Wednesday, January 16, 2019

हे प्रभु ! मेरे देश में ढोरों से बदतर, लोग क्यों - सतीश सक्सेना

हे प्रभु ! इस देश में इतने निरक्षर , ढोर क्यों ?
जाहिलों को मुग्ध करने को निरंतर शोर क्यों !

अनपढ़ गंवारू जान वे मजमा लगाने आ गए 
ये धूर्त, मेरे देश में , इतने बड़े शहज़ोर क्यों ?

साधु संतों के मुखौटे पहन कर , व्यापार में   
रख स्वदेशी नाम,सन्यासी मुनाफाखोर क्यों !

माल दिलवाएगा जो, डालेंगे अपना वोट सब 
देश का झंडा लिए सौ में, अठत्तर चोर क्यों !

आखिरी दिन काटने , वृद्धाएँ आश्रम जा रहीं !
बेटी बिलख रोई यहाँ,इस द्वार टूटी डोर क्यों !

6 comments:

  1. हे कविराज !
    उन्होंने अर्ध-कुम्भ को महा-कुम्भ का दर्जा दे दिया, भक्तों पर आकश से पुष्प -वृष्टि भी करा दी, फिर भी इतना आक्रोश?
    और मनुष्यों की माताओं-बेटियों की फ़िक्र आप कीजिए, वो तो गौ-माता के सेवक हैं और उनका काम है - गौ-माता के शत्रुओं को मॉब-लिंचिंग के अंजाम तक पहुँचाना.

    ReplyDelete
  2. प्रभू खुद परेशान होंगे क्या जवाब दे पायेंगे
    उसके नाम को बेचने वालों का ही
    सोचता होगा यहाँ पर चलता जोर क्यों ?

    कसैला सच!

    ReplyDelete
  3. देश का झंडा लिए सौ में, अठत्तर चोर क्यों !
    बिलकुल सही, बहुत खूब... सतीश जी ,सादर नमन

    ReplyDelete
  4. तीखी और सटीक रचना ...
    सच का गीत है ... बेमिसाल रचना सतीश जी ...

    ReplyDelete
  5. A good sarcasm, our country must have progressive priorities. Election time - big game.

    ReplyDelete

एक निवेदन !
आपके दिए गए कमेंट्स बेहद महत्वपूर्ण हो सकते हैं, कई बार पोस्ट से बेहतर जागरूक पाठकों के कमेंट्स लगते हैं,प्रतिक्रिया देते समय कृपया ध्यान रखें कि जो आप लिख रहे हैं, उसमें बेहद शक्ति होती है,लोग अपनी अपनी श्रद्धा अनुसार पढेंगे, और तदनुसार आचरण भी कर सकते हैं , अतः आवश्यकता है कि आप नाज़ुक विषयों पर, प्रतिक्रिया देते समय, लेखन को पढ़ अवश्य लें और आपकी प्रतिक्रिया समाज व देश के लिए ईमानदार हो, यही आशा है !


- सतीश सक्सेना

Related Posts Plugin for Blogger,