Monday, August 12, 2013

अब कोई युद्ध संभव नहीं -सतीश सक्सेना

                   काफी समय से हमारा मीडिया, बॉर्डर पर हुई सैनिकों की शहादतों के बाद करो या मरो के अंदाज़ में चीखना चिल्लाना शुरू कर देता है ! ऐसा लगता है कि  देश का सम्मान खतरे में है, चाहे इन सैनिकों की शहादत का कारण, आतंक वाद ही क्यों न हो ! सामान्यतः विभिन्न देशों की सीमाओं पर, विभिन्न कारणों से, झडपें आम घटना  मानी जाती हैं, और इसे लोकल कमांडरों के लेवल पर निपटा लिया जाता है न कि मिडिया और विपक्ष की हाय तौबा के दबाव में, पूरे विश्व का ध्यान, अपनी मूर्खताओं पर केन्द्रित करा दें ! 

                  बदकिस्मती से हमारे देश में ,मीडिया और राजनैतिक पार्टियों, इस प्रकार की घटनाये घटने पर इस प्रकार हो हल्ला मचाते हैं कि लगता है बस अब युद्ध शुरू करने के अलावा और कोई विकल्प नहीं बचा है ! नक़ल मार के पास हुए, मीडिया के इन विद्वानों को शायद यह पता ही नहीं कि अगर अगला युद्ध हो गया तो वह पारंपरिक युद्ध नहीं होगा जैसा १९६२,१९६५ अथवा १९७१ में लड़ा गया था ! यह युद्ध न्यूक्लियर होगा एवं निर्णायक होगा जिसमें दोनों तरफ अकल्पनीय हार होगी सिर्फ हार, जिसकी कल्पना से ही मानवता सिहर जाए ! 
                सामान्य और पारंपरिक युद्ध में , हम पाकिस्तान से बहुत श्रेष्ठ हैं और यह बात पाकिस्तानियों को भी मालुम है कि अपने से, चार गुनी बड़ी सेना से, आमने सामने ,थल ,जल व वायु में नहीं जीत सकते और उनकी हार निश्चित है ! ऐतिहासिक तथ्य है कि पाकिस्तान वे ज़ख्म नहीं भुला सकता जो उसने १९७१ में खाएं हैं जहाँ  लगभग १ लाख पाकिस्तान फौजियों को हथियार डालने पर मजबूर होना पडा और पाकिस्तान के दो टुकड़े हुए थे !

                   हम घास खायेंगे मगर एटम बम बनायेंगे , इस पालिसी को लेकर पाकिस्तान ने न केवल एटम बम हमारे देश के बराबर बना लिए हैं बल्कि उनके जटिल डिलीवर सिस्टम भी तैयार कर लिए हैं ! आज जहाँ भारत की एटॉमिक पालिसी "प्रथम अटैक नहीं " की है वहीँ पाकिस्तान अकेला देश है जिसने विश्व विरादरी के सम्मुख, ऐसी कोई कसम नहीं खायी है, अतः अगला युद्ध लड़ने और जीतने की कोशिश के लिए उनके पास एटॉमिक वार के अलावा और कोई विकल्प नहीं है !

                  तीन तीन बार हारने के बाद , भारत जैसे कट्टर दुश्मन से, युद्ध में जीतने का एक ही तरीका होगा की वह प्रथम अटैक की शुरुआत करे और वह शुरुआत होगी युद्ध में सुपरसोनिक क्रूज़ मिसाइल जिसमे एटॉमिक वारहेड लगे होंगे ! आजतक दुनियां में यह एटॉमिक वारहेड से युक्त क्रूज़ मिसाइल कभी उपयोग में नहीं लायीं गयीं ! एक बार छूटने के बाद,यह केवल मौत का स्वरुप हैं और वह भी मॉस डिस्ट्रक्शन की मौत , इसके अतिरिक्त और कुछ नहीं , वही जो हिरोशिमा ने झेला था, वह पूरा शहर भाप बन कर उड़ गया था और आज के वारहेड उससे सैकड़ों गुना अधिक शक्तिशाली हैं ! इस समय विश्व समाचारों के हिसाब से एटॉमिक हथियारों की संख्या रूस  के पास ८५००,अमेरिका ७७००, भारत ९० और पाकिस्तान के पास १०० हैं !

                  आजतक विश्व में , दो परमाणु शक्ति संपन्न देशों में कभी युद्ध नहीं हुआ उसका कारण सिर्फ यह है कि परिणाम स्वरुप सिर्फ महाविनाश नहीं होगा बल्कि दोनों और कोई नाम लेवा भी नहीं बचेगा !

दोनों देशों के पास मल्टी वार हेड एटॉमिक पॉवर युक्त आई सी बी एम् / आई आर बी एम्  मिसाइल हैं जो एक बार दागने के बाद रोकी नहीं जा सकतीं , आसमान में टार्गेट के ऊपर पंहुचने के बाद यह अपने आपको कई बमों में बदल कर अलग अलग शहरों पर गिरकर कहर बरपायेंगी !

भारत और पाकिस्तान अपने जन्म से ही पारंपरिक दुश्मन हैं ,जिसे बदकिस्मती से आजतक समाप्त करने के कोई प्रयास नहीं किये गए ! दोनों देशों की मीडिया और राजनैतिक पार्टियाँ इस आग में नया इंधन डालती रहती हैं ताकि उनका गुज़ारा होता रहे !

मेहरवानी के लिए, मिडिया और टीवी न्यूज़ देखकर ताल न ठोंकें और न देश भक्ति के जोश में, अपने आपको सर्व शक्तिशाली समझ , दूसरों पर आक्रमण करने की धमकी दें , इससे देश की, विश्व समुदाय में सिर्फ मज़ाक उड़ती है और हमारा उथलापन ज़ाहिर होता है ! हमें विश्वास रखना चाहिए कि हमारा देश बेहद शक्तिशाली देशों में से एक है , और एटॉमिक पॉवर युक्त सेना के होते, किसी देश द्वारा हराया नहीं जा सकता !

( चित्र गूगल से साभार )

57 comments:

  1. हमारे देश के पास सिर्फ छह महीने का फॉरेक्स (विदेशी मुद्रा) का स्टॉक है...ऐसे में युद्ध होता है तो आर्थिक मोर्चे पर कैसी भयावह स्थिति का सामना करना पड़ेगा, समझा जा सकता है...

    अगर युद्ध लड़ना ही है तो दोनों देशों को अपने यहां मौजूद एक जैसी बीमारियों- गरीबी, अशिक्षा बेरोज़गारी, भ्रष्टाचार, ऊर्जा संसांधनों की कमी, कट्टरपंथ, आतंकवाद से लड़ना चाहिए...

    गल्ला फाड़ना तात्कालिक राजनीति का तकाज़ा हो सकता है लेकिन कूटनीति और विदेशी राजनय के फैसले ठंडे दिमाग से लिए जाते हैं क्योंकि इनके परिणाम दूरगामी होते हैं और इस मामले में ज़रा सी भी चूक का नतीज़ा आने वाली कई पीढ़ियों तक भुगतना पड़ता है...

    जय हिंद...

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    1. काश हम देश भक्ति के साथ साथ जिम्मेदारी और समझदारी की बात भी करें ..

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  2. सतीश भाई वास्तव में ये एटमी जखीरा परस्पर विनाश की आश्वस्ति है। दिखाऊ हैं ये एटमी अश्त्र। खतरा यह है किसी के हाथ न आ जाएँ और पागलों की इस दुनिया में अब कमी नहीं है। ये चैनलिये अंगोछा छाप लड़ाई दिखाते हैं जिसमें एक दूसरे को भभकी दी जाती है लड़ा नहीं जाता। बढ़िया अपडेट दिया है आपने अपनी पोस्ट की मार्फ़त।

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    1. मननयोग्‍य बातें आलेख के माध्‍यम से। विरेन्‍द्र शर्मा जी ने जो कहा वह भी विचारणीय है।

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    2. मगर इस प्रकार की ख़बरों से आम जनमानस उत्तेजित होता है वीरू भाई !

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  3. ऎसा युद्ध होना भी नहीं चाहिये । लेकिन टी आर पी की होड़ में सब जायज है । मीडिया छोडि़ये नेताओं के मुँह से निकल रहे ऊल जलूल मिसाईल जैसे स्टेटमेंट में भी वही सब है !

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    1. सही कहा आपने !
      दोनों ही आग में घी डाल रहे हैं !

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  4. युद्ध तो ना पाकिस्तान की जनता चाहती है ना भारत की जनता .यह तो राज नेतायों का खेल है .अपनी उल्लुसिधा करने के लिए सैनिको को झोंक देते हैं मौत के मुंह में.
    latest post नेताजी सुनिए !!!
    latest post: भ्रष्टाचार और अपराध पोषित भारत!!

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  5. आज के समय में सेना की आवश्यकता तो सिर्फ सीमा पर अतिक्रमण प्रतिरोध बनाए रखने के लिए ही है अन्यथा कम से कम पडौसी देशों को किसी भी समय सबक सीखाने के लिए तो व्यवसायिक कूटनीतियां ही पर्याप्त हैं यदि सही समय पर प्रयोग की जाऐं।

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  6. पकिस्तान के पास एटॉमिक बमों के मामले में हमारे से अधिक बम उसके पास हैं , और उसकी भारत के खिलाफ डेलिवरी क्षमता, में हमारा पूरा देश कवर हो सकता है , उसके यह सारे बम केवल भारत को ध्यान में रखते हुए तैयार किये गए हैं ! विश्व में इस समय सबसे खतरनाक स्थान, जहाँ अगला विश्व युद्ध होने की संभावना है , भारतीय उपमहाद्वीप ही है , जहाँ हमारे टीवी सूरमा अक्सर पाकिस्तान को ललकारते रहते हैं वहीँ हम गाहे बगाहे चीन से भी ताल ठोकने से बाज़ नहीं आते हैं !
    निर्याणक युद्ध भावना के साथ लड़े, अगले किसी भी युद्ध में, हमारी कम हानि होगी यह सोंचना सिर्फ हमारी कम जानकारी बताता है ! अगला परमाणु युद्ध होने पर , हमारी आने वाली पीढियां , हमारे ज्ञान और समझ पर थूकेंगी !

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  7. ओह, आपने तो डरा के रख दिया, सक्सेना साहब :) अब समझ में आया कि अपने मौन सिंह जी इतने भी मौन क्यों है !! :) :)

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    1. कभी कभी डर भी जाया करो यार ...

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    2. मौन सिंह बिचारे क्या कर सकते हैं ... उनके बस में कोई नहीं ...
      घर में भी बुजुर्गों की कौन सुनता है ...

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  8. सार्थक सटीक लेख..

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  9. मौजूदा हालात में किसी भी कीमत पर युद्ध के बाद किसी के हाथ कुछ नहीं लगेगा. यह युद्ध युद्ध की चिंगारी सिर्फ़ नेता और मिडिया के सामने अपने भविशःय को सुरक्षित करने का हथियार मात्र है.

    रामराम.

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  10. ऊपर खुशदीप जी की टिप्पणी देखते हुये मैं पुनरावृति से बचने के लिये उनकी बात का समर्थन करूंगा. अक्षरश: सहमत हूं. उनके सुझाये गये मोर्चों पर आज युद्ध की अति आवश्यकता है.

    रामराम.

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  11. सतीश जी, आपका कहना सही है कि युद्ध से विनाश के सिवा कुछ मिल नहीं सकता लेकिन साथ में यह भी कहना चाहूँगा कि युद्ध तो अंतिम विकल्प होता है उससे पहले तो विरोध दिखाने के बहुत सारे रास्ते हैं लेकिन भारत सरकार उन पर भी नहीं चलना चाहती है ! भारत सरकार तो अपनी और से बातचीत के लिए उतावलापन दिखा रही है !

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  12. युद्ध!..यह शब्द सुनकर ही भय ही होता है.
    एक सुलझे और अच्छे नेतृत्व की दोनों देशों को आवश्यकता है.

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  13. आपका कहना बिल्कुल सही है कि इतने संवेदनशील मसले पर भावुक होकर सरकार पर किसी तरह का दबाव डालना उचित नहीं है लेकिन हमारी सरकार ने भी बेहद कमजोर रवैया दिखाकर अंतरराष्ट्रीय कूटनीति में अपने को कमजोर साबित किया है जिससे विरोधियों के हौसले बुलंद हो गये हैं।

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    1. अल्पमत सरकार हमेशा कमज़ोर ही होती है और रहेगी ...

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  14. युद्ध की स्थिति का सटीक विवेचन ... लेकिन सैनिकों को इस तरह मारने का मसाला भी हल होना चाहिए ।

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  15. युद्ध दोनों देशों के लिए नुकसानप्रद है. अगर भविष्य में युद्ध होता है तो हमारा देश कमजोर नहीं है .... आभार

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  16. सीमा पर मरने वाला हर जवान उसी सम्मान का हकदार है जो युद्ध में मरने वाले सनिक को मिलता है, भारत का हर सिपाही अनमोल है, पाकिस्तान को अपनी ओछी हरकतों से बाज आना चाहिए

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  17. आपका कहना सही है कि युद्ध से विनाश के सिवा कुछ मिल नहीं सकता, युद्ध समस्या का हल नहीं लेकिन माफ़ी और सहनशीलता की कोई तो सीमा होती है??

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  18. सार्थक विचारणीय आलेख है !

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  19. आज की स्थिति का सटीक विवेचना की है आपने, और मै सहमत भी हूँ.

    RECENT POST : जिन्दगी.

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  20. सार्थक लेख!
    सही बात है... धैर्य की सख़्त ज़रूरत है...युद्ध इसका इलाज नहीं है फिलहाल...! मीडिया की बात तो ख़ैर क्या ही कहें...

    ~सादर!!!

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  21. युद्ध ...पहले द्वितीय विश्वयुद्ध की तस्वीरें जरा ध्यान से देखें ..१९४५ में हुए हिरोशिमा और नागासाकी में परमाणु शास्त्रों का शिकार हुए लोगो के बारे में सोचें ये नेता तो शायद इनकी रूह भी कांप जाये...सारी दुनिया इस समय इन परमाणु शस्त्रों के ढेर पर बैठी है ...न जाने किस घडी क्या हो

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  22. युद्ध तो कोई नहीं चाहता।

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  23. युद्ध तो विनाश ही देता है. पडोसी चुनने का कोई विकल्प किसी के पास भी नहीं होता.

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  24. युद्ध जब होते है तो बहुत भयवाह होते है, आज भी जापान १९४५ के युद्ध को भुगत रहा है, अगर आज ऐसा हो गया तो हम न जाने कितने दिनों तक भुगतेंगे या यूँ कहे की दोनों और कुल कितने लोग बचेंगे सोच कर ही मन कांप उठता है , १९० परमाणु हथियार अगर चल जाते है तो आधी दुनिया ही ख़त्म हो जाएगी , खुशहाल जी की बातो से पूर्णता सहमती जताता हूँ

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    1. यहाँ तक लोग समझते ही नहीं ...

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  25. युद्ध बहुत विनाशक होता है-यह सच है .उससे बचने का दोनो ओर से ईमानदार प्रयत्न होना चाहिये .
    लेकिन युद्ध केवल हथियारों से नहीं होता - साम,दाम दंड,भेद आदि नीतियों का यथास्थान और कुशल प्रयोग करना राजनीतिज्ञों का काम है.अपने स्वार्थ के लिए घर में भेद डालना , बाहरी लोग लाभ उठाएँगे ही.और मीडिया का रोल ?उत्तेजना फैलाने की आदत वह तो हमेशा प्रश्नों के घेरे में रहता है.राष्ट्रीय चरित्र हर क्षेत्र में ,हर स्तर पर कैसा है और उसका परिणाम स्थाई गिरावट.
    थोड़ा स्वाभिमान जागे लोगों में,थोड़ी दृढ़ता और अपनी अस्मिता बचाने का चाव जागे इसकी अपेक्षा है.

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  26. होता भी तो आपके रहते संभव नहीं है मेरे बड़े भाई !:-) आप ब्लॉग जगत के शान्ति दूत हैं !
    रचना तो पहले जैसी ही बेजोड़ है ! आपका कहना सच है युद्ध होने पर हताश पाक परमाणु बम चला सकता है

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    1. शुक्रिया अरविन्द भाई ,
      आपकी यह पंक्ति पूरक है इस लेख की !

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  27. आपकी बात से सहमत सतीश जी ... पर हुक्मरानों को अब किसी दूसरी टेक्नीक पे काम करना चाहिए पाकिस्तान को कोर्नर करना भी बहुत जरूरी है ...

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  28. युद्ध कोई भी समस्या का समाधान नहीं होता है... बहुत ही विचारणीय आलेख...

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  29. सार्थक चिंतन। परमाणु बमों के रहते युद्ध तो नामुमकिन लगता है. लेकिन हमारी सहिष्णुता को कमजोरी न समझा जाये , यह भी ज़रूरी है. हम हिंदुस्तानी भी जल्दी ही क्षमादान पर उतर आते हैं. साँप को बिना बात दूध पिलाते हैं.

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  30. पूर्णकालिक युद्ध तो संभव ही नहीं है, पर अपनी सुरक्षा होतु तो तैयारी पूरी हो।

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  31. नक़ल मार के पास हुए comment is worth appreciating sir.

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  32. युध्द विचारों का भी होता है, डिप्लोमेसी में भी हम पाकिस्तान से कमजोर ही साबित होते रहे हैं । पाकिस्तान अपने भौगोलिक स्थिति से लगातार फायदा उठाता जा रहा है ।

    बारबार आपको कोंचा और नोंचा जा रहा है इस स्थिति में भी क्या मौन ही रहा जाये ।

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  33. आपकी बातों और सूक्ष्मता से पूर्णतः सहमत

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  34. युद्ध से कभी किसी को कुछ हासिल नहीं हुआ है ......

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  35. हमें विश्वास रखना चाहिए कि हमारा देश बेहद शक्तिशाली देशों में से एक है , और एटॉमिक पॉवर युक्त सेना के होते, किसी देश द्वारा हराया नहीं जा सकता !
    आरदरणीय सतीश सर आपने बहुत ही सटीक लेख लिखा है ,इसके लिए आपको धन्यवाद !

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  36. इस बात को हम शुरु से ही समझते आ रहे हैं और इस बात को वह भली भांति जानता है तभी तो निर्भीकता से हमारे मैत्रीभाव की धज्जियाँ उडाता आ रहा है । युद्ध के पक्ष में तो हम कभी रहे ही नही । लेकिन वह किसी औचित्य पर तो ठहरे । हम तो सदा से ही सद्भावों के साथ मिलना चाहते रहे हैं । हमेशा शान्ति व समझौतों की बात करते रहना कहीं न कहीं कमजोर तो बना रहा है हमें ।

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  37. बात तो बिलकुल सही है कि १९७१ से अबतक बहुत कुछ बदला है
    युद्ध से दोनों पक्षों को नुक्सान है
    पर पाकिस्तान का वर्तमान रवैया सही नहीं है और बर्दास्त करने योग्य नहीं है

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  38. अब तो मुझे भी गाँधीवाद ही सर्वोत्तम उपाय दिखने लगा है।
    इस पोस्ट में आपने बहुत बिंदु दिये हैं कि हमें क्या नहीं करना चाहिये, कुछ प्रकाश इस पर भी डालिये कि हमें क्या करना चाहिये। कमेंट्स में जरूर इस पर विचार आये हैं लेकिन वो अपील दोनों देशों की सरकार से है। पंजाबी का एक मुहावरा है ’डड्डू तौलना’(मेंढक तौलना) - और यह सिर्फ़ तभी संभव है जब मेंढक जिंदा न हों। आपसे अनुरोध है कि कुछ सुझाव ऐसे दें जो सिर्फ़ यहाँ कि जनता\सरकार के लिये हों कि हमें क्या करना चाहिये। वैसे तो मैं खुद भी सुझाव दे सकता हूँ लेकिन आप सुझाव देंगे तो सुलझे हुये होंगे, इसलिये आपसे अनुरोध कर रहा हूँ।

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    1. अतः इस संवेदनशील मुद्दे पर मैं बहस नहीं चाहता फिर भी संजय बाऊ की बात टाली नहीं जा सकती अतः कुछ बिंदु ..

      - टीवी वाले बिना समझ हर घटना की न्यायिक परख स्टूडियो में करते हैं और जनता को हर वक्त सनसनाहट में डाले रहना चाहते हैं !
      -बॉर्डर पर घटी घटनाएं , हमें एक तरफा सुनाई पड़ती हैं जो हमारे टीवी पहलवान परोसते हैं , और हमें जोश दिलाते हैं !
      -बॉर्डर पर अधिकारियों के पास या बैंक अधिकारियों के पास अकस्मात घी घटनाओं से निपटने के लिए कुछ अधिकार होते हैं और वे फैसले लिए जाते हैं !
      - हमारे सैनिक बॉर्डर पर खिलौना बन्दूक लेकर नहीं बैठे हैं , जहाँ जान पर ख़तरा दिखेगा उनको कार्यवाही के आदेश हैं और उन्होंने ने कुछ नहीं किया होगा यह सोंचना सिर्फ हमारी कमअक्ली होगा, हाँ वह अखबारों में नहीं आया होगा और आना भी नहीं चाहिए !
      - हमें कभी कभी घटनाओं को समझने के लिए पडोसी के अखबार भी पढने चाहिए ..
      - महात्मा गांधी का ज़माना नाथूराम ने खत्म कर दिया अब क्यों दर्द उभरते हो यार ..

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    2. @ लेकिन आप सुझाव देंगे तो सुलझे हुये होंगे..

      एक तरफ बड़ा भाई और दूसरी तरफ ऐसा मज़ाक .. ??

      सही है ,
      अपने संजय को कैसे मनाया जाये ?
      बता दो गुरु !!

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    3. बहस नहीं, संशय निवारण के लिय अनुरोध किया था बड़े भाई। और बड़ा भाई आपको इस लिये कहता हूँ कि आपका दिल बड़ा है, मेरा दिल उतना बड़ा नहीं है। मैं आपसे रूठा ही नहीं तो आप मनायेंगे कैसे, मैं तो मना-मनाया ही हूँ। लेकिन सिर्फ़ ’वाह-वाह क्या बात है’ टाईप टिप्पणी मुझसे होती नहीं(हालाँकि ऐसा सोचा बहुत बार है) कहीं कहीं अपना नजरिया जाहिर कर देते हैं और सामने वाले का समझ लेते हैं, बस इतनी सी बात है। इस मुद्दे पर मज़ाक भी नहीं कर रहा।

      अब हमेशा की तरह बिल्कुल यह मानते हुये कि मेरी सोच गलत हो सकती है, आपकी प्रतिक्रिया पर कुछ बात कहना चाहूँगा :

      - किसी भी घटना पर प्रतिक्रिया करने में हम लोग इस बात पर ज्यादा गौर करते हैं कि संबद्ध पक्ष कौन हैं। और अगर उनमें से एक पक्ष पाकिस्तान या फ़िर कोई मुस्लिम व्यक्ति या संगठन हो तो हम अनावश्यक रूप से अतिसक्रिय हो जाते हैं। हममें से कुछ अतिरिक्त रूप से अग्रेसिव हो जाते हैं और कुछ अतिरिक्त और अग्रिम रूप से प्रोटैक्टिव। कई ऐसे मसले देख लिये हैं। कसाब के फ़ाँसी हुई तो बहुत से लोगों को एकदम से याद आया कि वो भी किसी का बेटा\भाई था या फ़िर ये कि वो सिर्फ़ एक मोहरा था और जो सैकड़ों परिवार उनके कारण बर्बाद हुये उनके रिश्ते-नाते कुछ नहीं। ऐसा ही अफ़ज़ल गुरू की फ़ाँसी के समय हुआ, कानून का पालन नहीं हुआ\न्याय नहीं मिला और जो रक्षाकर्मी देश की संसद को बचाने में शहीद हुये उनके लिये न्याय कोई मुद्दा नहीं। इशरतजहाँ, आजाद मैदान, बाटला एनकाऊंटर और जाने कितने ही ऐसे केस आपको दिख जायेंगे जहाँ हमारी करुणा सैलाब की तरह बहती दिखती है लेकिन सेलेक्टिव होकर। इस खेल में हम, आप और मीडिया वाले सब हिस्सेदार हैं। क्यों हम सब एग्रेसिव और प्रोटैक्टिव लोग इन बातों को धर्म से जोड़कर देखते\दिखाते हैं? अजमेर दरगाह के दीवान सैयद जेनुलाबेदीन (जिन्होंने उस देश के प्रधानमंत्री का स्वागत करने से इंकार कर दिया था जिसके सैनिकों ने कायरता से हमारे सैनिकॊं के सिर कलम किये थे)के लिये मेरे मन में बहुत से हिन्दुओं के मुकाबले कहीं ज्यादा सम्मान है। क्या मैं भी उनका सम्मान सिर्फ़ इसलिये न करूँ कि वो मुसलमान हैं?

      - सिर्फ़ बार्डर पर ही नहीं, देश में घटी बहुत सी घटनायें भी एकतरफ़ा ही परोसी जाती हैं। उदाहरण फ़िर वैसा ही - गुजरात दंगों को लेकर सिर्फ़ विजुअल मीडिया ही नहीं बल्कि प्रिंट मीडिया में भी नब्बे से पिच्यानवे प्रतिशत आर्टिकल्स दिखेंगे वो गोधरा को एकदम से स्किप कर जाते हैं।

      @ खिलौने वाली पिस्तौलें - मुझे जो जानकारी है उसके अनुसार किस हथियार से रिटैलियेट किया जाना है, इसके लिये हमारे यहाँ laid down norms हैं और संयोगवश एक अनुशासनप्रिय सेना होने के नाते उसका पालन भी किया जाता है। इन मामलों का मैं विशेषज्ञ नहीं लेकिन एक पूर्व रक्षा अधिकारी का ऐसा स्टेटमेंट देखा था।

      - पड़ौसी के अखबार वाली बात पर अमल की कोशिश करूंगा हालाँकि इसमें कोई शक नहीं कि पढ़ने से पहले ही पूर्वाग्रहों से भरा रहूँगा।

      @ महात्मा गाँधी और नाथूराम - दर्द तो है हमें भी। वैसे आपने गोडसे का वो बयान तो पढ़ा ही होगा जिसपर साठ साल तक सरकार ने प्रतिबंध लगाये रखा था। गोडसे के जिक्र से आपकी एक पुरानी पोस्ट याद आ गई, चिट्ठी वाली।

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    4. क्या कहूं ..
      संक्षिप्त में बहुत कुछ कह गए हो इस वज़नदार टिप्पणी में ..
      आपके शक गलत नहीं हैं ..
      देश के दुश्मनों को माफ़ नहीं किया जाना चाहिए और न रियायत बरतनी चाहिए , कसाब जैसे हत्यारे के साथ कोई भी नरमी क्षमा योग्य नहीं है !
      यह लेख को केवल दो बिन्दुओं पर देखें ..
      -टीवी बेवजह वार फोबिया उत्पन्न करता है !
      - परमाणु शक्ति संपन्न देशों में युद्ध का अर्थ दोनों देशों का मानसिक दिवालियापन होगा और कुछ नहीं !
      हमें कुछ नए रास्ते खोजने होंगे !

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  39. गंभीर समस्या पर सामयिक और सटीक आलेख...एक सार्थक चर्चा.....

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  40. इतना कुछ लिखा जा चुका है कि ...अब लिखने को कुछ नहीं बचा ...बस लेख को पढ़ कर जा रहें हैं

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एक निवेदन !
आपके दिए गए कमेंट्स बेहद महत्वपूर्ण हो सकते हैं, कई बार पोस्ट से बेहतर जागरूक पाठकों के कमेंट्स लगते हैं,प्रतिक्रिया देते समय कृपया ध्यान रखें कि जो आप लिख रहे हैं, उसमें बेहद शक्ति होती है,लोग अपनी अपनी श्रद्धा अनुसार पढेंगे, और तदनुसार आचरण भी कर सकते हैं , अतः आवश्यकता है कि आप नाज़ुक विषयों पर, प्रतिक्रिया देते समय, लेखन को पढ़ अवश्य लें और आपकी प्रतिक्रिया समाज व देश के लिए ईमानदार हो, यही आशा है !


- सतीश सक्सेना

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