चाटुकारिता गाने वालों , प्रीत नहीं लिख पाओगे !
सबके मन को भाने वाले गीत नहीं लिख पाओगे !
ह्रदय तरंगित करने वाले, गीत नहीं लिख पाओगे !
सूरदास, रसखान को पहले, पढ़ आओ गाने वालों
केशव को बुलवाने वाले ,गीत नहीं लिख पाओगे !
केशव को बुलवाने वाले ,गीत नहीं लिख पाओगे !
अगर नहीं आवाहन होगा , मोहन के मन भावों सा
राधा को आकर्षित करते, गीत नहीं लिख पाओगे !
सचमुच बिना भावों के गीत कहाँ संगीत कहाँ और कविकर्म कहाँ ?कवी होने के पहले कवि ह्रदय होना जरूरी है !
ReplyDeleteएक दम सही कहा...
ReplyDeleteसच्चे गीत सच्चे अनुभवों के बाद ही लिखे जाते हैं..
सुन्दर रचना..
सादर
अनु
अगर जीव को देख कष्ट में, तुम्हे नहीं ममता आये !
ReplyDeleteकेशव की बांसुरियों वाले,गीत नहीं लिख पाओगे !.............निश्चय ही।
अगर कभी ठुकराया होगा, अपने घर के बूढ़ों को !
घर से खींच के लाने वाले,गीत नहीं लिख पाओगे !...............बहुत अच्छा लिखा है।
अगर जीव को देख कष्ट में, तुम्हे नहीं ममता आये !
ReplyDeleteकेशव की बांसुरियों वाले,गीत नहीं लिख पाओगे !
सुंदर भाव ...शुभकामनायें .
शब्द चुराकर,लय से गाकर,पैरोडी तो लिख लोगे
ReplyDeleteमन में हुड़क जगाने वाले,गीत नहीं लिख पाओगे !
बेहतरीन सटीक प्रस्तुति...!
RECENT POST -: आप इतना यहाँ पर न इतराइये.
अगर कभी ठुकराया होगा, अपने घर के बूढ़ों को !
ReplyDeleteघर से खींच के लाने वाले,गीत नहीं लिख पाओगे !
सच्चे भाव। बहुत खूब!
उम्दा पेशकश -
ReplyDeleteशुक्रिया महाशय -
पीड़ा गहरी हो तो गीत प्रभाव लाता है।
ReplyDeleteक्या बात है गुरुदेव...आजकल बहुत गहरे तीर मार रहे हैं...
ReplyDeleteबहुत बढिया ।
ReplyDeleteसच्चे भाव....बेहतरीन प्रस्तुति........
ReplyDeleteबहुत बढिया ।बेहतरीन प्रस्तुति........
ReplyDeleteसटीक और अंतर्मन की आवाज़...बहुत सुन्दर
ReplyDeleteअगर जीव को देख कष्ट में, तुम्हे नहीं ममता आये !
ReplyDeleteकेशव की बांसुरियों वाले,गीत नहीं लिख पाओगे !
बहुत सुंदर और सच भी !!
सूरदास,रसखान को पहले,पढ़ आओ गाने वालो !
ReplyDeleteभक्ति तरंगें लाने वाले , गीत नहीं लिख पाओगे !
बहुत सुंदर,
सूरदास,रसखान को पहले,पढ़ आओ गाने वालो !
ReplyDeleteभक्ति तरंगें लाने वाले , गीत नहीं लिख पाओगे !
बहुत सुंदर,
सार्थक प्रस्तुति।
ReplyDeleteपण्डित अरविन्द मिश्रा जी की बात ही मैं भी कहना चाहूँगा...
ReplyDeleteजो भरा नहीं हो भावों से, बहती जिसमें रसधार नहीं,
वह कवि नहीं हो सकता..
सच में नहीं लिख पायेगें ......बहुत खुबसूरत .......नमस्ते
ReplyDeleteसाहब, सबके अपने अपने कारण है लिखने के :)
ReplyDeleteजारी रखिये।
बहुत सुन्दर और सही कहा |
ReplyDeleteजातिधर्म पर मिटने वालो,कवि भले ही कहलाओ
ReplyDeleteसबके मन को छूने वाले, गीत नहीं लिख पाओगे !
सबके के मन को वही छू सकता है जो अपने मन से संवेदनशील होता है, जो जाती धर्म से परे हो वही कवि और वही कविता क्योंकि कवि होना मनुष्य के आगे एक कदम है !
बहुत सुन्दर भाव
ReplyDeleteयहाँ आप जैसे कोई गीत लिख सकता हो .....हो नहीं सकता
ReplyDeleteवाह !
ReplyDeleteबहुत सुंदर संदेश देता गीत..
ReplyDeleteजोरदार आवाज़ है आपकी यह रचना मौलिकता के लिए.
ReplyDeleteकविता सूक्ष्म भावों की अभिव्यक्ति है।
ReplyDeleteमगर लिखने और होने पर मैं हमेशा सहमत नहीं हूँ। कई बार अच्छा लिखने वाले विपरीत निकलते हैं , दरअसल लिखना शब्दों का खेल भी है !!
बढि़या भाव और सुंदर सृजन।
ReplyDeleteशब्द चुराकर,लय से गाकर,पैरोडी तो लिख लोगे
ReplyDeleteमन में हुड़क जगाने वाले,गीत नहीं लिख पाओगे !..बहुत सुंदर संदेश देता गीत....
आज काफी समय बाद आपके ब्लॉग पर आना हुआ...
ReplyDeleteअगर नहीं आवाहन होगा,शब्दों और संवादों में !
पढ़कर के शरमाने वाले,गीत नहीं लिख पाओगे !
खरी-खरी कहता बहुत सुंदर गीत...
हार्दिक साधुवाद;-))
अगर जीव को देख कष्ट में, तुम्हे नहीं ममता आये !
ReplyDeleteकेशव की बांसुरियों वाले,गीत नहीं लिख पाओगे !
Panktiyaan bahut sundar hain...
अगर जीव को देख कष्ट में, तुम्हे नहीं ममता आये !
ReplyDeleteकेशव की बांसुरियों वाले,गीत नहीं लिख पाओगे !
Panktiyaan dil ko choone vali hain...
वाह ... लयबद्ध गीत देख-पढ़ आनंद आ गया
ReplyDeleteवो भी कैसी खरी-खरी
सटीक रचना
ReplyDelete"स्तुति गीत भले ही लिख लो प्रीत नहीं लिख पाओगे"
ReplyDeleteबहुत ही सुन्दर गीत मन को छू लिया ..... आभार
गूत के माध्यम से बहुत ही गूढ बात कह डाली आपने, शुभकामनाएं.
ReplyDeleteरामराम.
अप्रतीम पंक्तियाँ!!
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