इस दुनियां में मुझसे बेहतर
गीत, सैकड़ो लिखने वाले !
मुझसे अच्छा कहने वाले,
मुझसे अच्छा गाने वाले !
यह प्रयास भी सार्थक होगा,अगर आप आ जाएँ मीत !
मात्र उपस्थित होने से ही , गौरव शाली मेरे गीत !
आज तुम्हारे पदचापों की
सांस रोककर आशा करता
तेज धूप में घर से निकलें
रफ़ी मार्ग,आवाहन करता
देखें कितना प्यार भरा है,कितने घर तक पंहुचे गीत !
कड़ी धूप में , घर से बाहर, तुम्हें बुलाते मेरे गीत !
कौन हवन को पूरा करने
कमल, अष्टदल लाएगा ?
अक्षत पुष्प हाथ में लेकर
कौन साथ में, गायेगा ?
यज्ञ अग्नि में समिधा देने,तुम्हें बुलाते मेरे मीत !
पद्मनाभ की स्तुति करते , आहुति देते मेरे गीत !
मेरे गीत का पुस्तक परिचय संगीता स्वरुप जी की कलम द्वारा उनके ब्लॉग "गीत मेरी अनुभूतियाँ " पर जानिये , उनकी शैली और कलम मिल जाने से निस्संदेह मेरे गीत गौरवान्वित हैं !
आभार इस स्नेह के लिए !
आभार इस स्नेह के लिए !
हार्दिक बधाइयाँ और शुभकामनायें।
ReplyDeleteआपका स्वागत है वंदना जी ...
Deleteबाबा लोग, दिलों में भावनाओं का ज्वार लिए, पर खाली हाथ आते हैं, माल सब जजमान का होता है :)
ReplyDeleteआजकल जजमान , बाबाओं से सावधान हैं, आओ फिर बताते हैं
Delete:)
क्या बात है ..निमंत्रण भी एक गीत.
ReplyDeleteआपको बहुत बहुत बधाई एवं शुभकामनायें सफल आयोजन हेतु.
शुक्रिया आपका शिखा !
Deleteहोंगे इस दुनिया में आपसे बेहतर.. और अच्छे.. पर हमें कोई नहीं मिला.. तो आप ही हुए न हमारे लिए बेस्टेस्ट ऑफ़ बेस्ट.. यू आर जेम... आपके इस एचीवमेंट पर हमें गर्व है.. विमोचन के लिए आपको बहुत बहुत बधाई.. और ऐसा ही स्नेह इस छोटे भाई पर हमेशा ही बनाये रखिये..
ReplyDeleteसादर आपका
महफूज़
शुक्रिया महफूज़....
Deleteतुम्हारा इंतज़ार रहेगा !
वाह,,,, बहुत सुंदर प्रस्तुति,,,आमंत्रण के लिये आभार
ReplyDeleteMY RECENT POST,,,,,काव्यान्जलि ...: विचार,,,,
आपका स्वागत है ...
Deleteहर गीत अपनी अलग पहचान और सुंदरता लिए हुए होता है!..जैसे कि हर फूल सुन्दर ही होता है...बस!..पसंद अपनी अपनी होती है!...बहुत सुन्दर रचना!
ReplyDeleteशुक्रिया अरुणा जी ...
Deleteबहुत बहुत बधाई और शुभकामनायें मित्र .
ReplyDeleteअवश्य आयेंगे .
डाक्टर साहब ,
Deleteये अजीब इत्तफाक है कि मैंने नेट आन किया और सतीश भाई की ये पोस्ट देखी ! इससे पहले कि मैं कोई टिप्पणी कर पाता , मेरे घर के दरवाजे चहकने लगे , सोचा बाद में टिप्पणी करता हूं , पहले मेहमान को देख लूं , बाहर कूरियर सर्विस वाला बंदा सतीश भाई का काव्य संकलन लिए खड़ा था ! मैंने सतीश भाई को फ़ौरन फोन किया और बताया कि मेरे गीत मुझे मिल गई है !
चूंकि आप वहां जाने वाले हैं तो उन्हें विमोचन के मौके पर मेरी मुबारकबाद भी कह दीजियेगा !
आपके बिना क्या आनंद हुज़ूर...
Deleteअली सा, आपकी मुबारकवाद सतीश भाई तक पहुँच भी गई है . लेकिन वे कबूल तो तभी करेंगे जब आप स्वयं आयेंगे :)
Deleteवैसे अली सा को आना ही चाहिए, नहीं तो सतीश भाई बुरा मान जायेंगे,
Deleteअली सा, तत्काल कटवाइए ओर पहुंचिए, हम भी दिद्दार कर लेंगे.
@ सतीश भाई बुरा मान जायेंगे,
Deleteयह गुस्ताखी नहीं होगी दोस्तों के लिए दीपक बाबा ! वे आयेंगे तो महफ़िल रोशन हो उठेगी !
अभयदान हमने भी कैच कर लिया जी:)
Deleteपुस्तक प्रकाशन के लिए हार्दिक बधाई !!
ReplyDeleteउसी दिन 'खामोश, खामोशी और हम'का भी विमोचन है|
रश्मिप्रभा जी के सम्पादन मे छपे इस पुस्तक का मैं भी एक हिस्सा हूँ|
सभी को शुभकामनाएँ !!!
आपको बधाई ....
Deleteगीत संग्रह के प्रकाशन पर बधाई आपको सतीश जी. और ढेरों शुभकामनाएँ आपके रचना संसार के लिए.
ReplyDeleteआभार भाई जी ...
Deleteभाई जी ,
ReplyDeleteबहुत-बहुत बधाई और शुभकामनाएँ स्वीकारें!
आभार!
शुक्रिया बड़े भाई ...
Deleteआमंत्रण के लिए आभार.
ReplyDeleteआप किसी भी उत्सव की गरिमा हैं काजल भाई ...
Deleteआज तुम्हारे पदचापों की
ReplyDeleteसांस रोककर आशा करता
तेज धूप में घर से निकलें
रफ़ी मार्ग,आवाहन करता
आपका बुलावा बहुत ही सुखमय अंदाज़ से है .... न आने की मजबूरी है ... पर दिल से बधाई है ...
आभार दिगंबर भाई..
Deleteगीत संग्रह के प्रकाशन पर बधाई और ढेरों शुभकामनाएँ .
ReplyDelete____________________
P.S.Bhakuni
____________________
गीत हमारे हमें बुलाते
ReplyDeleteबोलो कैसे ना आयेंगे ?
धीरज रखिये मीत मेरे
अपना दिल भी लायेंगे !
हमें भरोसा है ...
Deleteबहुत बहुत बधाई, जीवन के इतने पावन ध्येय रखने वाले इंसान को ही सच्चे अर्थों में इंसान कह सकते हें.
ReplyDeleteहार्दिक शुभकामनाएं.
आपका आभार रेखा जी ...
Deleteगीत संग्रह के प्रकाशन पर बधाई आपको सतीश जी.
ReplyDeleteआभार आपका कुसुमेश भाई ..
Deleteगीत संग्रह के प्रकाशन पर बधाई आपको सतीश जी
ReplyDeleteआना था , पर घर बदलना है ... शुभकामनायें
ReplyDeleteआपको भी बधाई रश्मि प्रभा जी ,
Deleteआपकी उपस्थिति में कुछ और ही आनंद होता !
'मेरे गीत' के लोकार्पण पर आपको ढेरों बधाई!!
ReplyDeleteआभार सहित शुभकामनाएं!!
आपका ना होना महसूस होगा सुज्ञ जी ..
Deleteआपके इस अवसर पर न पहुँच पाना मुझे भी सालेगा!!
Deleteशानदार लोकार्पण संपन्न होने पर आपको एक बार पुनः बधाई!!
Deleteसतीश भाई ,
ReplyDelete१६ तारिख को हमें आफिस ज्वाइन करना पड़ेगा इसलिए मुबारकबाद यहीं से क़ुबूल फरमाइयेगा !
मन मार के क़ुबूल कर लेता हूँ सरकार और हम कर ही क्या सकते हैं ...
Delete:(
मेरे गीत' के लोकार्पण पर आपको ढेरों बधाई!!
ReplyDeleteशुभकामनाएं!!
देखें कितना प्यार भरा है,कितने घर तक पंहुचे गीत !
ReplyDeleteकड़क धूप में, घर से बाहर, तुम्हें बुलाते मेरे गीत !
बढ़िया गीत ,लू खाने को तुझे बुलाते भरी दुपहरी मेरे गीत,/दिन में ही अभिसार करेंगे ,भरी दुपहरी मेरे गीत ,
पानी पीकर घर से आना ,लू खायेगा वरना मीत ,थक जायेंगे मेरे गीत .
वा वाह ....वा वाह...
Deleteआभार आपका वीरू भाई !
ढेर बधाइयां और शुभकामनाएं.
ReplyDeleteआभार आपका राहुल जी !
Deleteबधाई। शुभकामनाएं।
ReplyDeleteआपका स्वागत है ...
Deleteबहुत बहुत हार्दिक बधाइयाँ और शुभकामनायें स्वीकार करें !
ReplyDeleteबहुत बहुत बधाई और शुभकामनायें ...
ReplyDeleteआजकल आपके ही काव्य संग्रह का लुत्फ़ उठा रहें हैं .....आभार !
ReplyDeleteबहुत बहुत बधाई एवं शुभकामनायें !!!
आप का स्वागत है ...
Deleteअरुण जी की ओर से भी निमंत्रण है......
ReplyDeleteकाश कि हम भी सांझा कर सकते आपकी खुशियों को...आपकी उपलब्धियों को......
ढेर सारी शुभकामनाएं प्रेषित करती हूँ......
ऐसी और कई पुस्तकें प्रकाशित हों.....और कभी हम भी आ सकें विमोचन में...
:-)
सादर
अनु
आभार इस स्नेह के लिए अनु...
Deleteगीत संग्रह के विमोचन के आमंत्रण में एक गीत
ReplyDeleteअंदाज़ निराला है ..
आपका स्वागत जो करना था वर्मा जी !
Deleteजो गीत लिख कर जी रहे हैं ईश
ReplyDeleteअन्नाबाबा उन गीतों को प्राणवायु
जान, जान बचाने के लिए पी रहे हैं
सच ।
जब मिलेंगे तब बजायेंगे
ताली
दिल की ताली जाए न खाली
बस में भरकर आ रहे हैं।
अगली पुस्तक में सतीश जी
लिखेंगे जोरदार ब्लॉगर कव्वाली।
.
ReplyDelete.
.
बधाईयाँ...
...
नेह भरा निमंत्रण ,
ReplyDeleteपुस्तक विमोचन पर आपको हार्दिक बधाई और शुभकामनायें ..... आगे भी आपके गीतों के संकलन की नयी पुस्तक पढ़ने की उम्मीद है .... आभार
आपके स्नेह के लिए धन्यवाद छोटा पड़ेगा ...
Deleteबधाई पुस्तक विमोचन के लिए |आपकी प्रवाहमान लेखनी से निकली यह भाव पूर्ण कविता बहुत अच्छी लगी |
ReplyDeleteहार्दिक बधाई |
आशा
आपका आशीर्वाद काम करेगा ..
Deleteआभार !
हमारी ओर से भी ढेरों बधाइयाँ और बहुत -बहुत शुभकामनायें स्वीकार करें...
ReplyDeleteबहुत प्रेम भरा आवाहन...बहुत बहुत बधाई और शुभकामनायें !
ReplyDeleteशुक्रिया कैलाश भाई ...
Deleteआभारी हूँ स्नेह के लिए
गीत संग्रह के प्रकाशन पर बधाई आपको :-)
ReplyDeleteआपको हार्दिक बधाई..
ReplyDeleteआमंत्रण के लिये धन्यवाद! विमोचन के लिये बधाई! मुबारकबाद!
ReplyDeleteनए अंदाज़ में कहने की बारीकी कोई आप से सीखे तो क्या कहने .....
ReplyDeleteकहने का अनूठा तरीका बहुत भाया . कह दूँ बहुत खूब ........
गीत संग्रह के प्रकाशन पर बधाई
शुक्रिया रमाकांत भाई ...
Deleteमैं आऊँ या न आ पाऊँ
ReplyDeleteमेरे घर तक पहुँचे गीत
और जाने कितने दिल के
मीत बन चुके तेरे गीत।
...हार्दिक शुभकामनायें।
आभार आपके स्नेह के लिए भैया ...
Deleteबहुत बहुत बधाई ....
ReplyDeleteबहुत बहुत बधाइयाँ!!!
ReplyDeleteसबने इतना कुछ कह दिया ...अब हम क्या कहें भैया .....बस दिल से दुआ हैं आपके और आपके संग्रह के लिए ....
ReplyDeleteबहुत-बहुत बधाई और शुभ-कामनाएँ !
ReplyDelete*
चले वहां से ,राह पार कर
जब आयेंगे तेरे गीत .
हर्षित मन से स्वागत कर ,
मैं ग्रहण करूँगी उन्हें सप्रीत!
आपको लगता है कुछ इंतज़ार करना पड़ेगा मगर आयेंगे शीघ्र और अवश्य !
Deleteआशीर्वाद के लिए आभार आपका
मिला आपका स्नेह निमंत्रण,
ReplyDeleteमनुहार करता सा गीत,
खूब चढे परवान लेखनी
घर घर पहुंचे मेरे (आपके) गीत ।
बहुत बधाई मेरे गीत के प्रकाशन पर ।
आपका आशीर्वाद आवश्यक है ...
Deleteआभार !
विमोचन प्रस्ताव में मैं आ तो नहीं सकूंगा मगर दिल और दिमाग से वहीं मौजूद रहूँगा
ReplyDeleteअभार्र आपका ...
Deleteनिमंत्रण का अंदाज़ भी निराला है
ReplyDeleteपुस्तक " मेरे गीत " के विमोचन की बहुत शुभकामनायें !
शुक्रिया आपका ...
Delete" मेरे गीत " पुस्तक के प्रकाशन की बहुत -2 शुभकामनायें ,बधाईयाँ.....कीर्ति सदैव शिखर छुए .....
ReplyDeleteधन्यवाद भाई जी ...
Delete:):):)
ReplyDeletes u b h k a m n a y e n bhaijee.
pranam.
बधाइयाँ और शुभकामनायें।
ReplyDeleteजिओ मेरे भाई,....यूँ ही परचम लहरता रहे!!
congrats heartly best wishes.
ReplyDeleteशुक्रिया आपका ....
Deleteनिमंत्रण का यह अंदाज़ वाकई अनूठा लगा ...सहस्त्र बधाइयाँ और शुभकामनाएं ..'मेरे गीत 'के लिए
ReplyDeleteबहुत बहुत बधाई।
ReplyDeleteघुघूती बासूती
बहुत बहुत बधाई।
ReplyDeleteघुघूती बासूती
आपका स्वागत है..
Deleteबहुत-बहुत बधाई सहित अनंत शुभकामनाएं ... आभार
ReplyDeleteन मेरे थैले का जि्क्र
ReplyDeleteन मेरी क्रिया पर प्रतिक्रिया
मामला रहस्यमयी लग रहा है
कोई बात नहीं
अन्ना ने एक बार ही मरना है
डर डर कर मरना
काफी पहले छोड़ दिया है।
पहली क्रिया जलेबी
Deleteऔर दूसरा जलेबा
किसको दें लड्डू ?
बिना किसी थैले के!
लड्डू की अन्ना को चाह नहीं
Deleteअन्ना तो मीठे का मरीज है
प्यार का मुरीद है, जानती है
इसलिए ही तो मारती है दुनिया।
वाह! निमंत्रण का यह तरीका भी बहुत पसंद आया .कविता -संग्रह प्रकाशन हेतु बहुत-बहुत बधाई!
ReplyDeleteसंगीता जी को पढा, समीक्षा अच्छी लगी। आपको एक बार फिर बधाई!
ReplyDeleteआपका आभार अनुराग भाई ....
Deleteबहुत बेहतरीन व प्रभावपूर्ण रचना....
ReplyDeleteमेरे ब्लॉग पर आपका हार्दिक स्वागत है।
बहुत बधाई. संगीता जी के ब्लॉग पर पुस्तक परिचय और समीक्षा पढ़ी. शुभकामनाएँ.
ReplyDelete