आज पूरे देश में ईद मनाई जा रही है, रमदान के पवित्र माह में अल्लाह का नाम लेते हुए, और कोई भूल न हो इसकी दुआ मानते हुए, आज खुशियाँ मनाने और गले मिलने का दिन आता है ! यकीन करें आज के दिन का इंतज़ार पूरे साल उन्हें भी रहता है जो आपस में शिकवे शिकायत लेकर रंजिश पाले रहते हैं मगर मन में कहीं न कहीं यह इच्छा रहती है कि ईद के बहाने गले मिल कर यह रंजिशें ख़त्म कर लेंगे ! और अक्सर यह खुशफहमियां सच भी होती हैं, शायद पवित्र मौकों पर ईश्वर भी सहारा देते हैं !
मगर पुनर्मिलन की यह खुशियाँ पहल करने पर ही मिलती हैं, और एक शैतान हमें अपनों से मिलने को रोकता है और वो शैतान है हमारा अहम् या ईगो जो कहता है कि अपने खून के रिश्तों या दोस्तों के दरवाजे पर पहले हम क्यों जाएँ पहले वो क्यों न आयें हमारे दरवाजे पर ! और दोनों तरफ की यह सोच हमारे प्यारों को कभी गले मिल कर रोने नहीं देती ! खुल कर रोने का जी चाहता है मगर यह शैतान हमें रोने भी नहीं देता !
इस खास माह पर यह हिदायत दी गयी है कि पुरानी गलतियों की ईश्वर से माफ़ी मांगते हुए अब हम आपस में अपनों के साथ मिलकर खुशियाँ मनाएंगे साथ साथ अपने घमंड को भूल कर अपने गिले शिकवे दूर करें ! आज के दिन दुआ करें कि टूटते परिवार आपस में गले मिलें, दिल से रंजिश मिटाकर वाकई अपने बचपन के दिनों में लौटने की कोशिश करें, पुराने प्यार और उन दिनों की खुशियों को याद करने की कोशिश करें, एक दूसरे की अच्छाइयों को याद करने और गुस्से में कहीं कड़वी बातों को भुलाने से आज का दिन वाकई पूरे जीवन को खुशियों से भर देगा !
काश लोग ईद ( खुशियों का त्यौहार ) का अर्थ समझ सकें, तो अपने बिछडों से मिलने की इच्छा से ही बहुत से मासूमों के चेहरे पर रौनक आ जायेगी !और ईश्वर की दी हुई हिदायतों का वास्तविक पालन होगा !
अंत में मेरा एक पसंदीदा शेर ( नामालूम शायर ) नज़र है ..
मगर पुनर्मिलन की यह खुशियाँ पहल करने पर ही मिलती हैं, और एक शैतान हमें अपनों से मिलने को रोकता है और वो शैतान है हमारा अहम् या ईगो जो कहता है कि अपने खून के रिश्तों या दोस्तों के दरवाजे पर पहले हम क्यों जाएँ पहले वो क्यों न आयें हमारे दरवाजे पर ! और दोनों तरफ की यह सोच हमारे प्यारों को कभी गले मिल कर रोने नहीं देती ! खुल कर रोने का जी चाहता है मगर यह शैतान हमें रोने भी नहीं देता !
इस खास माह पर यह हिदायत दी गयी है कि पुरानी गलतियों की ईश्वर से माफ़ी मांगते हुए अब हम आपस में अपनों के साथ मिलकर खुशियाँ मनाएंगे साथ साथ अपने घमंड को भूल कर अपने गिले शिकवे दूर करें ! आज के दिन दुआ करें कि टूटते परिवार आपस में गले मिलें, दिल से रंजिश मिटाकर वाकई अपने बचपन के दिनों में लौटने की कोशिश करें, पुराने प्यार और उन दिनों की खुशियों को याद करने की कोशिश करें, एक दूसरे की अच्छाइयों को याद करने और गुस्से में कहीं कड़वी बातों को भुलाने से आज का दिन वाकई पूरे जीवन को खुशियों से भर देगा !
काश लोग ईद ( खुशियों का त्यौहार ) का अर्थ समझ सकें, तो अपने बिछडों से मिलने की इच्छा से ही बहुत से मासूमों के चेहरे पर रौनक आ जायेगी !और ईश्वर की दी हुई हिदायतों का वास्तविक पालन होगा !
अंत में मेरा एक पसंदीदा शेर ( नामालूम शायर ) नज़र है ..
"बदगुमानी आपस में देर तक नहीं रखना
रंजिशें मिटाने को एक सलाम काफी है !!"
रंजिशें मिटाने को एक सलाम काफी है !!"
अच्छे लक्ष्य होते हैं सारे त्यौहारों के .. पर उन्हें भूलकर हम ऐसा दिखावा करने लगते हैं .. कि त्यौहार मनाना ही भारी पड जाता है !!
ReplyDeleteआपको भी ईद बहुत-बहुत मुबारक हो...
ReplyDeleteईद बहुत-बहुत मुबारक हो......
ReplyDeleteईद का पर्व मंगलमय हो.
ReplyDeleteअहम् या ईगो ,शैतान है और मिलने भी नहीं देता और मिल कर रोने भी नहीं देता वाक्य प्यारा लगा आपने सही लिखा है कि आज का दिन कड़बी बातें भुलाने और अच्छाइयों को याद करने का है ""एक सलाम काफी है ""वाला शेर मुझे भी बहुत प्यारा लगा |
ReplyDeleteअब अपनी बात =मैंने इन्टरनेट पर वियु पर क्लिक किया एन्कोडिंग पर क्लिक करके यूनीकोड (यूं टी ऍफ़ ८ )पर क्लिक किया फिर कंट्रोल पेनल ओपन करके Regional and language ओपन करकेलैंग्वेज पर क्लिक किया …inclulding thi पर निशान लगा कर ओ के किया तो लिखा आयाyou chose to install the Arabic …….language file this will require 10 m.b.or more of available disc space .the files will be installed after you click o.k. or apply on the regional and language option dialog box. वह ओ के किया तो लिखा आया please insert the compact disc labeled windos xp professional CD-ROM into your cd rom drive (h:\) then click OKबहुत मसक्कत करने के बाद अंत में उसने लिख दिया windows setup cannot copy the appropriate files बैसे तिवारी जी बताये अनुसार barahapad ,desktop पर ले आया हूँ और गूगल के
Transliterate/indicपर रोमन में टाइप कर हिंदी परिवर्तन होने पर उस पेड पर ले जाता हूँ मगर दिक्कत ये हो रही है कि वह अंग्रेजी में कुछ नहीं जा रहा है ,देखिये कल श्री तिवारी जी से कोई हल निकलवाऊँगा
सतीश जी,
ReplyDeleteबहुत ही अच्छा लिखा और नेक भावनायें जतायी आपने ईद के पर्व पर कि काश हम इस खुशियों के त्यौहार को मनाने के निहित के सच्चे अर्थों में समझ पायें।
कवितायन पर आने का शुक्रिया, और यह स्नेह बना रहे इसी कामना के साथ।
सादर,
मुकेश कुमार तिवारी
सच है लोगों ने अब त्यौहारों के अर्थ समझना छोड दिया है.
ReplyDeleteइष्ट मित्रों एवम कुटुंब जनों सहित आपको दशहरे की घणी रामराम.
ReplyDeleteबदगुमानी आपस में देर तक नहीं रखना
ReplyDeleteरंजिशें मिटाने को एक सलाम काफी है !!