Sunday, November 11, 2018

मरना है तो,मरो सड़क पर मगर आज हों, ब्रेक बैरियर ! -सतीश सक्सेना

कई दिन बाद,आज सुबह, लम्बा दौड़ने का फैसला कर दौड़ते हुए 13.20 Km का फासला बिना रुके , बिना पानी के तय किया ! यह दूरी 1घंटा 36 मिनट में तय की गयी ! रनिंग के तुरंत बाद, बॉडी कूल डाउन के लिए लगभग 6 km तेज वाक किया ! अब लग रहा है कि जैसे काफी दिन बाद शरीर तरो ताजा और आत्मविश्वास से लबालब हुआ !


लोग सोंचते होंगे कि यह किस्मत वाले वाले हैं कि इन्हें 64 वर्ष की उम्र में भी कोई बीमारी नहीं है , मगर यह सच नहीं है , सत्य है कि मुझे भी बीमारियाँ हैं और परेशान करने वाली बीमारियों हैं मगर मैं उन्हें याद ही नहीं रखता और न दवा खाता अन्यथा बचा जीवन कब का मेडिकल व्यापारियों की भेंट चढ़ गया होता !
मेरा मानना है कि ६४ वर्ष की उम्र में कम से कम 64 प्रतिशत शरीर का क्षरण अवश्य हुआ है और मेरे शरीर का हर अंग की क्षमता भी उसी हिसाब से कम हुई होगी वह और बात है कि मैं अपनी मशीनरी को अधिकतर एक्टिव रखने में कामयाब हूँ सो मेरे शरीर की चुस्ती और स्टेमिना, उम्र के हिसाब से कहीं अधिक है , यकीनन मैं बाद में बिस्तर पर लेटकर बीमारियाँ भोगने से काफी हद तक बचा रहूंगा !

बूढों को देखते ही,संभावित बीमारियों का टेस्ट कराने के लिए , अक्सर परिवारजन सलाह देते देखे जाते हैं , मुझे मेडिकल व्यवसाय से अधिक प्रभावी विज्ञापन आजतक देखने को नहीं मिले जहाँ बीमार होते ही पूंछा जाए कि दवा ले आये ? मतलब शरीर में जो बीमारी बरसों में पैदा हुई है वह गोली खाते ही ठीक हो जायेगी इसीलिए मेडिकल पढ़ाई की फ़ीस करोड़ों तक पंहुचती है क्योंकि उस धंधे में पैसों की कोई कमी नहीं , साठ से ऊपर का हर आदमी अपने जीवन भर की कमाई बचाए बैठा रहता है कि उसे देकर इलाज हो जाएगा उसे उससे आगे की सोंचना ही नहीं कि बाद में बचोगे कितने साल ?

हर शहर में मेडिकल टेस्ट लेब्स की भरमार है और एक एक लैब में रोज सैकड़ों टेस्ट सैंपल लिए जाते हैं कोई ज्ञानी यह समझने की कोशिश ही नहीं करता कि क्या इस लैब में इतने टेस्ट करने की क्षमता और मशीनें भी हैं ? एक सामान्य टेस्ट करने में ही लगभग आधा घंटा लगता है पूरे दिन में एक तकनीशियन सिर्फ 12 टेस्ट कर पायेगा फिर यह रोज की 100 टेस्ट रिपोर्ट क्या मंगल वासियों द्वारा किये गए हैं ?

खैर ....दोस्तों से निवेदन है कि भारत डायबिटीज और ह्रदय रोगों की राजधानी बन चुका है, रोज जवान और असमय मृत्यु सुनने को मिलती है सो इनसे और मेडिकल व्यवसाइयों से बचने के लिए खुद को दौड़ना सिखाइए और जीवन का आनंद लीजिये !

सस्नेह सादर ..

आज की पंक्तियाँ जो गाते हुए दौड़ा ....

भाड में जाए धड़कन दिल की
कमर दर्द , कमजोर हड्डियां
मरना है तो , मरो सड़क पर
मगर आज हों, ब्रेक बैरियर !

7 comments:

  1. शुभकामनाएं इसी तरह आत्मविश्वास बनाये रखें अपना भी और पाठकों का भी।

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  2. आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल सोमवार (12-11-2018) को "ऐ मालिक तेरे बन्दे हम.... " (चर्चा अंक-3153) पर भी होगी।
    --
    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
    --
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    सादर...!
    राधा तिवारी

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  3. ब्लॉग बुलेटिन की दिनांक 11/11/2018 की बुलेटिन, " लहू पुकारे ... बदला ... बदला ... बदला “ , में आप की पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !

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  4. वाह सतीश सक्सेना जी ! ज़िन्दगी ज़िन्दादिली का नाम है, मुर्दादिल क्या खाक जिया करते हैं? वैसे 64 साल की आयु में हम भी (फ़रवरी, 2015 में) अपने तीर्थ सम्मेद शिखर में एक दिन में पहाड़ पर 32 किलोमीटर की परिक्रमा लगा चुके हैं. मधुमेह की हम सिल्वर जुबली भी मना चुके हैं. वाक़ई रोग से ज़्यादा तो रोग पता लगाने के टेस्ट मार देते हैं. आप जैसे पॉजिटिव एनर्जी फैलाने वाले मित्र हों तो कोई भी रोग पास फटकने की हिम्मत भी नहीं करेगा.

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  5. वाह्ह्ह... अद्भुत...
    प्रणाम सर,आपके ज़ज्बे को और ऊर्जा से भरपूर सकारात्मक विचार तो इतने प्रेरणादायक है कि शब्द नहीं क्या कहे।

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  6. प्रेरणादायक पोस्ट..

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  7. आप यूँ ही प्रेरित करते रहिये ...
    एक भी इंसान अगर पालन कर लेगा तो आपका लिखना आजन्म को सार्थक हो जायेगा ...
    और सच कहूं तो अब तक कितनो ने ही प्रेरणा ले ली होगी ....
    लिखना सार्थक ...

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एक निवेदन !
आपके दिए गए कमेंट्स बेहद महत्वपूर्ण हो सकते हैं, कई बार पोस्ट से बेहतर जागरूक पाठकों के कमेंट्स लगते हैं,प्रतिक्रिया देते समय कृपया ध्यान रखें कि जो आप लिख रहे हैं, उसमें बेहद शक्ति होती है,लोग अपनी अपनी श्रद्धा अनुसार पढेंगे, और तदनुसार आचरण भी कर सकते हैं , अतः आवश्यकता है कि आप नाज़ुक विषयों पर, प्रतिक्रिया देते समय, लेखन को पढ़ अवश्य लें और आपकी प्रतिक्रिया समाज व देश के लिए ईमानदार हो, यही आशा है !


- सतीश सक्सेना

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