्रास हो और बेहतर लोग समाज और देश के शुभ निर्माण में लगें !
आप सबको विनम्र शुभकामनायें !

100 comments:

  1. निकट भविष्य में फ़िर सम्भव है, कि कोई ऐसा अपना मिल जाये जो दूर रह कर भी अपना लगता है।

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  2. कभी किसी ब्लॉगर मीट में हिस्सा लेने का अवसर नहीं मिला. परंतु जब पढ़ता हूँ कि ब्लॉगर मिल कर विमर्श करते हैं तो अच्छा लगता है. सकारात्मक सोच को प्रोत्साहित करने के लिए आपके द्वारा किए जा रहे प्रयासों के लिए हार्दिक शुभकामनाएँ.

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  3. नमस्कार ...भाई जी
    आपका ये लेख सच में हम जैसे ब्लोगर्स के लिए अति महत्वपूर्ण है ...हम जैसे नये लोगो को
    अगर आप जैसे दोस्त..भाई ..साथ देते है तो ही हम अपनी लेखनी से आगे बढ पाते है ....आभार आपका
    ब्लोगर्स को साथ लाना...बहुत जरुरी है...पर पूरी जानकार के साथ ...

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  4. सतीश भाई!
    मेरा अनुभव है कि यदि आप समाज को उस की उच्चतर पायदान पर ले जाने के उद्देश्य से लगातार लिखते हैं तो कुछ लोगों को प्रभावित करते हैं। ये लोग जो आप के लेखन से प्रभावित होते हैं। लेकिन लिखना और पढ़ना तो उस की पहली सीढी है। जब लोगों में बदलाव के प्रति प्रतिबद्धता की मात्रा बढ़ जाती है तो वह समाज में कुछ काम करने को प्रेरित करती है। ब्लागर सम्मेलन अभी परस्पर मिलने का माध्यम बने हैं लेकिन ये ही भविष्य में समाज परिवर्तन का अहम् हिस्सा बनेंगे, ऐसा मेरा विश्वास है।

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  5. सतीश भाई,
    आजकल हर कोई ब्लोगिंग को अपने हिसाब से होते हुए देखना चाह है... हर कोई दूसरों को उपदेश देते हुए दिखाई दे रहा है की उसे यह करना चाहिए, यह नहीं करना चाहिए.... ज़रा सा विषय के विरुद्ध लिखों तो बुरा माना जाने लगता है... हर कोई अपने मित्रों की गलत बात का भी समर्थन करते हुए दिखाई देता है...

    किसी भी विषय के स्वस्थ विरोध का स्वागत होना चाहिए... वहीँ हर एक को खुल कर अपनी बात रखने का हक होना चाहिए... लेकिन इसका मतलब अमर्यादित शब्दों का प्रयोग तो हरगिज़ नहीं होना चाहिए... बल्कि हर विषय के पक्ष-विपक्ष को गंभीरता, परिपक्वता के साथ रखने की आजादी होनी चाहिए...

    मेरा मानना है कि अभी बहुत दूर तक जाएगा, जैसे-जैसे ब्लोगर्स की संख्या बढ़ेगी वैसे-वैसे परिपक्वता आती जाएगी... चाहे कोई कितना भी पहरे बैठाए ब्लोगिंग को जन-जन की आवाज़ तो बननी है और वोह बन कर रहेगी.

    आपके इस लेख के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद!

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  6. बस यही माहौल बना रहे।

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  7. आपने वही आत्मीयता दिखायी है लेखन में जो एक मिलनसार व्यक्ति सकारात्मकता और मिलनसारिता की ऊर्जा के साथ लिखता हो! वक्त ने थोड़ा ब्लागरी से मुझे विरत कर दिया है, पर आप लोगों ने चहल-पहल बनाये रखी है, यह काबिले-तारीफ है! सदिच्छाओं के लिये आभारी हूँ!!

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  8. फंदोलिया ही परमाणु है ,सत्ता का केंद्र है "बिजूके" से"http://kabirakhadabazarmein.blogspot.com/ मम्मी -जी" तक.फंदोलिया ही कोंग्रेस है .फंदोलिया यशोगान कीजिए .कृपया यहाँ भी आयें .
    http://veerubhai1947.blogspot.com/ और यhttp://kabirakhadabazarmein.blogspot.com/हाँ भी -शुक्रियाफंदोलिया की मार्फ़त यहाँ तक आयें हैं ,सो पहले फंदोलिया का शुक्रिया .अब आपकी सद्य -स्नाता रचना को निहारता हूँ .

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  9. हेलो कमेन्ट टेस्टिंग...हेलो...हेलो

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  10. यह प्यार बना रहे हम यह दुआ करते है .....

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  11. एक यथार्थ परक विश्लेषण प्रधान स्नेहिल भाव पूर्ण संतुलित प्रस्तुति जो अपने छोटे से कलेवर में डिजिटल कैमरा बन गई है .

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  12. आवश्यकता है केवल एक सकारात्मक सोंच और उत्साह की ---- पूरे लेख का सार इसी वाक्य में समा गया...सिर्फ हिंदी ब्लॉगिंग में ही नहीं पूरे समाज में स्नेह और प्यार के लिए इसी सकारात्मक सोच की बहुत ज़रूरत है.

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  13. वाओ ! पहला कमेन्ट आपके ब्लॉग पर पोस्ट हो पायेगा. परेशां हो गई.कई ब्लोग्स पर गई कमेन्ट गायब.इतना लिखने के बाद भी कमेन्ट पोस्ट न हो तो बहुत दुःख होता है.आखिर किसी ब्लॉग पर जाने और आर्टिकल को पढे जाने का सबूत भी तो ये कमेंट्स ही होते है न?हा हा हा
    कितने भाग्यशाली हैं आप लोग ब्लोगर्स मीट के नाम पर एक जगह सब इकठ्ठा होते हैं .मिलते हैं.मुझे भी दिल्ली आने पर एक मीट में शामिल होने का सौभाग्य मिला था.ये बात अलग है कि मुझे 'इंदु माँ' कहने वाला मेरा बेटा ही नदारद था.कोई मजबूरी रही होगी.
    ब्लोगिंग ने एक मंच तो दिया ही है विचाराभिव्यक्ति का साथ ही कई अच्छे लोगो से मिलाया भी है.
    गिनती के चंद लोग ऐसे मिले कि......... आत्मा में समा गए.
    इस ब्लोगर्स मीट का विवरण बहुत ही अच्छा किया है आपने.लग रहा है जैसे सबके बीच हूँ.
    यहाँ भी हर तरह के लोग हैं सबको अपने विचार रखने का अधिकार है.कट्टरपंथियों या....'ऐसे' लोगों के ब्लॉग पर जाए या न जाए ये तो हमारी मजी है न्? 'जिन खोजा तिन पाईयां' है न?और..........मोती या कीचड़ ????चयन हमारे हाथ में है.फिर कैसी चिंता? काहे कि नाराजगी? ज्ञान,अपनत्व,प्यार का अकूत खजाना भी है यहाँ और...गंदगी का ढेर भी.जिसे जो पसंद.....???? हा हा हा

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  14. हमारा लेखन अगर मानव मात्र के जीवन मूल्यों के उत्थान में अंश भर भी सहयोग कर पाए सार्थक होगा।
    सदविचार से निश्चित ही सदाचार फैलता है। नै्तिकता का प्रसार ही हम ब्लॉगर का कर्तव्य होना चाहिए। और इसी उद्देश्य से लेखन और मिलन होना चाहिए।

    सार्थक आपकी बात!! सार्थक आपके प्रयास!!

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  15. रोचक विवरण....

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  16. आपसी मेल-जोल और प्रत्यक्ष भेंट-मुलाकात ब्लॉगरी के लिए टॉनिक है। अवसर मिलते ही यह कर लेना चाहिए। अरविंद जी की प्रेरणा से मैंने भी कुछ सफल प्रयास किया है।

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  17. भावों में बहा कर ले गए आप.. ब्लॉग जगत के तमाम लेखकों को एक सूत्र में पिरोने का काम करती है यह पोस्ट!!

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  18. जो था दिल का दौर गया,
    मगर है नज़र में अब भी वो अंजुमन,
    वो खयाल-ए-दोस्त चमन चमन,
    वो जमाल-ए-दोस्त बदन बदन...

    -जगन्नाथ आज़ाद

    जय हिंद...

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  19. सतीश जी बहुत ही सुंदर यादो से सुयोजित हे आप की यह पोस्ट, बस जल्द ही फ़िर से एक नयी मुलाकात करेगे... इन सर्दियो मे... आज कल कुछ स्वस्थय तो कुछ दिमाग सही नही इस लिये ब्लाग जगत मे नही आ पा रहा, लेकिन कभी कभार किसी ना किसी ब्लाग पर टिपण्णियो मे जरुर आ जाता हुं, धन्यवाद

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  20. आत्मीयता व संवाद स्थापित होना अच्छा है, और भी अच्छा हो कि सकारात्मकता और बड़े सरोकारों के लिए यह संवाद किसी सेतु का निर्माण करे।

    स्मरण हेतु आभारी हूँ।

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  21. सतीश भाई यह सच है कि हिन्दी ब्लागिंग में अब वह शुरुआती जोश खरोश नहीं रहा ...कारण कई हैं -
    १-अत्यधिक गैर यथार्थपरक अपेक्षाएं -लोगों ने शुरू में समझा कि यह एक धनकमाऊ जरिया बनेगा -ऐसी सोच देश काल और परिस्थति के अनुसार अनुचित भी नहीं थी ...मगर एक उभरते क्षेत्र से बड़ी उम्मीद उचित नहीं थी -ऐसे कई प्रतिभाशाली लोग दूर हो लिए ...
    २-प्रोत्साहन का अभाव -शुरू शुरू में तो एक दूसरे की बड़ी पीठ थपथपाई हुई -कई अस्पष्ट अनाम रिश्ते भी बनते गए मगर कोई मुकाम हासिल न हुआ ...भूखे भजन न होई गोपाला ...ऐसी कीर्तन पार्टियां भी सटक लीं ३-गुरुडम-गुरुआई -चेलहाई का दौर ---यह भी खत्म हुआ -मठाधीशी के दिन लदे....मगर एक बड़ा सा स्थान रिक्त हुआ
    ४-क्षेत्रवाद जातिवाद का परचम -आभासी जगत में भी ये प्रवृत्तियाँ उभरीं जिनसे रचनात्मकता को धक्का लगा ...
    ५-कुछ लोगों द्वारा आत्म प्रचार -आत्म प्रक्षेपण की लगातार कोशिश
    ६-सिनिकल प्रलाप -लोगों के पीछे पड़ जाना -कई नामुराद प्रवृत्तियाँ कुछ लोगों के पीछे हाथ धो कर पड़ गयीं और उन्हें यहाँ से हटा कर ही दम लिया ..
    ७-मजहबी प्रचार और छुपे अजेंडे - हिंदूवादी और इस्लामी बुनियादें यहाँ भी अपनी करनी से बाज नहीं आयीं और माहौल को खराब किया और करते जा रहे हैं ..
    ८-दीगर वैकल्पिक मीडिया का प्रभाव -कई सोशल साईट प्रमुखतः फेसबुक ने लोगों को समय जो वे यहाँ देते थे में सेंध लगा दी ...
    मैं और मित्रों से आग्रह करूँगा कि वे इस सूची में अपनी बात जोड़ें ताकि एक सनद बन सके ....
    आभार

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  22. जय हो। हम लिखते तो शीर्षक यह सटाते!

    हिंदी ब्लोगिंग में स्नेह और प्यार -के सतीश सक्सेना अथाराइज्ड स्टाकिस्ट हैं यार!

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  23. मेल मिलाप होते रहना चाहिए, यही ब्लॉगिंग की उर्जा है। अच्छा लगा सभी से मिलकर।

    आभार

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  24. सच कहा आपने.... आशा है की यह सौहाद्र पूर्ण सोच सदैव कायम रहे.....

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  25. आपके विचारों से सहमत,सही कह रहे हैं.

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  26. स्नेह , प्यार और मेल -मिलाप तो ठीक है ,मगर कमेन्ट देने लेने के लिए इसकी अनिवार्यता नहीं होनी चाहिए ...
    कई लोग इसलिए ही आउट डेटेड मान लिए जाते हैं क्योंकि उनकी प्रत्यक्ष मेल मुलाकात में रूचि नहीं होती ! क्या कमेन्ट देने या लेने के लिए ब्लॉगर मीटिंग का हिस्सा बनना जरुरी ही होगा ?

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  27. मेरा भी ब्लागिन्ग से मोह भंग हुया है लेकिन यदा कदा ब्लाग पर लिखती जरूर हूँ क्यों कि इस परिवार से मोह भंग नही होता। मुझे भी दिल्ली रोहतक मे आप सब से मिल कर बहुत अच्छा लगा था। जो स्नेह इस ब्लागजगत से मिला है उसे छोडना भी नही चाहती। बहुत कुछ लिखा पडा है लेकिन टाइप करने के लिये मन नही होता। आप सब का प्यार बना रहे तो शायद फिर से उसी तरह सक्रिय हो सकूँ। धन्यवाद और शुभकामनायें।

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  28. @ वाणी गीत
    "कई लोग इसलिए ही आउट डेटेड मान लिए जाते हैं क्योंकि उनकी प्रत्यक्ष मेल मुलाकात में रूचि नहीं होती !"

    मैं आपसे सहमत हूँ अक्सर चेहरे पर नकाब लगाये हम लोग अपनी असलियत और मुख्य उद्देश्य छिपाए रहते हैं , मेरा अपना अनुभव अपनी अधिक संवेदनशीलता के कारण ख़राब रहा है !

    ब्लोगिंग में सही आदमी की पहचान वाकई एक समस्या है अक्सर चेहरा छिपाए लोग कुछ समय में ही , अपनी असलियत बता देते हैं ! अब संबंधों में व्यक्तिगत होने में बहुत सावधान रहता हूँ , अपने व्यक्तिगत जीवन में ही, समय का अभाव रहता है आभासी जीवन में भटकने से अच्छा है कि आप अपने आसपास कुछ सार्थक करें, बहुतों को हमारी जरूरत है !

    मुझे लगता है मुलाकात केवल उन लोगों से करनी चाहिए जिनसे आपके विचार मेल खाते हों अथवा दिल के कहीं अधिक नज़दीक हों ! मात्र शिकवे शिकायतों के लिए मिलना हम जैसे ५७ साला जवानों के लिए समय की बर्वादी लगता है !
    :-))

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  29. @ डॉ अरविन्द मिश्र,
    आपके उठाये बिन्दुओं में तमाम और भी जोड़े जा सकते हैं ! इस अंतहीन सागर में तरह तरह के विरोधाभास हैं और शायद चलते रहेंगे ! इन चेहरों को रोका नहीं जा सकता !
    शुभकामनायें देना ही बेहतर हैं की यह कष्ट कम से कम मिले !

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  30. .....fantastic...ji jura gaya.....salil bhaijee jo kah diye so
    kah diya........nahi t' hum kah dete..........

    aisa hai bhaijee.....jab ek-ek ratan......ek mala me jurta hai t'
    uska shobha-sundar badh jata hai...

    bakiya pyar aur saneh ka aap authorized stockist banaye gaye hain.....t' kalabazari ka dar nahi rahiga.......

    milte rahiye......milate rahiye
    hanste rahiye.....hansate rahiye..

    pranam.

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  31. वाह वाह सतीश जी बिल्कुल सही आकलन किया है …………ब्लोगर मीट के बहाने कितने अपने मिल जाते हैं और एक नया संसार बस जाता है।

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  32. आपने स्नेहपूर्वक याद किया, आभार

    मेरा व्यक्तिगत मत है कि आपसी मेलजोल होते रहने चाहिए। वास्तविक संवादहीनता, आभासी संवादों के बावज़ूद कई दुश्वारियाँ खड़ी कर देती हैं। इन मुलाकातों का घोर विरोध करते या जानबूझ कर ना जाने वालों में मैंने अक्सर उन लोगों को देखा है जो अपने वास्तविक प्रोफ़ाईल के अलावा छद्म प्रोफ़ाईल द्वारा भी सक्रिय रहते हैं।

    @ वाणी जी
    टिप्पणियों का मुलाकातों से कोई संबंध नहीं है। कई ऐसे साथी हैं जिनसे पारिवारिक प्रगाढ़ता हो चुकी किन्तु ना तो वे मेरी पोस्टों पर कमेंट करते दिखेंगे और ना मैं इस तरह की कोशिश करता हूँ। कई ऐसे हैं जिन्हें मैं जानता तक नहीं लेकिन नियमित टिप्पणियाँ दोनों ओर चलती हैं

    सतीश जी को धन्यवाद इस विषय पर कलम चलाने का

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  33. यह पोस्ट और उस पर आईं टिप्पणियां मानो हिंदी ब्लॉगिंग की अब तक की यात्रा का निचोड़ है। सभी ब्लॉगरों से कुछ न कुछ सीखता रहा हूं। यथासंभव अपनी ओर से भी छिटपुट प्रयास जारी है। आप सबकी बातों पर अमल का प्रयास रहेगा।

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  34. @पाठकों की वाह-वाह करती टिप्पणियों की बेपनाह शक्ति, यहाँ मूर्ख को विद्वान् और विद्वान् को नासमझ बनाने में समर्थ है !

    हाँ एक बाबा तो विद्वानों की पंगत में बैठ ही चूका है :)

    बहुत दिन हो गए, टुकड़े टुकड़े में सभी मिलते है .... सक्सेनाजी, आप कुछ 'जुगाड' कर के सभी को मिला दें.... वास्तव में बहुत समय हो गया मिले हुए.

    @यह प्यार बना रहे हम यह दुआ करते है ....
    सही में .

    @हिंदी ब्लोगिंग में स्नेह और प्यार -के सतीश सक्सेना अथाराइज्ड स्टाकिस्ट हैं यार!
    वाह - फुरसतिया जी की टीप तो वाकाई कबीले गौर है .

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  35. Aabhasi duniya ke liye aabhasi post bahut baaton k liye prerak hai

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  36. हिंदी ब्लोगिंग में स्नेह और प्यार--
    अरविंद जी ने चिंगारी जलाई --हमने हवा दी --आपने उसे चरम सीमा पर पहुंचा दिया .

    बहुत सुन्दर यादें संजोई हैं ब्लोगर मीट्स की .
    साथ ही उतना ही बढ़िया विश्लेषण किया है ब्लोगिंग और ब्लोगर्स का .

    पाठकों की वाह -वाह करती टिप्पणियों की बेपनाह शक्ति, यहाँ मूर्ख को विद्वान् और विद्वान् को नासमझ बनाने में समर्थ है !
    यह भी एक कटु सत्य है .
    आखिरी वाक्य में ब्लोगिंग का सार है . शुभकामनायें सतीश भाई .

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  37. अरविंद जी द्वारा सुझाये गए कारण सोचने पर मजबूर करते हैं .
    ब्लोगर मिलन के बारे में आपके विचारों से भी सहमत हूँ .

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  38. vah muje
    too bahut aacha laga,
    ham eek hai

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  39. sahmat hun aapse ........
    achhi post kuch sikhne ko mil raha hai.
    aabhar aapka .......

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  40. सतीश जी,
    निश्चित रूप से आपकी आत्मीयता ब्लॉग जगत को प्रभावित करती है और आपका व्यक्तित्व उन्हें बार-बार आकर्षित करता है , यही कारण है कि आप ब्लॉग जगत के सबसे प्यारे ,सबसे दुलारे और सबसे न्यारे सदस्य हैं , आपकी सबसे बड़ी विशेषता है बिना किसी तामझाम के अपनी बात सहज-सरल ढंग से कह देना, बस यही विशेषता मुझे बहुत पसंद है ! बस ऐसे ही जगाये रखें अलख और जोड़े रहें अपने साथ सभी को, मेरी शुभकामनाएं आपके साथ है !

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  41. अच्छा लगा, इतने सारे ब्लोगर्स को आपस में मिलते-जुलते देख...जिनकी लेखनी से परिचय रहता है...उनसे मिलने हमेशा ही सुखद लगता है...

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  42. ब्लागिंग पर इतना विचार-विमर्ष बहुत अच्छा लगा.यह
    सच है कि सोच-समझ कर लिखी गई टिप्पणियाँ ब्लागर का मनोबल बढ़ा देती हैं.

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  43. अपना स्नेह बनाए रखें

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  44. अरविन्द मिश्र जी आप ने बहुत बेहतरीन बातें सामने रखीं लेकिन मुझे लगता है यह बात अधिकतर ब्लोगर समझते भी हैं लेकिन इस से अलग हट कर कुछ कर नहीं पा रहे और अगर कोई इसके खिलाफ आवाज़ उठता है तो वो अकेला पड़ जाया करता है. शाहनवाज़ ने भे बहुत सही कहा हर कोई अपने मित्रों की गलत बात का भी समर्थन करते हुए दिखाई देता है.
    .
    इसमें एक इसमें और जोड़ दें यहाँ सकारात्मक सोंच और विश्वास की कमी भी हैं और इसी कारण से बहुत से ब्लॉगर यहाँ चाह के भी आगे नहीं बढ़ते और हतोत्साहित भी हो जाते हैं.
    बाकी मिलते जुलते रहो एक दुसरे के बारे अच्छा सोंचो और सामाजिक सरोकारों से जुडो हिंदी ब्लॉगजगत का भी भला होगा और खुद का भी.
    .
    खुशदीप सहगल जी एक ऐसे ब्लॉगर मैं जिनको मैं एक नेक दिल इंसान की श्रेणी मैं रखता हूं . जब भी इनको लगा मासूम भाई को कोई मुश्किल है मेरा हाल चाल हमेशा पूछा.

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  45. bahut barhiya lekh hindi blogging se jude logon ke liye... likhi gayee baten sahi hain magar naye bloggers ki hauslaafzaai bhi to jaroori hai

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  46. @ रविन्द्र प्रभात जी ,
    @ "...यही कारण है कि आप ब्लॉग जगत के सबसे प्यारे ,सबसे दुलारे और सबसे न्यारे सदस्य हैं ,....."

    निश्चित ही ऐसे वाक्य दुर्लभ हैं और बहुत कम प्रयुक्त होते हैं ! आप जैसे विद्वान व्यक्तित्व से यह शब्द मिलना निस्संदेह गर्व का विषय हैं ! मुक्त ह्रदय प्रसंशा ब्लॉग जगत में दुर्लभ है जो अक्सर झिझकते हुए प्रयोग में लायी जाती है अथवा अक्सर प्रयुक्त ही नहीं की जाती ! अगर कोई योग्य विद्वान से प्रसंशा मिले तो अपनी प्रसंशा मुझे भी उतनी ही अच्छी लगती है जितनी कि किसी और को ! सो इस सम्मान हेतु आपका आभार प्रकट करता हूँ !

    ब्लॉग जगत में मुक्त ह्रदय से न मिल पाना और योग्यता का खुल कर सम्मान न कर पाना शायद सबसे बड़ी कमी पाई जाती है और ऐसे संक्रमण काल में आपका योगदान और परिश्रम सराहनीय है !

    इस नीरस काल में आपने जिस काम का संकल्प लिया है वह बेहद दुष्कर कार्य है , मुझे पूरी आशा है कि विपरीत परिस्थितियों के होते हुए भी आप इतिहास के साथ न्याय करेंगे !

    हार्दिक शुभकामनायें आपको !

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  47. इस ५७ साल के नौजवान द्वारा लिखी गई इस पोस्ट की नजाकत और खुशबू बडी भीनी भीनी लग रही है, आलेख और टिप्पणियों में व्यक्त किये गये विचार अत्यंत गहराई से व्यक्त किये गये हैं.

    रामराम.

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  48. इस ५७ साल के नौजवान द्वारा लिखी गई इस पोस्ट की नजाकत और खुशबू बडी भीनी भीनी लग रही है, आलेख और टिप्पणियों में व्यक्त किये गये विचार अत्यंत गहराई से व्यक्त किये गये हैं.

    रामराम.

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  49. इस ५७ साल के नौजवान द्वारा लिखी गई इस पोस्ट की नजाकत और खुशबू बडी भीनी भीनी लग रही है, आलेख और टिप्पणियों में व्यक्त किये गये विचार अत्यंत गहराई से व्यक्त किये गये हैं.

    रामराम.

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  50. @ दीपक बाबा ,
    कौन से बाबा की बात कर रहे हो यार ....??

    @ एस एम् मासूम ,
    "खुशदीप सहगल जी एक ऐसे ब्लॉगर मैं जिनको मैं एक नेक दिल इंसान की श्रेणी मैं रखता हूं . जब भी इनको लगा मासूम भाई को कोई मुश्किल है मेरा हाल चाल हमेशा पूछा ...."

    अरे अरे मासूम भाई ...
    हम भी आप जैसे बढ़िया इंसान के लिए खुशदीप भाई के पीछे खड़े हैं ...ऐसे क्यों मायूस नज़र आते हैं ??

    @ मान जाऊंगा ....
    "नए ब्लोग्गेर्स की हौसलाफजाई भी तो जरूरी है "

    बेशक ! सबसे आवश्यक आज के समय में यही है अगर नए साथी आगे नहीं आयेगे तो नया पढोगे क्या ...?

    शुभकामनायें आपके लिए !

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  51. apki sari bate sahi.'

    me next blog meet me aa pau ya nahi lekin abhi se kalpana karne lagi hun. :)

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  52. भैया,
    आप जैसे ही और भी बहुत से लोगों के प्रयास और स्नेह से जो स्नेहमयी वातावरण ब्लॉग जगत मे बन रहा है और जिसकी वजह से नयी नयी प्रतिभाएँ उभर कर आ रही है वाकई काबिले तारीफ है, ब्लॉग परिवार के लिए हार्दिक शुभकामना।

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  53. हिन्दी ब्लाग जगत को एकता के सूत्र में पिरोए रखने के आपके इस नेक प्रयास में उत्तरोत्तर सफलता मिलती रह सके । शुभकामनाएँ...

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  54. सतीश भाई ,
    अपने घर , मोहल्ले और आफिस से बाहर की दुनिया में इंटरेक्ट करने का प्लेटफार्म मान लीजिए ब्लागस्पाट .काम को ! कौन अच्छा या कौन बुरा लिखता है , के मानदंडों को भूलकर कभी यह भी सोचिये कि हम सभी बेझिझक अभिव्यक्त हो पा रहे हैं ! चाहे जैसे भी हैं ,जो भी हैं !
    मां जाए ,विवाहजन्य ,सहपाठिता ,सहवासिता जैसे परम्परागत माध्यमों से इतर , संबंधों के स्थापित होने की यह अद्यतन विधा है / अद्यतन तकनीक है ! वर्चुअल / आभासी से विजुअल / फिजिकल सांसारिकता में प्रवेश इस बात का प्रमाण है कि हम समाज के जटिल और विकसित आयाम में मौजूद हैं जहां संबंधों की शुरुवात दैहिक नैकट्य की अनिवार्यता पर आधारित नहीं है !
    ब्लागर मिलन को कम से कम मैं तो इसी नज़रिए से ही देखता हूं फिर चाहे मिलन के समय का प्रेम / सौहार्द्य असली हो या कि नकली ! सोचता हूं यह भविष्य का समाज है जहां संबंधों में सुदीर्घ दैहिक संसर्ग के बनिस्बत अल्पकालिक दैहिक संसर्ग
    प्रेम और स्नेह यहां तक कि घृणा के भी प्रकटन का नया मंच (अंतरजाल) एक नए किस्म की स्वजनता (नातेदारी) को विकसित कर रहा है ,अंतर्जालीय स्वजनता !
    अब आप ही कहिये बतौर ब्लागर मैं आपका अंतरजाल स्वजन हूं कि नहीं :)

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  55. बहुत छोटी जगह पर बैठा हूँ। नाम मात्र के ब्‍लॉगर हैं यहॉं और वे भी आपस में नहीं मिलते। जो कुछ आपने लिखा है, वैसा कोई अनुभव मुझे अब तक नहीं हुआ है। मौका मिलेगा तो ऐसे समागम में भाग लेने की कोशिश अवश्‍य करूँगा।

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  56. प्रेरणादायक पोस्ट. आपके सकारात्मक विचारों के तो हम कभी से कायल हैं. हाँ एक बात याद आ गयी. ताऊ प्रेसिडेंट की कुर्सी के लिए लालायित है. अब तो लगता है मंत्री मंडल तो आप का ही बनेगा. ताऊ का ख्याल रखियो.

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  57. अली भाई ,

    वाकई हम अपने आपको अभिव्यक्त करने में बखूबी सफल हो रहे हैं ! इन्टरनेट स्वजन होने के साथ साथ ही, पसंद नापसंद का एक बड़ा मज़बूत समीकरण बनता जाता है यहाँ जिसका वास्तविक जीवन पर बड़ा गहरा प्रभाव पड़ता है !

    जहाँ तक आपका सवाल है आप अंतर्जाल स्वजन से अधिक नज़दीक हैं ....

    आजमाइए कभी :-)

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  58. नमस्ते अंकल...
    बात तो सही है कि पहल के कारण कई बार बहुत सी बातें यूँही बीत जाती हैं...
    बहुत से मौके यूँही निकल जाते हैं, और फ़िर सिर्फ एक पछतावा हाँथ लगता है...
    रही बात ब्लॉगिंग की, तो जब भी हम जैसे नए बच्चे इस बड़ी दुनिया में आते हैं तो जिसकी उंगली पहले मिल गई उसीका हाँथ पकड़, उसीके दिखाए रास्ते में आगे चल देते हैं... यदि आप जैसे लोग मिल गए रास्ता दिखने और समझाने के लिए तब तो सफलता कहीं जा ही नहीं सकती... पर यदि धोखे से कट्टरता या नीति वाले लोग मिल गए तो फ़िर हम भी वैसे ही बन जाते हैं...
    और जो बड़े यदि गलत राह में चले भी गए तो भी आप लोग हैं न...
    और ब्लॉगिंग को आज हर कोई अपने लिए एक ऐसा platform मानते हैं जहाँ वो अपनी बातें सबसे शेयर कर सकें...
    और कमेंट्स कि तो बात... वाह जी वाह... कई बार लोग ये भी नहीं पढ़ते कि पोस्ट किस बारे में है या उसमें लिखा क्या है, बस लिख देते हैं कि बड़ा अच्छा लगा पढ़कर... भाले ही पोस्ट में किसी की तबियत ख़राब होने की खबर या किसी कि मृत्यु का शोक-सन्देश हो...
    पर आज आपकी ये पोस्ट पढ़कर सीख भी लिया जैसे वास्तविकता व्यक्त ऐसे की जाती है...

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  59. सच कह रहे हैं...यही मेल मुलाकात एक सुदृढ़ एवं स्वस्थ परम्परा का निर्माण करते हैं...अच्छे लोगों से मिलने का मौका देते हैं..यही सब तो इस जीवन की उपल्बधियाँ हैं....आपसे मिले..लगा ही नहीं कि पहली बार मिले हों...

    बहुत अच्छा लगा आज पढ़कर इस विषय में...

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  60. ब्लौगिंग भी अब एक परिवार का रूप लेती जा रही है.

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  61. सतीश जी ,
    लोगों से मिलना एक नया अनुभव देता है ..जिम्के विचारों को पढते हैं उनसे सामने रु ब रु हो कर मिलने में असीम आनन्द मिलता है ..कुछ लोगों से मुलाकत मेरी भी हुई है बात तो ज्यादा नहीं हो पायी पर फिर भी मिलने के बाद ज्यादा करीबी लगते हैं .. आपसे अभी तक मुलाक़ात नहीं हो पायी है ... आपकी पोस्ट्स और टिप्पणियों से आपकी संवेदनशीलता का एहसास होता है ..

    टिप्पणियों पर आपने अपने सटीक विचार दिए हैं ..

    जहाँ एक ओर नए ब्लोगर को मिली टिप्पणी, उसमें नवजीवन संचार कर, बेहतर लेखन की प्रेरणा देती हैं वही टिप्पणी, किसी स्वच्छ चादर में लिपटे धूर्त को, रावण बनाने में समर्थ है !

    सार्थक टिप्पणी सच ही मनोबल बढती हैं ... आभार

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  62. भाई सतीश जी आपका बहुत -बहुत आभार |ब्लाग और ब्लागिंग पर आपका शानदार विवेचन और यह सुंदर आलेख पढ़कर बहुत ही अच्छा लगा |बहुत -बहुत बधाई |

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  63. भाई सतीश जी आपका बहुत -बहुत आभार |ब्लाग और ब्लागिंग पर आपका शानदार विवेचन और यह सुंदर आलेख पढ़कर बहुत ही अच्छा लगा |बहुत -बहुत बधाई |

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  64. आदरणीया सतीश जी ,
    मेरी टिप्पणी पर गौर कर उसका जवाब देने के लिए आभार ...

    आदरणीया पाबला जी ,
    मेरी यह टिप्पणी व्यक्तिगत नहीं है , ब्लॉग -संसार में दो वर्षीय विचरण का सार है , बहुत से ब्लॉगर्स देखे हैं जो कई वर्षों की सक्रियता के बाद भी टिप्पणियों से वंचित रहे , मगर अचानक कई ब्लॉग मीट के सदस्य बने और टिप्पणियों में उनकी पूछ -परख बढ़ गयी , लिखते तो वे हमेशा से बढ़िया ही थे ...

    ब्लॉग जगत के एक पहलू की ओर ध्यान आकर्षित करने का यत्न अथवा मेरी जिज्ञासा कि क्या ऐसा ही है ?? जो उचित समझे वही मान लें !

    यदि व्यक्तिगत बात करूँ तो मैंने बहुत कुछ सिखा है यहाँ , लेखन भी, और वह भी वरिष्ठ विद्वान/विदुषी ब्लॉगर्स के प्रोत्साहन के कारण ही , इसलिए टिप्पणियों की महत्ता से मुझे इंकार भी नहीं है !

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  65. @ पूजा ,
    इतनी प्यारी दोस्त इतना प्यारा ख़त लिखे तो कम से कम ब्लोगिंग सफल मानता हूँ लड़की !

    यह सच है कि संगति का असर अक्सर गहरा होता है खास तौर पर यदि वह मासूमों के साथ हो ...यहीं पर हाथ की उंगली का महत्व पता चलता है जो तुमने अपनी इस टिप्पणी में बखूबी व्यक्त किया है ! गलती अगर हो ही जाए तो भी जो तुम्हारे श्रेष्ठ शुभचिंतक हैं वे अवश्य आयेंगे, तुम्हे राह बताने मगर ऐसे लोगों को अपने जीवन में एक बेहतर स्थान देकर अवश्य रखना !

    यह लोग ही अमूल्य होते हैं ...यह सबकी किस्मत में नहीं होते बच्चे ! मूर्खों को अक्सर इनकी कद्र नहीं होती और फिर हजारों कि भीड़ में पूरे जीवन फिर यह आसानी से नहीं मिलते !

    अतः ऐसे अपनों की पहचान रखना आवश्यक है अपने परिवार और मित्रों में...
    निंदक नियरे राखिये आंगन कुटी छवाय !
    यह लोग तारीफ़ नहीं करते पूजा .....
    जारी ....

    ReplyDelete

  66. @ पूजा ,
    जितना मैं तुम्हे जानता हूँ, बेहतरीन पारिवारिक संस्कार, हिम्मत और कुशाग्र बुद्धि के साथ तुम बेजोड़ हो !

    तुम्हारे माता पिता यकीनन गर्वित होंगे ऐसी प्यारी बेटी पाकर !
    सस्नेह हार्दिक शुभकामनायें !!

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  67. सतीश भाई इशारों ही इशारों में आपने बहुत कुछ कह दिया इस आभासी दुनिया के बारे में। कहते हैं समझदार के लिए इशारा भी काफी है। पर जो न समझे वह या तो अनाड़ी है या फिर क्‍या कहें...।
    *

    सचमुच मुझे भी यह चिंता की बात ही लगती है कि ब्‍लागिंग में सकारात्‍मक रूप से सोचने वालों की आवाजाही लगातार कम होती जा रही है। कोई भी विचार विमर्श जब स्‍वाभाविक रूप से सामने आता है तो उसमें टिप्‍पणी करने का मन भी करता है। पर यहां तो स्‍कूल या कालेज की वादविवाद प्रतियोगिता की तरह खोज खोजकर ऐसे विषय सामने रखे जाते हैं,जिनमें या तो लोगों के सिर फूटते हैं या फिर‍ दिल टूटते हैं। यह बात अगर ऐसा करने वाले समझ लें तो ब्‍लागिंग का भला भले ही न हो, पर कम से कम नुकसान तो नहीं होगा।
    *

    ब्‍लागिंग के संदर्भ में अपनी चिंताओं को इस रूप में रखने के लिए शुक्रिया।

    ReplyDelete
  68. @ वाणी गीत ,
    आपकी बात से मैं काफी हद तक सहमत हूँ ...
    व्यक्तिगत मीटिंग्स का बिना कहे यह फायदा होता है कि उन साथियों द्वारा आपकी पोस्ट पढनी शुरू की जाती है जो पहले आपके ब्लॉग को जानते ही नहीं थे मगर वे लगातार ख़राब लेखन के बावजूद कमेन्ट देते रहेंगे ऐसा नहीं लगता !

    मैं कई बेहतरीन ब्लोग्स पर कमेन्ट नहीं दे पाता उसका कारण उस पोस्ट के विषय पर कम ज्ञान होना अथवा पोस्ट के मर्म को न समझ पाना होता है ! आप यकीन माने वे मुझसे कई गुना अधिक समझदार और ज्ञानवान हैं मगर मैं वहां मजबूर महसूस करता हूँ क्योंकि मैं उस ज्ञान के सामने तिनका भी नहीं ...

    वहां लिखूं क्या ...??? :-(

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  69. अरे! वाणी जी मैंने कतई इसे व्यक्तिगत नहीं माना था

    वो तो एक सामान्य सी प्रतिक्रिया थी
    आपने शायद अन्यथा ले लिया

    हा हा हा

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  70. राजेश उत्साही जी ,
    ब्लोगिंग के लिए सबसे बड़ा खतरा इसी ब्लोगिंग के नशे से है, भरपूर जोश और उत्तेजना में बेहद नुक्सान की सम्भावना रहती है चूंकि यहाँ पर पाठकों की कमी नहीं है अतः जोशीली और स्मार्ट कलम अक्सर नुक्सान करते नज़र आती है अफ़सोस है कि लोग जब तक पहचानते हैं तब तक देर हो चुकी होती है !
    मगर यह तो समाज का हिस्सा है बचोगे कैसे ?

    ReplyDelete
  71. first of all... thank you so much Uncle... for this appreciation...
    पर कल एक बात लिखने को रह गई थी, जो आज खुद का कमेन्ट पढ़कर याद आई... वो ये, कि मैं आज तक किसी भी सम्मलेन, ब्लॉगर मीत का हिस्सा नहीं बन पाई, और न ही किसी ब्लॉगर से face-to-face मिल पाई... परन्तु जिनसे भी इन पोस्ट्स/कमेंट्स के ज़रिये, फ़ोन पे या chats में मिली यकीनन उन सभी से बहुत प्यार मिला... और आप लोग जब भी ऐसे किसी मेल-मिलाप की पोस्ट लगाते हैं पढ़ के अपने-आप को उसका हिस्सा मान लेती हूँ... और भविष्य में जरूर आप सभी से मिलना चाहूंगी... जल्दी ही...
    और माँ-पापा के लिए तो जितना कर सकूंगी कम होगा... पर चाहत यही रहेगी कि न सिर्फ उन्हें बल्कि आप सभी को भी मुझ पर गर्व हो... और मेरी वजह से कभी किसी को नज़र नीची न करना पड़े...
    बस आप लोग यूँही मार्गदर्शन कर आशीर्वाद देते रहिएगा...
    :)

    ReplyDelete
  72. सकारात्मक ऊर्जा का संचार करने वाला ....बढ़िया लेख

    ReplyDelete
  73. सच कहा आपने, एक सकारात्मक सोच ही हिंदी ब्लोगिंग को समृद्ध कर सकती है ! और यह हम सभी ब्लागर्स का कर्तव्य बन जाता है कि हम अपनी लेखनी द्वारा ऐसे ही सकारात्मक उर्जा का सृजन कर उसे लोगों तक पहुंचाएं !
    आभार !

    ReplyDelete
  74. सार्थक मुद्दों को उठाती सह्रदय पोस्ट .शुक्रिया सतीश भाई .कृपया यहाँ भी http://kabirakhadabazarmein.blogspot.com/पधारें -
    http://sb.samwaad.com/

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  75. बहुत प्यार, बहुत शोहरत दी ब्लॉग ने. बहुत से लोग अपने हुए लेकिन घटना ने सारा कुछ तोड़ दिया. सतीश जी, आप को भी वो घटना याद है. बस, तभी से ब्लॉग छूट गया. ६-७ माह बाद फेसबुक पर आया और वहां भी काफ़ी लोग मिले. सब ठीक लगता है लेकिन ब्लॉग पर वापसी के बारे में सोचते ही फिर वही भूत खड़ा हो जाता है...क्या करूं?

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  76. हम भी आप जैसे बढ़िया इंसान के लिए खुशदीप भाई के पीछे खड़े हैं ...ऐसे क्यों मायूस नज़र आते हैं ??
    .
    इंसान तो बस इंसान हुआ करता है मैं भी कोशिश करता हूं एक इंसान बनने की. अच्छा या बुरा तो दुनिया बनाया करती है.
    सतीश भाई मायूसी मुझे कभी नहीं होती क्यों कि हाथ कि पांचो उँगलियाँ बराबर कभी नहीं हुआ करती तो सभी से एक जैसी आशा कैसे कि जा सकती है?
    भाई पीछे कब तक खड़े रहेंगे खुशदीप भाई कि तरह सामने आयें. :)

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  77. मेल से मिली रेखा श्रीवास्तव की टिप्पणी .....

    बहुत अर्थपूर्ण पोस्ट है आपकी , सभी ब्लोग्गेर्स का आपस में मिलना एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है. हम समझ पाते हैं एक दूसरे को. मैंने दिल्ली में 30 अप्रैल वाली मीट में शिरकत की थी .
    व्यक्तिगत रूप से जिनसे मिल पायी बहुत अच्छा लगा .
    टिप्पणी उत्साह बढाती हैं लेकिन कभी कभी लगता है कि टिप्पणियां सिर्फ और सिर्फ औपचरिकता मात्र बन जाती हैं क्योंकि हम आपको नियमित टिप्पणी देते हैं इसलिए आप को देना ही है .
    उस पोस्ट की गुणवत्ता और स्तर को देखें तो मेरी दृष्टि से उतनी अच्छी नहीं होती जितनी कि उसकी प्रसंशा में कहे गए शब्द बोलते हैं . हमारे ब्लॉगर भाई बहन इसको अन्यथा न लें .
    ब्लॉगिंग में आरोप -प्रत्यारोपों की राजनीति भी इसको दूषित करने लगती है . ये एक स्वस्थ चिंतन और लेखन है . कितना कुछ दे जाता है हमको , हम किसी की पीड़ा को और किसी के गम को बाँट नहीं सकते लेकिन उस लिखने वाले को महसूस कर सकते हैं . उसमें भागीदार हो सकते हैं . एक मानवता का पथ सिखा रहे हैं हमारे
    ब्लॉग . इसमें मीलों और कोसों की दूरी मायने नहीं रखती है बल्कि हम सबको अपने बहुत करीब पाते हैं . जिसमें देश की
    सीमायें भी कोई बंधन नहीं बन पाती हैं .
    ये एक परिवार है और हमें आपस में मिलते रहना चाहिए .जहाँ भी मौका मिले . किसी बड़े ताम झाम की जरूरत नहीं है .वैसे तो मिलाने को तो एक शहर में मिलकर भी नहीं मिल पाते हैं .
    हमारा ब्लॉगर परिवार सदा एक रहे और अच्छा लिखे और अपनी सोच और लेखनी को सार्थक बनता रहे .यही मेरी कामना है .
    वैसे आपके इस लेख के साथ बता दूं कि मैं अब बहुत नियमित नहीं रह पाती हूं क्योंकि मेरी बहुत सी मजबूरियां बन गयीं हैं फिर भी जब भी मौका मिलता है मैं आ जाती हूं.

    ReplyDelete
  78. @ सर्वत भाई ,
    स्वागत है आपका ...
    भुला दीजिये उस घटना को, संवेदनशीलता का गैरों से क्या मतलब ....संवेदनशील की कद्र कितने लोग कर पाते हैं ? आप समझदार हैं और अनुभवी भी , आशा है उसे भूल, ब्लॉग पर नियमित होंगे ! आपकी प्यारी लेखनी की हमें और आपके चाहने वालों को बहुत जरूरत है !
    आशा है अपना और हमारा ध्यान रखेंगे !

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  79. इस ब्लोगर्स मीट का विवरण बहुत ही अच्छा किया है

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  80. आप के ब्लॉग पर आने से मधुमेह हो जाने का खतरा बढ़ जाता हैं .

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  81. सतीश जी
    नमस्कार !
    हिंदी ब्लॉगिंग पूरे समाज में स्नेह और प्यार के लिए इसी सकारात्मक सोच की बहुत ज़रूरत है....!

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  82. सतीश जी
    सुंदर आलेख पढ़कर बहुत ही अच्छा लगा.....शुभकामनाएँ

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  83. अपने समाज के बारे में और मेल-मिलाप की कोशिशों के बारे में पढ़कर ख़ुशी हुई.मैं अभी जल्दी सक्रिय हुआ हूँ,पिछले चार महीनों में अजय झा,अमरेन्द्र नाथ त्रिपाठी,अनूप शुक्ल,निशांत मिश्र,अविनाश वाचस्पति से मिल चुका हूँ.प्रवीण त्रिवेदी से जब-तब मुलाकात होती रहती है.बड़ा अच्छा लगता है.
    अरविन्द मिश्र जी के आने की खबर पिछले दिनों मिली थी,पर भेंट नहीं हो सकी.उनकी पोस्ट में ज़रूर आपसे मुलाकात का ब्यौरा पढ़ा था. ऐसी मेल-मुलाकातें चलती रहनी चाहिए !

    ReplyDelete
  84. ब्लॉग परिवार का ढोंग करने से क्या हासिल होता हैं
    क्या आप के साथ कभी नहीं हुआ की इस परिवार के पीछे आप ने सच को नकार दिया वहाँ कमेन्ट नहीं दिया जहां आप के मित्र ब्लोग्गर गलत लिखते हैं क्या कभी आप की आत्मा ने आप को कचोटा हैं की हाँ मैने गलत किया इस मुद्दे पर अपने ख्याल ना देकर क्युकी ये मेरे दोस्त का ब्लॉग था और मेरे कमेन्ट करने से वो नाराज हो जाएगा
    परिवार तो बच जाता हैं सतीश जी पर समाज रीढ़ विहीन हो जाता हैं जब हम मुद्दों से बचते हैं और स्नेह और समझदारी की बात करते हैं केवल इस लिये की टिप्पणी की संख्या में कमी

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  85. सतीश जी आज आपकी इस पोस्ट ने बहुत सारा अपनत्व जगा दिया है अपने सारे ब्लॉगर दोस्तों के लिये .. मेरी ईश्वर से प्रार्थना है कि हम सभी इसी तरह प्रेम और मित्रता के एक सूत्र में बंध कर रहे हमेशा ... ..

    आभार

    विजय

    कृपया मेरी नयी कविता " फूल, चाय और बारिश " को पढकर अपनी बहुमूल्य राय दिजियेंगा . लिंक है : http://poemsofvijay.blogspot.com/2011/07/blog-post_22.html

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  86. ओह यहां तो सही में मधुमेह का स्तर बढा हुआ है हूजूर. बढाते रहिये.:)

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  87. पता नहीं किसने रचना नाम रख दिया, रचनात्मकता तो जरा सी भी नहीं है। हमेशा दूसरों के ब्लॉग खंगालती रहती है और फिर अपनी ‘दुकान’ चलाती है। दुकान ही नहीं, बल्कि हमेशा जहर उगलती है। हमेशा दूसरों से असहमत। जरूर कभी ना कभी कुछ ना कुछ हादसा हुआ होगा, तभी तो खासकर पुरुषों से नहीं बनती।
    रचना, यह ब्लॉग है। पहले ब्लॉग का मतलब समझो, फिर बात बनाना। हिन्दी में इसका मतलब है कि ऑनलाइन डायरी। जिसकी यह डायरी है, वो कुछ भी लिखे, तुम्हे क्यों खुजली होती है? पहली बात तो तुम्हे किसी की डायरी पढने का अधिकार ही नहीं है, फिर बन्दे ने अगर सभी को अपनी डायरी पढने की सुविधा दे रखी है, तो हमेशा उसपर तंज कसने की जरुरत नहीं है। यहां आकर तुम्हारा हाजमा खराब होता है, यहां लिखी बातें तुम्हें पचती नहीं हैं तो यहां आती ही क्यों हो?
    और तुम्हें तो यहां आना ही पडेगा। क्योंकि तुम्हें भी तो अपनी दुकान चलानी है, कुछ मौलिक तो तुम्हारे पास है नहीं। मैं तुमसे भले ही उम्र में छोटा हूं, इसलिये मेरी मां बनने की कोशिश मत करना। जब भी मैं तुमसे असहमत होता हूं और कुछ कह देता हूं तो हमेशा कहती हो कि तुम मेरी मां की उम्र की हो। मैं ऐसी भावनाओं में बहने वाला नहीं हूं। बिना लाग लपेट के कुछ कहने का अधिकार केवल तुम्हे ही नहीं है।

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  88. @ आवश्यकता है केवल एक सकारात्मक सोंच और उत्साह की जिसके प्रभाव से नकारात्मक शक्तियों का ह्रास हो और बेहतर लोग समाज और देश के शुभ निर्माण में लगें !

    *** आपसे सहमत ... और ऊपर कही गई सारी बातों से सहमत।
    *** दो साल ब्लॉगजगत में होने को आए। अब तक अपनी राह आप बनाकर चलता चल वाली स्थिति है .. आगे भी रहेगी। इसमें टिप्पणियों से प्रोत्साहन तो रहा है, मोह नहीं।
    ** जब तक कोई पोस्ट भड़काऊ, जाति-धर्म विद्वेश फैलाने वाली या व्यक्तिविशेष को केन्द्रीत कर आक्रोश और उन्माद से न लिखा गया हो मैं उसे अच्छा ही मानता हूं और सब पर जाकर टिप्पणी देना पसंद करता हूं।

    *** अब तक किसी ब्लॉगर मीट में नहीं गया। कम से कम अफ़सोस नहीं है। हां, जहां तक मिलने मिलाने की बात होती है जहां दिल मिलते हैं, समय और सुअवसर हाथ लगता है मिल ही लेते हैं।

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  89. मैं तो इतना ही कहूँगी की ये बात कुछ हजम नहीं हुई.......दावत खाए कोई और हम खाली तस्वीरें देख कर मुह में पानी भर कर ही रह जाएँ....हा हा हा अच्छा लगा तस्वीरों के जरिये सब कुछ जानना बहुत अपना पण और स्नेह से भरी पोस्ट. शुभ कामनाएं

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  90. Wish you a very happy friendship day Sir ji .........

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  91. This comment has been removed by a blog administrator.

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  92. आदरणीय सतीश जी, आपके कहने पर हमने बेनामी का आप्शन बंद कर दिया अपने कई दर्जन ब्लॉग से लेकिन ख़ुद आपने खोल लिया , ऐसी क्या मजबूरी आ पड़ी ?
    आपने बेनामी का आप्शन खोलने वालों की नीयत पर हमेशा शक किया है।
    क्या अब आपके विचार बदल गए हैं ?
    आपके ब्लॉग पर बेनामी टिप्पणी को पब्लिश होते देखकर मैं यही सोच रहा हूं।

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  93. डॉ अनवर जमाल
    यह हमारे किसी ब्लोगर ने मेरे ही किसी पुराने सन्दर्भ को लेकर गलती से मेरे ही यहाँ दिया है जिसको भूल वश देना, मेल द्वारा, स्वीकार भी किया है ! बहरहाल इसे मैं डिलीट कर रहा हूँ !

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  94. चलिए इस बहाने एक शतक पूरा हुआ .
    मुबारक हो .

    ReplyDelete
  95. बहुत अच्छा विचारोत्तेजक लेख । बधाई स्वीकारें । सकारात्मक सोच की आवश्यकता जीवन के हर पहलू में है इसलिए ब्लागिंग में भी । ब्लोगिंग का प्लेटफॉर्म अभिव्यक्ति,विचारों के आदान-प्रदान तथा जान-पहचान का अच्छा अवसर प्रदान करता है । मीडिया कम्यूनिकेशन और परस्पर संवाद के अन्य साधनों में जितना नियंत्रण या सेंसर है बस उतना ही संभव है यहाँ भी उससे अधिक हो नहीं पाएगा। जरूरत है स्वविवेक की । मेरा मानना है टिकता वही है जो सच है या अच्छा है । सच देर सबेर उजागर हो ही जाता है । नकारात्मक सोच को बढ़ावा तभी मिलता है जब हम उसे सही सोच में बदलने की कोशिश करते हैं , उसे छोड़ देने या नकार देने से वो स्वत: लुप्त होने लगती है । ये कुछ अंधेरे से लड़ने के लिए दिया जलाने जैसा है । समय के साथ सब कुछ बदलता है ऐसे ही ब्लोगिंग का स्वरूप भी बदलता रहेगा, लोग बदलेंगे , कारवां चलता रहेगा । हाँ, हर ब्लॉगर कि ये ज़िम्मेदारी अवश्य बनती है कि ब्लॉगिंग को एक स्वस्थ , सुंदर और कामयाब मंच बनाए रखने के लिए सतत प्रयासरत रहें , दुरुपयोग को प्रोत्साहित ना करें । परस्पर सौहार्द्र का वातावरण बना रहे, लोग आपस में मिलें , ब्लॉगर मीट होती रहें , विचारों का स्वस्थ आदान-प्रदान चलता रहे मेरी भी यही कामना है। धन्यवाद एवं शुभकामनाएं ।

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एक निवेदन !
आपके दिए गए कमेंट्स बेहद महत्वपूर्ण हो सकते हैं, कई बार पोस्ट से बेहतर जागरूक पाठकों के कमेंट्स लगते हैं,प्रतिक्रिया देते समय कृपया ध्यान रखें कि जो आप लिख रहे हैं, उसमें बेहद शक्ति होती है,लोग अपनी अपनी श्रद्धा अनुसार पढेंगे, और तदनुसार आचरण भी कर सकते हैं , अतः आवश्यकता है कि आप नाज़ुक विषयों पर, प्रतिक्रिया देते समय, लेखन को पढ़ अवश्य लें और आपकी प्रतिक्रिया समाज व देश के लिए ईमानदार हो, यही आशा है !


- सतीश सक्सेना

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