इस हिन्दुस्तान में रहते, अलग पहचान सा लिखना !
कहीं गंगा किनारे बैठ कर , रसखान सा लिखना !
दिखें यदि घाव धरती के तो आँखों को झुका लिखना
घरों में बंद, मां बहनों पे, कुछ आसान सा लिखना !
विदूषक बन गए मंचाधिकारी , उनके शिष्यों के ,
इन हिंदी पुरस्कारों के लिए, अपमान सा लिखना !
किसी के शब्द शैली को चुरा के मंच कवियों औ ,
जुगाड़ू गवैयों , के बीच कुछ प्रतिमान सा लिखना !
अगर लिखने का मन हो तड़पते परिवार को लेकर
हजारों मील पैदल चल रहे , इंसान पर लिखना !
तेरी भोगी हुई अभिव्यक्ति , जब चीत्कार कर बैठे
बिना परवा किये तलवार की, सुलतान सा लिखना !
घरों में बंद, मां बहनों पे, कुछ आसान सा लिखना !
विदूषक बन गए मंचाधिकारी , उनके शिष्यों के ,
इन हिंदी पुरस्कारों के लिए, अपमान सा लिखना !
किसी के शब्द शैली को चुरा के मंच कवियों औ ,
जुगाड़ू गवैयों , के बीच कुछ प्रतिमान सा लिखना !
अगर लिखने का मन हो तड़पते परिवार को लेकर
हजारों मील पैदल चल रहे , इंसान पर लिखना !
तेरी भोगी हुई अभिव्यक्ति , जब चीत्कार कर बैठे
बिना परवा किये तलवार की, सुलतान सा लिखना !
बहुत खूब.... ,सादर नमस्कार
ReplyDeleteलिखते रहिये।
ReplyDeleteआँखे मूँदे कान बन्द किये मुह सिलों के
हाथों में पड़ गये तीर कमान सा लिखिये
घड़ियों की सूईयों पर लटके समय रोकते
तीस मार खाँनों के बयान सा लिखिये।
प्रेरणादायक पंक्तियाँ
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