क्या हुआ, ये सोच में डूबी खुमारी किसलिए ?
आँधियों ने ओढ़ ली इतनी उदासी किस लिए ?
आँधियों ने ओढ़ ली इतनी उदासी किस लिए ?
तुम तो कहते थे, न सोओगे , न सोने दो मुझे
आज ऐसा क्या हुआ,इतनी उबासी किस लिए ?
ऐसी क्या अवमानना की मानिनी की, प्यार ने
चमक चेहरे की हुई है,अमलतासी किस लिए ?
लगता घायल से हुए हो, जख्म गहरे दिख रहे
पागलों के पास जाकर मुंह दिखायी किसलिए ?
ये भी अच्छा है कि पछतावा रहे , सरकार को
इक दीवाने के लिए भी जग हँसायी किसलिए ?