अचानक मुझे पा , बदल ही तो जाते ,
अदेखा मुझे कर निकल ही तो जाते !
अगर हम तुम्हें , बिन मुखौटे के पाते !
असल देखकर बस दहल ही तो जाते !
अदेखा मुझे कर निकल ही तो जाते !
विदाई से पहले , खबर तक नहीं की
तुम्हें देखकर, बस मचल ही तो जाते !
बुलावा जो आता तो आहुति भी देते
हवन में भले हाथ, जल ही तो जाते !
अगर विष न होता तो नारी को दुमुहें
न जाने कभी का, निगल ही तो जाते !
अगर विष न होता तो नारी को दुमुहें
न जाने कभी का, निगल ही तो जाते !
अगर हम तुम्हें , बिन मुखौटे के पाते !
असल देखकर बस दहल ही तो जाते !
Bulawa jo aata to aahuti dete..hawan me bhale haath jal hi to jaate ... Lajawaab likhate hain aap... Aapki har gazal me gahre bhaaw hote hain.... Badhayi va shubhkamnaayein !!
ReplyDeleteकितने मोहकता से आपने सच्चाई को व्यक्त किया है
ReplyDeleteबहुत ही सुन्दर सर जी
ReplyDeleteक्या खींचा है मुखौटा ऊपर वाला
ReplyDeleteनिकला?
नहीं जी
बहुत पक्का
चिपका हुआ है :)
बहुत सुंदर भावाभिव्यकति ।
ReplyDeleteवाह...बहुत बढ़िया !!
ReplyDeleteसादर
अनु
अगर हम तुम्हें , बिन मुखौटे के पाते !
ReplyDeleteअसल देखकर बस दहल ही तो जाते
....बहुत खूब।
अगर हम तुम्हें , बिन मुखौटे के पाते !
ReplyDeleteअसल देखकर बस दहल ही तो जाते
....बहुत खूब।
अगर हम तुम्हें , बिन मुखौटे के पाते !
ReplyDeleteअसल देखकर बस दहल ही तो जाते ..
गहरी बात कह गए सतीश जी ... समाज के दोगलेपन पर तमाचा ...
गंगा-स्नान/नानक-जयन्ती(कार्त्तिक-पूर्णिमा) की सभी मित्रों को वधाई एवं तन-मन-रूह की शुद्धि हेतु मंगल कामना !
ReplyDeleteअभूत ही सच कहा है आप ने !
सच्चाई पेश करती है पंक्तियाँ
ReplyDeleteकसावट लाजवाब
बेहतरीन पंक्तियाँ
ReplyDeleteबुलावा जो आता तो आहुति भी देते
ReplyDeleteहवन में भले हाथ, जल ही तो जाते !
क्या बात है बढ़िया शेर है !
अगर हम तुम्हें , बिन मुखौटे के पाते !
ReplyDeleteअसल देखकर बस दहल ही तो जाते
...वाह...लाज़वाब प्रस्तुति...
बहुत सुन्दर प्रस्तुति !
ReplyDeleteमुखौटे के बिना दहल जाते तो फिर मुखौटे ठीक है।
ReplyDeleteबुलावा जो आता तो आहुति भी देते
ReplyDeleteहवन में भले हाथ, जल ही तो जाते !
बहुत ख़ूब !
बहुत सुन्दर प्रस्तुति।
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