चाहें दिन हों या युग बीतें ,
जिसे गुनगुनाते,चेहरे पर
आभा छाये,गीत लिखूंगा !
बरसों से,जो लिखा ह्रदय पर ,
कैसे भुला सकेंगे गीत ?
आभा छाये,गीत लिखूंगा !
बरसों से,जो लिखा ह्रदय पर ,
कैसे भुला सकेंगे गीत ?
क्या जाने किस घडी तुम्हारी,झलक दिखाएँ मेरे गीत !
पूजा करते , जीवन बीता !
अब मुझको आराम चाहिए !
कौन यहाँ आकर के,समझे
मुझको भी, अर्चना चाहिए !
काश कहीं से हवा का झोंका,
मेरे बालों को सहला दे !
क्षमा करें,मालिक बनने की, इच्छा करते मेरे गीत !
रात स्वप्न में एक जादुई
छड़ी ,मुझे क्यों छूने आई !
आज बादलों के संग आके
मेरी लट, किसने सहलाई
लगता दिल के दरवाजे पर, दस्तक देते मेरे मीत !
प्रियतम के आने की आहट,खूब समझते मेरे गीत !
जाने कब से राह देखते
अन्धकार में किरणों की
सुना सूर्यपुत्री को शायद
आज जरूरत सारथि की
काश रुके रथ,पास में आकर,खुशी मनाएं मेरे गीत
जल कन्या की स्मृति से ही, शीतल होते मेरे गीत !
ऊबड़ खाबड़ , इन राहों में ,
कष्टों में , साझीदार मिले
कुछ बिन मांगे , देने वाले ,
घर बार लुटाते, यार मिले !
आज दोपहर घर पर मेरे,
जो पग आये ,वे मृदुगीत !
नेह के आगे, शीतल जल से,चरण पखारें मेरे गीत !
कुछ झंकारों का रस लेने
आते है, सुनने गीतों को !
कुछ तो इनमें मस्ती ढूँढें,
कुछ यहाँ खोजते मीतों को
बिना तुम्हारे,ये इच्छाएं,
कैसे पार लगाएं गीत !
कष्टों के घर, बड़े हुए हैं,प्यार ना जाने मेरे गीत !
अपने श्रोताओं में , सहसा,
तुम्हे देखकर मन सकुचाया !
कैसे आये, राह भूलकर, मैं
लोभी, कुछ समझ न पाया !
साधक जैसी श्रद्धा लेकर,
तुम भी सुनने आये गीत !
कहाँ से, वह आकर्षण लाऊँ ,तुम्हें लुभाएं मेरे गीत !
कौन यहाँ पर तेरे जैसा
हंस, नज़र में आता है !
कौन यहाँ गैरों की खातिर
तीर ह्रदय पर , खाता है !
राजहंस को घर में पाकर,
दीपावली मनाएं गीत !
मुट्ठी भर भर मोती लाएं , करें निछावर मेरे गीत !
बिल्व पत्र और फूल धतूरा
पंचामृत, अर्पित शिव पर !
मीनाक्षी सम्मान हेतु, खुद
गज आनन्, दरवाजे पर !
पार्वती सम्मानित पाकर,
शंख बजाएं मेरे गीत !
मीनाक्षी तिरुकल्याणम पर,खूब नाचते मेरे गीत !
पूजा करते , जीवन बीता !
अब मुझको आराम चाहिए !
कौन यहाँ आकर के,समझे
मुझको भी, अर्चना चाहिए !
काश कहीं से हवा का झोंका,
मेरे बालों को सहला दे !
क्षमा करें,मालिक बनने की, इच्छा करते मेरे गीत !
रात स्वप्न में एक जादुई
छड़ी ,मुझे क्यों छूने आई !
आज बादलों के संग आके
मेरी लट, किसने सहलाई
लगता दिल के दरवाजे पर, दस्तक देते मेरे मीत !
प्रियतम के आने की आहट,खूब समझते मेरे गीत !
जाने कब से राह देखते
अन्धकार में किरणों की
सुना सूर्यपुत्री को शायद
आज जरूरत सारथि की
काश रुके रथ,पास में आकर,खुशी मनाएं मेरे गीत
जल कन्या की स्मृति से ही, शीतल होते मेरे गीत !
ऊबड़ खाबड़ , इन राहों में ,
कष्टों में , साझीदार मिले
कुछ बिन मांगे , देने वाले ,
घर बार लुटाते, यार मिले !
आज दोपहर घर पर मेरे,
जो पग आये ,वे मृदुगीत !
नेह के आगे, शीतल जल से,चरण पखारें मेरे गीत !
कुछ झंकारों का रस लेने
आते है, सुनने गीतों को !
कुछ तो इनमें मस्ती ढूँढें,
कुछ यहाँ खोजते मीतों को
बिना तुम्हारे,ये इच्छाएं,
कैसे पार लगाएं गीत !
कष्टों के घर, बड़े हुए हैं,प्यार ना जाने मेरे गीत !
अपने श्रोताओं में , सहसा,
तुम्हे देखकर मन सकुचाया !
कैसे आये, राह भूलकर, मैं
लोभी, कुछ समझ न पाया !
साधक जैसी श्रद्धा लेकर,
तुम भी सुनने आये गीत !
कहाँ से, वह आकर्षण लाऊँ ,तुम्हें लुभाएं मेरे गीत !
कौन यहाँ पर तेरे जैसा
हंस, नज़र में आता है !
कौन यहाँ गैरों की खातिर
तीर ह्रदय पर , खाता है !
राजहंस को घर में पाकर,
दीपावली मनाएं गीत !
मुट्ठी भर भर मोती लाएं , करें निछावर मेरे गीत !
बिल्व पत्र और फूल धतूरा
पंचामृत, अर्पित शिव पर !
मीनाक्षी सम्मान हेतु, खुद
गज आनन्, दरवाजे पर !
पार्वती सम्मानित पाकर,
शंख बजाएं मेरे गीत !
मीनाक्षी तिरुकल्याणम पर,खूब नाचते मेरे गीत !
आप और आपके ये गीत हमेशा हमारे साथ बने रहे यही तमन्ना है.... करीब दो सालों से आपके इस ब्लॉग से जुड़ा हूँ... कभी कमेन्ट किया कभी नहीं... लेकिन आपके गीत और पोस्ट सभी को पढता आया, जीता आया.... यूँ ही लिखते रहे... :-)
ReplyDeleteअच्छा लगा शेखर ...
Deleteआभार आपका !
:}:}:}
ReplyDeleteaapka e-mail id chahiye address send karne ke liye
pranam.
jha.shailendra73@gmail.com
भेज दिया है संजय ...
Deleteआज हँसेंगे मेरे गीत
ReplyDeleteआज सजेंगे मेरे गीत,
इस वन के प्रत्येक पुहुप पर
आज खिलेंगे मेरे गीत !!
ज़ोरदार बधाई !
काश कहीं से हवा का झोंका,मेरे बालों को सहला दे !
ReplyDeleteक्षमा करें मालिक बनने की, इच्छा करते मेरे गीत !
बहुत खूब, बहुत बढ़िया सतीश जी. और शुभकाअनाएँ....
आभार भाई जी ...
Deleteवाह...............
ReplyDeleteबहुत सुन्दर ..
बिना तुम्हारे,ये इच्छाएं, कैसे पार लगाएं गीत !
कष्टों के घर, बड़े हुए हैं ,प्यार ना जाने मेरे गीत !
प्यारा गीत...
सादर
अनु
थैंक्स अनु...
Deleteकौन यहाँ गैरों की खातिर
ReplyDeleteतीर ह्रदय पर , खाता है !
these lines dedicated to you
कौन जीता है यहाँ ,किसके जीने के लिए .?
और कौन मरता है ,किसके मरने के लिए ..?
वा वाह ..वा वाह ...
Deleteरमाकांत भाई ! आभार
कुछ खुरचन है मनोभावों की, कुछ है उत्तम जीवन रीत।
ReplyDeleteकभी इठलाए, कभी शर्माए,कभी प्रीत सिखाए तेरे गीत॥
बड़ा प्यारा लिखते हैं आप सुज्ञ भाई !
Deleteगीत लिखा करें, अच्छा लगेगा !
आप की प्रविष्टि के लिए सुज्ञ जी के योगदान से सहमत !
Deleteसतीश जी………
Deleteरोटी खोजी दौड रहे है,
पल भर का विश्राम कहाँ।
फुर्सत मिले क्षण भर भी तो
उग आता अभिमान यहाँ
तनाव भरी बजती है वीणा, ईर्ष्या द्वेष सजे संगीत।
क्रोधरत इस विषमकाल में, कौन सुनेगा मेरे गीत?॥
राजहंस को घर में पाकर, दीपावली मनाएं गीत !
ReplyDeleteमुट्ठी भरभर मोती लाएं करें निछावर मेरे गीत !
वाह , मानो
जिंदगी के गीत
रात स्वप्न में एक जादुई
ReplyDeleteछड़ी ,मुझे क्यों छूने आई !
आज बादलों के संग आके
मेरी लट, किसने सहलाई
वाह सतीश जी ... लय ताल से भरपूर ... जीवन की ठसक लिए प्रेम की बयार लिए ... खूबसूरत गीत ... बधाई हो ...
बहुत प्यारे गीत...
ReplyDeleteजीवन के हर पहलू को छूते हुए...
वाह ||
ReplyDeleteबहुत -बहुत सुन्दर गीत है...
बेहतरीन....
:-)
खूबसूरत गीत
ReplyDeleteबिना तुम्हारे,ये इच्छाएं, कैसे पार लगाएं गीत !
ReplyDeleteकष्टों के घर, बड़े हुए हैं ,प्यार ना जाने मेरे गीत !
बहुत सुंदर गीत ,,,, ,
MY RECENT POST,,,,काव्यान्जलि ...: ब्याह रचाने के लिये,,,,,
...सुन्दरतम रचना!
ReplyDeleteबहुत खूब, बहुत बढ़िया सतीश जी. और शुभकाअनाएँ....
ReplyDeleteवाह ......बड़ा सुन्दर गीत है
ReplyDeleteसम्मानों की बेला में यह रहा एव्क अनुपम सम्मान गीत ..गीतों के चतुर चितेरे की कलम से
ReplyDeleteआपके गीत, हमारे मन मीत
ReplyDeleteगीत चाह की राह बनेंगे,
ReplyDeleteशब्दों में हर रंग सजेंगे।
आभार कविवर ...
Deleteकौन यहाँ गैरों की खातिर
ReplyDeleteतीर ह्रदय पर , खाता है !
मानवीय संवेदनाओं से युक्त गीत
मन मोहक सुंदर प्रस्तुति सतीश जी .. खूबसूरत गीत
ReplyDeleteआपको गीत लिखने में महारत हासिल हैं ...लिखते वक्त शब्द खुदबखुद गीत बन जाते हैं
ReplyDeleteपार्वती सम्मानित पाकर, शंख बजाएं मेरे गीत !
ReplyDeleteमीनाक्षी तिरुकल्याणम पर,खूब नाचते मेरे गीत !
दिल खुश कर दिया. बहुत सुंदर गीत.
निकल हृदय से शब्दों में ढल,
ReplyDeleteनित पृष्ठों पर आयें गीत
आभार आपका ...
Deleteइसका उपयोग करूँगा ! :)
जय हो सतीश भाई साहब ... जय हो आपकी !
ReplyDeleteइस पोस्ट के लिए आपका बहुत बहुत आभार - आपकी पोस्ट को शामिल किया गया है 'ब्लॉग बुलेटिन' पर - पधारें - और डालें एक नज़र - आज का दिन , 'बिस्मिल' और हम - ब्लॉग बुलेटिन
मन के तारो को वीणामयी झंकार से झंझोडती सुंदर रचना
ReplyDeletebahut sundar geet....
ReplyDeleteसतीश भाई ,
ReplyDelete'स्वागत गीत' और उसे 'लिखने वाले' की छवि को समानांतर देखता हूं तो पशोपेश में पड़ जाता हूं ,किस एक के हुस्न की तारीफ पहले शुरू करूं जो दूसरे की शान में गुस्ताखी ना कहलाये !
हर रंग समेटे हैं आपके मेरे गीत.
ReplyDeleteअपने श्रोताओं में , सहसा,
ReplyDeleteतुम्हे देखकर मन सकुचाया !
कैसे आये, राह भूलकर, मैं
लोभी, कुछ समझ ना पाया !
साधक जैसी श्रद्धा लेकर, तुम भी सुनने आये गीत !
कहाँ से वह आकर्षण लाऊँ ,तुम्हें लुभाएं मेरे गीत !
हर एक मन को लुभाने जैसा सहज सरल आकषर्ण है आपके इन
गीतों में सतीश जी, हमेशा की तरह एक सुंदर गीत के लिये
बधाई .......
बहुत सुन्दर, सतीश जी।
ReplyDeleteकाश कहीं से हवा का झोंका,मेरे बालों को सहला दे !
ReplyDeleteक्षमा करें मालिक बनने की, इच्छा करते मेरे गीत !
.... गीतों को भी चाहिए जीवनदायिनी स्पर्श
sateesh bhai ji
ReplyDeleteaapki kavita ke baare me kya tippni dun samajh nahi pa rahi hun.har rang ko samet liya hai aapne apni is rachna ke dvaraa
sabhi paragraf man ko bahut bahut hi bhaye.
bahut hi behtreen prastuti
hardik badhai
poonam
क्या जाने किस घडी तुम्हारी, झलक दिखाएँ मेरे गीत !
ReplyDeleteबहुत सुंदर रचना....बहुत ही कोमल...
कलुष मिटे,तम घटे हृदय का
ReplyDeleteआनंदित तन-मन-जीवन
सत्य,मनुज कर पाता तब ही
गीतों से जन-मन-रंजन
जीवन-सरिता की कलकल में,मुक्त पवन-से होते गीत
कालचक्र को भेद पहुंचते,प्रीत-रीत के पावन गीत !!
अपने श्रोताओं में , सहसा,
ReplyDeleteतुम्हे देखकर मन सकुचाया !
कैसे आये, राह भूलकर, मैं
लोभी, कुछ समझ ना पाया !
साधक जैसी श्रद्धा लेकर, तुम भी सुनने आये गीत !
कहाँ से वह आकर्षण लाऊँ ,तुम्हें लुभाएं मेरे गीत !
....कोमल अहसास संजोये बहुत भावमयी रचना....
kaun yaha bina swarth ke, apna humdum kahta hai?
ReplyDeleteor kaun yaha bina baat ke, dusre ke dukh dekhta hai?
सकारात्मक सोच लिए , एक आशावादी गीत .
ReplyDeleteबेहतरीन .
उम्दा रचना !!
ReplyDeleteबेहतरीन गीत।
ReplyDeletehaह्र दिन हर कोई ऐसे ही सुन्दर गीत गाये तो ज़िन्दगी की राहें आसान हो जायें। बधाई इस सुन्दर रचना के लिये।
ReplyDeleteबहुत सुन्दर गीत। मेरा पहला कमेन्ट कहाँ गया?
ReplyDeleteअपने श्रोताओं में , सहसा,
ReplyDeleteतुम्हे देखकर मन सकुचाया !
कैसे आये, राह भूलकर, मैं
लोभी, कुछ समझ ना पाया !
साधक जैसी श्रद्धा लेकर, तुम भी सुनने आये गीत !
कहाँ से वह आकर्षण लाऊँ ,तुम्हें लुभाएं मेरे गीत !
बहुत सुंदर भाव ....
बहुत सुंदर दिल से निकली रचना ।
ReplyDeleteसतीश जी, आज अचानक कुछ खोजते खोजते आपका ब्लॉग हाथ लगा.!!! बहुत आनंद आया आपकी रचनाओं को पढ़कर...!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!! अभी मुझे ज्यादा कुछ नहीं लिखना , सिर्फ आनंद के सागर में गोते लगाना है.....!!!!!! तो मैं फिर कभी आपके मुखातिब होऊंगा, ....फिलहाल मुझे आपके ब्लॉग के दर्शन करने हैं......
ReplyDeleteधन्यवाद
स्वागत है आपका ...
Deleteसतीश जी...अचानक कुछ खोजते खोजते आपका ब्लॉग हाथ लगा...!!! सच कहूँ...अननद आ गया.. आपकी रचनाओं को पढ़कर....!!! फिलहाल मुझे इस आनंद के सागर में कुछ देर और डूबने दें......धन्यवाद
ReplyDeletebahut sundar lekhan hai aapka laybaddh aur madhur panktiyon se rachit, aapka ye swagat geet gungunaane layak lagta hai. behad khoobsurat rachna ke liye badhai.
ReplyDeleteजिंदगी के हर सुन्दर भाव को संजोये कोमल गीत।
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