Saturday, January 5, 2019

अब एक जमुना नाम का नाला है , मेरे शहर में -सतीश सक्सेना

खांसते दम ,फूलता है 
जैसे लगती जान जाए 
अस्थमा झकझोरता है, 
रात भर हम सो न पाए
धुआँ पहले खूब था अब  
यह धुआँ गन्दी हवा में 
समय से पहले ही मारें,
चला दम घोटू पटाखे ,
राम के आने पे कितने 
दीप आँखों में जले,अब 
लिखते आँखें जल रही हैं ,जाहिलों के शहर में !

धूर्त,बाबा बन बताते 
स्वयं को ही राज्यशोषित 
और नेता कर रहे नेतृत्व  
को अवतार घोषित ! 
चोर सब मिल गा रहे हैं 
देशभक्ति के भजन ,
दिग्भ्रमित विस्मित खड़े 
ये,भेडबकरी मूर्खजन !
राजनैतिक धर्मरक्षक 
देख ठट्ठा मारते, अब 
राम बंधक बन चुके हैं , कातिलों के शहर में !

सुगन्धित खुशबू बिखेरें
फूल दिखते ही नहीं हैं
जाने कब भागीरथी भी
मोक्षदायिनि सी रहीं हैं 

कृष्ण की अठखेलियाँ भी 
थीं, कभी कृष्णा किनारे
उस जगह रोती हैं गायें , 
अपने केशव को पुकारें 
किस गली खोये स्वर्ण
अवशेष  मेरे देश के  ?
हाँ , एक जमुना नाम का नाला है , मेरे शहर में !

8 comments:

  1. गंगा साफ हो गयी अब यमुना की बारी है
    अब की बार भी फिर से उसकी ही बारी है ।

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  2. ब्लॉग बुलेटिन की दिनांक 05/01/2019 की बुलेटिन, " टाइगर पटौदी को ब्लॉग बुलेटिन का सलाम “ , में आप की पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !

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  3. बहुत सार्थक और सटीक।

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  4. आपकी लिखी रचना "मित्र मंडली" में लिंक की गई है. https://rakeshkirachanay.blogspot.com/2019/01/103.html पर आप सादर आमंत्रित हैं ....धन्यवाद!

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  5. आदरणीय सतीश जी, सादर नमस्कार ,यथार्थ और गंभीर विषय पर लिखी आप की ये रचना सराहनीये है। मैं भी दिल्ली से ही हूँ और वहां की दुर्दशा देख मन चिंतित हो जाता है। मैंने भी इस विषय पर दो लेख लिखे है " प्रकृति और इंसान "और दूसरा " हमारे त्यौहार और हमारी मानसिकता "कभी फुरसत हो तो आये मेरे ब्लॉग पर और अपनी बहुमूल्य प्रतिक्रिया दे कर मुझे कृतार्थ करे ,आप का स्वागत है

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  6. बहुत ही लाजवाब और तीखा लिखा है ...
    आज का सच तो यही है पर ये नेता लोग और तेज़ी से बर्बादी के द्वार खोल रहे हैं ...

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  7. सुन्दर, सार्थक और सटीक...
    बहुत ही लाजवाब....

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एक निवेदन !
आपके दिए गए कमेंट्स बेहद महत्वपूर्ण हो सकते हैं, कई बार पोस्ट से बेहतर जागरूक पाठकों के कमेंट्स लगते हैं,प्रतिक्रिया देते समय कृपया ध्यान रखें कि जो आप लिख रहे हैं, उसमें बेहद शक्ति होती है,लोग अपनी अपनी श्रद्धा अनुसार पढेंगे, और तदनुसार आचरण भी कर सकते हैं , अतः आवश्यकता है कि आप नाज़ुक विषयों पर, प्रतिक्रिया देते समय, लेखन को पढ़ अवश्य लें और आपकी प्रतिक्रिया समाज व देश के लिए ईमानदार हो, यही आशा है !


- सतीश सक्सेना

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