Sunday, January 19, 2014

चाटुकारिता गाने वालों, प्रीत नहीं लिख पाओगे -सतीश सक्सेना

चाटुकारिता गाने वालों , प्रीत नहीं लिख पाओगे !
जन मन में छा जाने वाले गीत, नहीं लिख पाओगे !

जाति गर्व पर लिखने वालों कवि भले ही कहलाओ
सबके मन को भाने वाले गीत नहीं लिख पाओगे !

शब्द चुराकर हाथ नचाकर, मंच पे ताली पा लोगे 
ह्रदय तरंगित करने वाले, गीत नहीं लिख पाओगे !

सूरदास, रसखान को पहले, पढ़ आओ गाने वालों
केशव को बुलवाने वाले ,गीत नहीं लिख पाओगे !

अगर नहीं आवाहन होगा , मोहन के मन भावों सा 
राधा को आकर्षित करते, गीत नहीं लिख पाओगे !

38 comments:

  1. सचमुच बिना भावों के गीत कहाँ संगीत कहाँ और कविकर्म कहाँ ?कवी होने के पहले कवि ह्रदय होना जरूरी है !

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  2. एक दम सही कहा...
    सच्चे गीत सच्चे अनुभवों के बाद ही लिखे जाते हैं..
    सुन्दर रचना..

    सादर
    अनु

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  3. अगर जीव को देख कष्ट में, तुम्हे नहीं ममता आये !
    केशव की बांसुरियों वाले,गीत नहीं लिख पाओगे !.............निश्‍चय ही।

    अगर कभी ठुकराया होगा, अपने घर के बूढ़ों को !
    घर से खींच के लाने वाले,गीत नहीं लिख पाओगे !...............बहुत अच्‍छा लिखा है।

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  4. अगर जीव को देख कष्ट में, तुम्हे नहीं ममता आये !
    केशव की बांसुरियों वाले,गीत नहीं लिख पाओगे !

    सुंदर भाव ...शुभकामनायें .

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  5. शब्द चुराकर,लय से गाकर,पैरोडी तो लिख लोगे
    मन में हुड़क जगाने वाले,गीत नहीं लिख पाओगे !

    बेहतरीन सटीक प्रस्तुति...!

    RECENT POST -: आप इतना यहाँ पर न इतराइये.

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  6. अगर कभी ठुकराया होगा, अपने घर के बूढ़ों को !
    घर से खींच के लाने वाले,गीत नहीं लिख पाओगे !
    सच्चे भाव। बहुत खूब!

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  7. उम्दा पेशकश -
    शुक्रिया महाशय -

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  8. पीड़ा गहरी हो तो गीत प्रभाव लाता है।

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  9. क्या बात है गुरुदेव...आजकल बहुत गहरे तीर मार रहे हैं...

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  10. सच्चे भाव....बेहतरीन प्रस्तुति........

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  11. बहुत बढिया ।बेहतरीन प्रस्तुति........

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  12. सटीक और अंतर्मन की आवाज़...बहुत सुन्दर

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  13. अगर जीव को देख कष्ट में, तुम्हे नहीं ममता आये !
    केशव की बांसुरियों वाले,गीत नहीं लिख पाओगे !
    बहुत सुंदर और सच भी !!

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  14. सूरदास,रसखान को पहले,पढ़ आओ गाने वालो !
    भक्ति तरंगें लाने वाले , गीत नहीं लिख पाओगे !
    बहुत सुंदर,

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  15. सूरदास,रसखान को पहले,पढ़ आओ गाने वालो !
    भक्ति तरंगें लाने वाले , गीत नहीं लिख पाओगे !
    बहुत सुंदर,

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  16. पण्डित अरविन्द मिश्रा जी की बात ही मैं भी कहना चाहूँगा...
    जो भरा नहीं हो भावों से, बहती जिसमें रसधार नहीं,
    वह कवि नहीं हो सकता..

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  17. सच में नहीं लिख पायेगें ......बहुत खुबसूरत .......नमस्ते

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  18. साहब, सबके अपने अपने कारण है लिखने के :)

    जारी रखिये।

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  19. बहुत सुन्दर और सही कहा |

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  20. जातिधर्म पर मिटने वालो,कवि भले ही कहलाओ
    सबके मन को छूने वाले, गीत नहीं लिख पाओगे !
    सबके के मन को वही छू सकता है जो अपने मन से संवेदनशील होता है, जो जाती धर्म से परे हो वही कवि और वही कविता क्योंकि कवि होना मनुष्य के आगे एक कदम है !

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  21. बहुत सुन्दर भाव

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  22. यहाँ आप जैसे कोई गीत लिख सकता हो .....हो नहीं सकता

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  23. बहुत सुंदर संदेश देता गीत..

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  24. जोरदार आवाज़ है आपकी यह रचना मौलिकता के लिए.

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  25. कविता सूक्ष्म भावों की अभिव्यक्ति है।
    मगर लिखने और होने पर मैं हमेशा सहमत नहीं हूँ। कई बार अच्छा लिखने वाले विपरीत निकलते हैं , दरअसल लिखना शब्दों का खेल भी है !!

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  26. बढि़या भाव और सुंदर सृजन।

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  27. शब्द चुराकर,लय से गाकर,पैरोडी तो लिख लोगे
    मन में हुड़क जगाने वाले,गीत नहीं लिख पाओगे !..बहुत सुंदर संदेश देता गीत....

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  28. आज काफी समय बाद आपके ब्लॉग पर आना हुआ...

    अगर नहीं आवाहन होगा,शब्दों और संवादों में !
    पढ़कर के शरमाने वाले,गीत नहीं लिख पाओगे !

    खरी-खरी कहता बहुत सुंदर गीत...
    हार्दिक साधुवाद;-))

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  29. अगर जीव को देख कष्ट में, तुम्हे नहीं ममता आये !
    केशव की बांसुरियों वाले,गीत नहीं लिख पाओगे !

    Panktiyaan bahut sundar hain...

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  30. अगर जीव को देख कष्ट में, तुम्हे नहीं ममता आये !
    केशव की बांसुरियों वाले,गीत नहीं लिख पाओगे !

    Panktiyaan dil ko choone vali hain...

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  31. वाह ... लयबद्ध गीत देख-पढ़ आनंद आ गया
    वो भी कैसी खरी-खरी

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  32. सटीक रचना

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  33. "स्तुति गीत भले ही लिख लो प्रीत नहीं लिख पाओगे"
    बहुत ही सुन्दर गीत मन को छू लिया ..... आभार

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  34. गूत के माध्यम से बहुत ही गूढ बात कह डाली आपने, शुभकामनाएं.

    रामराम.

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  35. अप्रतीम पंक्तियाँ!!

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- सतीश सक्सेना

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