चापलूसों को भी कुछ सम्मान मिलना चाहिए ,
इनकी मेहनत को,वतन से मान मिलना चाहिए !
काम टेढ़ा कम नहीं पर जब भी नेताजी दिखें
शक्ल कुत्ते सी लगे और पूंछ हिलना चाहिए !
दांत तीखे हों,नज़र दुश्मन पे, मौक़ा ताड़ कर
मालिकों के दुश्मनों पर, वार करना चाहिए !
मालिकों की शान में जितने कसीदे हों, पढ़ें
धूर्त को योगी , विरागी ही बताना चाहिए !
पार्टियों में सूट हो पर , जाहिलों के बीच में
राष्ट्रभक्तों को धवल खद्दर, पहनना चाहिए !
इनकी मेहनत को,वतन से मान मिलना चाहिए !
काम टेढ़ा कम नहीं पर जब भी नेताजी दिखें
शक्ल कुत्ते सी लगे और पूंछ हिलना चाहिए !
दांत तीखे हों,नज़र दुश्मन पे, मौक़ा ताड़ कर
मालिकों के दुश्मनों पर, वार करना चाहिए !
मालिकों की शान में जितने कसीदे हों, पढ़ें
धूर्त को योगी , विरागी ही बताना चाहिए !
पार्टियों में सूट हो पर , जाहिलों के बीच में
राष्ट्रभक्तों को धवल खद्दर, पहनना चाहिए !
वाह क्या बात है ।
ReplyDeleteकह नहीं रहे हैं पर हमको भी ऐसा करने का बहुत मन होता है पर हो नहीं पाता है ):
आपकी इस पोस्ट को शनिवार, ०६ जून, २०१५ की बुलेटिन - "आतंक, आतंकी और ८४ का दर्द" में स्थान दिया गया है। कृपया बुलेटिन पर पधार कर अपनी टिप्पणी प्रदान करें। सादर....आभार और धन्यवाद। जय हो - मंगलमय हो - हर हर महादेव।
ReplyDeleteदुम हिलाने का हुनर,आसान कुछ होता नहीं
ReplyDeleteगालियां दुत्कार खाकर, मुस्कराना चाहिए --वाह क्या बात ,दुम हिलाना सच आसान नहीं---पुरुस्कार के अधिकारी तो ये हैं ही --हर पंक्तियाँ आपकी मज़ेदार।
सटीक व्यंग्य
ReplyDeleteबढ़िया है ...
ReplyDeleteबहुत ही तीखा लेकिन सटीक व्यंग्य ..
ReplyDeleteबढ़िया है।
ReplyDeleteबहुत खूब।
ReplyDeleteयहाँ यहाँ भी पधारें
http://chlachitra.blogspot.com
http://cricketluverr.blogspot.com
जबरदस्त तंज़ कसती बेहद खूबसूरत रचना, बधाई
ReplyDeleteMazaa aa gaya...teekha vyanga :)
ReplyDeleteदुम हिलाने का हुनर,आसान कुछ होता नहीं
ReplyDeleteगालियां दुत्कार खाकर, मुस्कराना चाहिए !
करार व्यंग ... तेज़ धार .. बहुत ही मजेदार ... हर शेर चाबुक की तरह ...
कटु पर सत्य !
ReplyDeleteबहुत खूब sir
ReplyDeleteशानदार
क्या गजब का लिखते हैं आप ..... वाह
ReplyDeleteपढ़कर आनंद आ जाता है