 मैंने अधिकतर धीर गंभीर विद्वानों को 60 वर्ष की उम्र तक पंहुचते पहुंचते निष्क्रिय होते देखा है , इस उम्र में पंहुचकर ये लोग अधिकतर सुबह एक घंटे नियमित वाक के बाद अखबार पढ़ना , भोजन करने के बाद आराम करने तक ही सीमित हो जाते हैं ! पूरा जीवन गौरव पूर्ण जीवन जीते हैं ये लोग मगर स्वास्थ्य पर ध्यान देने का शायद ही कभी सोंच पाते होंगे , इनके जीवन की सारी खुशियां इनके प्रभामंडल तक ही सिमट कर रह जाती हैं , रिटायर जीवन में अक्सर ये शानदार व्यक्तित्व, अपने कार्यकाल के किस्से सुनाते मिलते हैं जिनमें कोई रूचि नहीं लेना चाहता सिर्फ हाँ में हाँ मिलाता रहता है !
मैंने अधिकतर धीर गंभीर विद्वानों को 60 वर्ष की उम्र तक पंहुचते पहुंचते निष्क्रिय होते देखा है , इस उम्र में पंहुचकर ये लोग अधिकतर सुबह एक घंटे नियमित वाक के बाद अखबार पढ़ना , भोजन करने के बाद आराम करने तक ही सीमित हो जाते हैं ! पूरा जीवन गौरव पूर्ण जीवन जीते हैं ये लोग मगर स्वास्थ्य पर ध्यान देने का शायद ही कभी सोंच पाते होंगे , इनके जीवन की सारी खुशियां इनके प्रभामंडल तक ही सिमट कर रह जाती हैं , रिटायर जीवन में अक्सर ये शानदार व्यक्तित्व, अपने कार्यकाल के किस्से सुनाते मिलते हैं जिनमें कोई रूचि नहीं लेना चाहता सिर्फ हाँ में हाँ मिलाता रहता है !मैंने 61 वर्ष की उम्र में अपने कायाकल्प का फैसला लिया और सबसे पहले धीरे धीरे दौड़ना शुरू किया 50 मीटर से शुरू करके आज 21 km तक बिना किसी ख़ास थकान के दौड़ लेता हूँ , ढीली मसल्स एवं भुलाई शक्ति का पुनर्निर्माण होते
देख मैं खुद आश्चर्यचकित हूँ , शारीरिक शक्ति एवं सहनशीलता में इतने बड़े बदलाव की मैंने कभी कल्पना भी नहीं की थी , और यह सब बिना किसी दवा, विटामिन्स, जूस के संभव हुआ है , हड्डियों और जॉइंट्स में आयी मजबूती एवं फर्क को मैं महसूस कर सकता हूँ !
पिछले एक वर्ष में मैंने लगभग 1200 km रनिंग की है जबकि पहले साठ वर्षों में 1 km भी नहीं दौड़ा था ! मैं यह सब अपनी तारीफ हो, इसलिए कभी नहीं लिखता , लिखने का उद्देश्य मेरे से कम उम्र के साथियों , विद्वानों का ध्यान आकर्षण मात्र है ताकि वे मेरी उम्र में आकर ठगे से महसूस न करके स्वस्थ और व्याधिमुक्त जीवन व्यतीत करें !
 आज जिस तरह स्वास्थ्य सेवाओं का व्यवसायीकरण हुआ है वह पूरी मानवजाति के लिए बेहद चिंता जनक है , मानवशरीर के साथ, धन कमाने मात्र के लिए, भयभीत करके जिस प्रकार अस्पतालों में चीरफाड़ की जा रही है वह शर्मनाक है अफ़सोस यह है कि हमें इस पर,पूरे जीवन सोंचने का समय ही नही मिलता कि हमारे साथ क्या मज़ाक हो रहा है , मौत होने के डर से अक्सर हम डॉ की हाँ में हाँ मिलाते जाते हैं और ऑपरेशन के बाद ,शेष बचे जीवन को एक बीमार व्यक्ति की तरह काटने को मजबूर हो जाते हैं !
आज जिस तरह स्वास्थ्य सेवाओं का व्यवसायीकरण हुआ है वह पूरी मानवजाति के लिए बेहद चिंता जनक है , मानवशरीर के साथ, धन कमाने मात्र के लिए, भयभीत करके जिस प्रकार अस्पतालों में चीरफाड़ की जा रही है वह शर्मनाक है अफ़सोस यह है कि हमें इस पर,पूरे जीवन सोंचने का समय ही नही मिलता कि हमारे साथ क्या मज़ाक हो रहा है , मौत होने के डर से अक्सर हम डॉ की हाँ में हाँ मिलाते जाते हैं और ऑपरेशन के बाद ,शेष बचे जीवन को एक बीमार व्यक्ति की तरह काटने को मजबूर हो जाते हैं ! आइये, सुबह ५ बजे उठकर, नजदीक के पार्क में, अपने आपको फिजिकल एक्टिव बनाने का प्रयत्न शुरू करें ! हलके हल्के दौड़ते हुए, खुलते, बंद होते फेफड़े, शुद्ध ऑक्सीजन को शरीर में पम्प करते, शरीर का कायाकल्प करने में पूरी तौर पर सक्षम हैं !
आइये, सुबह ५ बजे उठकर, नजदीक के पार्क में, अपने आपको फिजिकल एक्टिव बनाने का प्रयत्न शुरू करें ! हलके हल्के दौड़ते हुए, खुलते, बंद होते फेफड़े, शुद्ध ऑक्सीजन को शरीर में पम्प करते, शरीर का कायाकल्प करने में पूरी तौर पर सक्षम हैं !विश्वास रखें ये सच है ...

 






 

 
 
 
 
 
 
 
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