मीठे स्वर बिखराने वाले ,
गीत तुम्हीं को ढूंढ रहे हैं
नेह सुधा बरसाने वाले !
कौन दिशा में तुम रहते हो,
नेह सुधा बरसाने वाले !
कौन दिशा में तुम रहते हो,
मधुर रागिनी गाने वाले ?
सिर्फ तुम्हारे मीठे स्वर से , गीतों में झंकार उठेगी !
काश गीत मेरे तुम गाओ ,
मौसम में, वसंत आ जाए !
मंद मंद शीतल झोंकों से ,
वृक्ष झूम, खुशबू बिखराएँ
कहाँ छिपे हो गाने वाले,
रिमझिम धुन बरसाने वाले,
तेरे अधरों पर आते ही , गीतों की जयकार उठेगी !
कहाँ छिपी हो मीठी वाणी
थोड़े पुष्प ,चढ़ाकर जाओ
थोड़े पुष्प ,चढ़ाकर जाओ
बिखरे फूलों का एक गजरा,
अपने हाथ बना कर जाओ
कहाँ खो गए हो मधुबन में,
अपने हाथ बना कर जाओ
कहाँ खो गए हो मधुबन में,
मधुर गंध बिखराने वाले !
सिर्फ तुम्हारे छू लेने पर, पतझड़ में महकार उठेगी !
कहाँ खो गयी वीणावादिन
कैसे ऑंखें, तुम्हें भुलाएं !
कब से वीणा करे प्रतीक्षा
आशा संग छोड़ती जाए !
कहाँ खो गए इस जंगल में,
सिर्फ तुम्हारे छू लेने पर, पतझड़ में महकार उठेगी !
कहाँ खो गयी वीणावादिन
कैसे ऑंखें, तुम्हें भुलाएं !
कब से वीणा करे प्रतीक्षा
आशा संग छोड़ती जाए !
कहाँ खो गए इस जंगल में,
ह्रत्झंकार जगाने वाले !
जल तरंग ध्वनि के गुंजन से, चिड़ियों में चहकार उठेगी !
जल तरंग ध्वनि के गुंजन से, चिड़ियों में चहकार उठेगी !
कहाँ छिपी हो मीठी वाणी
ReplyDeleteथोड़े पुष्प ,चढ़ाकर जाओ
बिखरे फूलों का एक गजरा,
अपने हाथ बना कर जाओ
नेह बरसाता प्यारा गीत .... आज ये सब लुप्त प्राय: सा हो रहा है ... आपका ये आवाहन सुकून देता है
भावपूर्ण रचना...
ReplyDeleteबहुत सुन्दर...
ReplyDeleteमीठा मधुर आस भरा गीत...............
सादर
अनु
स्वर से स्वर मिलाने वाले कहाँ मिलगें ऐसे मीत,
ReplyDeleteमीठे सुर बिखराने वाले कहाँ मिलेगें ऐसे गीत
देश भक्ति पर लिखने वाले न जाने अब कहाँ गए
कभी-कभी मिल जाता सुनने को मीठे२ सुंदर गीत,,,,,
RECENT POST...: दोहे,,,,
मन को छूते शब्दो का संगम ... आभार
ReplyDeleteआज पहली टिप्पणी करने का अवसर मिला है। इसे कहते हैं बोअणी। अब देखें कैसी हुई हमारी बोअणी। बड़ा अच्छा गीत है, बधाई।
ReplyDeleteआपके आने से गीत महक गए अजीत जी ...
Deleteअजीत जी,
ReplyDeleteमॉडरेशन लगाने से शुरू में यही भ्रम होता है कि कोई इसके पहले कोई टीप नहीं है,जबकि आपकी सातवीं टीप निकली !
यह रही आग से कुंदन बनकर निकली स्वर्णिम-कविता !
ReplyDelete...आह्वान करते व स्वयं को जगाते हुए भाव हैं इसमें !
कहाँ छिपी हो मीठी वाणी
ReplyDeleteथोड़े पुष्प ,चढ़ाकर जाओ
बिखरे फूलों का एक गजरा,
अपने हाथ बना कर जाओ
कहाँ खो गए हो मधुबन में,मधुर गंध बिखराने वाले !
मात्र तुम्हारे छूने भर से , सूखे फूल महक जायेंगे !.......... बहुत सुन्दर भाव
कहाँ छिपी हो मीठी वाणी
ReplyDeleteथोड़े पुष्प ,चढ़ाकर जाओ
बिखरे फूलों का एक गजरा,
अपने हाथ बना कर जाओ
कहाँ खो गए हो मधुबन में,मधुर गंध बिखराने वाले !
मात्र तुम्हारे छूने भर से , सूखे फूल महक जायेंगे !
हमेशा की तरह बहुत सुंदर !!!
जिन्दगी का मर्म समझाते ...आपके गीत !
ReplyDeleteआभार!
aapka ye neh bhara geet padh kar aapka wo pyara sa bade bhaiya jaisa ahsaas wala chehra deekh gaya...:)
ReplyDeleteSatish sir.... bahut khub!
आभारी हूँ मुकेश इस अपनत्व के लिए...
Deleteमीठी वाणी पर सुंदर रचना...
ReplyDeleteमीठी वाणी पर मेरे कुछ माहिया छंद...
आखर-मोती बिखरें
मधुरिम भाव सजे
मन अम्बर-सा निखरे|
है जग की रीत यही
मीठी वाणी से
दिल में है प्रीत बही|
कुछ खर्च नहीं होता
मीठा बोल सदा
स्नेहिल रिश्ते बोता|
सादर
आपका स्वागत है ...
Deleteआभार !
प्यारा गीत है।
ReplyDeleteशीर्षक भी सही है...'मीठे स्वर बिखराने वाले सतीश सक्सेना।':)
आभार आपकी प्यारी नज़रों का देवेन्द्र भाई !
Deleteकहाँ छिपी हो मीठी वाणी
ReplyDeleteथोड़े पुष्प ,चढ़ाकर जाओ
बिखरे फूलों का एक गजरा,
अपने हाथ बना कर जाओ
कहाँ खो गए हो मधुबन में,मधुर गंध बिखराने वाले !
मात्र तुम्हारे छूने भर से , सूखे फूल महक जायेंगे !
बढिया रूमानी प्रस्तुति .
Read more: http://satish-saxena.blogspot.com/2012/07/blog-post_07.html#ixzz20APDtYvU
बहुत प्यारा सा मीठा गीत..
ReplyDeleteसब अच्छा अच्छा माँगा है, मिठास भले क्यों न आयेगी?
ReplyDeleteबहुत सुंदर भाव ...!!
ReplyDeleteबहुत सुंदर गीत ...
ReplyDeleteअनूठा स्वर संगम .. वाह
ReplyDeleteअनूठा स्वर संगम .. वाह
ReplyDeleteमीठी वाणी के लिए प्रकृति से आग्रह है तो समझिए वह आ रही है. भावों भरी कविता बहुत अच्छी लगी सतीश जी.
ReplyDeleteबहुत -बहुत सुन्दर गीत:-)
ReplyDeleteहर गीत ...पहले से भी अधिक जानदार होता हैं ....बहुत बढिया भाई जी
ReplyDeleteवाह! अति सुन्दर.
ReplyDeleteआपके गीत भाव विभोर कर देतें हैं,सतीश भाई.
अद्भुत !!
ReplyDeleteकहाँ छिपी हो मीठी वाणी
थोड़े पुष्प ,चढ़ाकर जाओ
बिखरे फूलों का एक गजरा,
अपने हाथ बना कर जाओ
गीत जब इतने मधुर हो कैसे ना गुनगुनाए कोई
ReplyDeleteअक्षर अक्षर मोती की माला कैसे ना बनाए कोई ।
बहुत प्यारा सा मीठा गीत..
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