सबके मन में ही बसते हैं
गूगल से साभार |
मुरझाये मानव,जीवन में
गीतों का झरना लाते हैं
घने अँधेरे पर जाने कब ,
हौले हौले छा जाते हैं !
किसे ढूँढ़ते चित्र बनाये
लाखों देव देवताओं में ,
दिव्य और विश्वस्त रूप की, मानव को पहचान नहीं है !
जीवन के सब चक्र उलझते
उनके असमय सो जाने पर ,
फुलझड़ियाँ बरसें आँगन में
रोज सुबह उनके जगने पर
दिव्य पुरुष के आसानी से
दर्शन सुलभ नहीं मानव को
कष्ट और निज मर्यादा का
कितना ही अहसास रहे पर
अवमानना प्यार की करके , कोई भी परिहार नहीं है !
उनके आने से पहले ही
जग में कोलाहल आ जाता
उनके चलने से पहले ही,
धरती पर योवन आ जाता
उनकी मद्धम गति से दुनियां
का जीवन रौनक पा जाता
किसे अर्ध्य देने जाती हो
स्वप्नपुरुष की अनदेखी कर
जग में कोलाहल आ जाता
उनके चलने से पहले ही,
धरती पर योवन आ जाता
उनकी मद्धम गति से दुनियां
का जीवन रौनक पा जाता
किसे अर्ध्य देने जाती हो
स्वप्नपुरुष की अनदेखी कर
सूर्य किरण के रथ चिन्हों की, तुमको भी पहचान नहीं है !
अगर तेज को सह न पायीं
आँखें बंद नहीं करनी थीं !
अर्ध्य नहीं दे पायीं जल का
तो भी पीठ नहीं करनी थी !
देवपुरुष को आगे पाकर
पुष्पांजलि भेंट करनी थी
आकर चले गए द्वारे से
ये कैसा आवाहन तेरा !
धीर और गंभीर पदों के, आहट की पहचान नहीं है !
आँखें बंद नहीं करनी थीं !
अर्ध्य नहीं दे पायीं जल का
तो भी पीठ नहीं करनी थी !
देवपुरुष को आगे पाकर
पुष्पांजलि भेंट करनी थी
आकर चले गए द्वारे से
ये कैसा आवाहन तेरा !
धीर और गंभीर पदों के, आहट की पहचान नहीं है !
जीवन के सब चक्र उलझते
उनके असमय सो जाने पर ,
फुलझड़ियाँ बरसें आँगन में
रोज सुबह उनके जगने पर
दिव्य पुरुष के आसानी से
दर्शन सुलभ नहीं मानव को
कष्ट और निज मर्यादा का
कितना ही अहसास रहे पर
अवमानना प्यार की करके , कोई भी परिहार नहीं है !
बहुत बढ़िया
ReplyDeleteप्रशंसनीय
ReplyDeleteआपकी लिखी रचना "पांच लिंकों का आनन्द में" गुरुवार 25फरवरी 2016 को लिंक की जाएगी............... http://halchalwith5links.blogspot.in पर आप भी आइएगा ....धन्यवाद!
ReplyDeleteउबलते पानी की बौछारों के माहौल के बीच कुछ ठंडक सी देती पंक्तियाँ ।
ReplyDeleteसार्थक अभिव्यक्ति .... जीवन से जुड़ी विचारणीय भाव
ReplyDeleteउन सभी गीतों से बिलकुल भिन्न लगी यह रचना निश्चित ही सुन्दर है
ReplyDeleteलेकिन बार बार पढने के बावजूद भी मै गीत के इन इंगित भावों की गहराई में
पहुँच नहीं पायी !
खूबसूरत गीत---अपने साथ देवपुरुष के रूप में दो प्रतीक ले चलती है--शानदार इंगित भाव हैं।
ReplyDeleteसुन्दर रचना
ReplyDeleteवाह ... भरपूर गेयता लिए ... अनुपम गीत ...
ReplyDeleteवाह, बेहतरीन रचना। बधाई.....
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