Monday, January 10, 2022

तुम्हें जानेमन अब बदलना तो होगा -सतीश सक्सेना

 आज बहुत दिन बाद 10 Km की दौड़ लगाईं , मगर इसकी विशेषता यह थी कि यह रनिंग 0 डिग्री टेम्प्रेचर में आसमान से होती, स्नो शावर के दौरान, जर्मनी की एक खूबसूरत झील के किनारे किनारे लगाईं गयी ! 67 वर्ष की उम्र में यह काम मेरे जैसे आलसी के लिए एक अजूबा ही था , मगर हो गया आसानी से !

हालांकि इस कड़ाके की ठण्ड में , दौड़ते समय कुछ जगह ऑक्सीजन की कमी महसूस अवश्य हुई , पहली बार हार्ट रेट ने 210 को भी छुआ और इनर पसीने में पूरी तरह भीग गए थे मगर खुद को टेस्ट करना भी जरूरी था सो कर लिया ! मुझे लगता है कि साठ के बाद हमें मृत्यु का भय मन से निकाल देना चाहिए , मृत्यु भय हमें बूढ़ा बनाने में सबसे बड़ा रोल निभाता है ,

-यही भय है कि बढ़ती उम्र में भगवान् सबसे अधिक याद आते हैं उन्हें भी जिन्होंने पूरे जीवन में कभी भगवान को याद न किया हो !

-यही भय है जिसके कारण हम जीवन भर मेहनत कर धन जोड़ते रहते हैं और हजारो मौकों पर अपने मन को खुश करने हेतु किये गए खर्चों में कटौती करते रहते हैं , कि अगर बीमारी के समय धन न हुआ तब क्या करेंगे जबकि यह सोच ही नहीं पाते कि आजतक मौत से, कोई डॉ, किसी को भी बचाने में सफल नहीं हुआ अन्यथा अमेरिकन प्रेजिडेंट से ताकतवर विश्व में

कोई नहीं मगर वे सब अपने सामान्य वर्ष ही जी पाए , कितने ही सिरफिरों के उदाहरण हैं जिन्होंने मृत्यु से बचने और अधिक उम्र पाने के लिए करोड़ों रूपये खर्च किये मगर वे कम उम्र में ही दुनिया छोड़ गए !

-मेडिकल व्यवसाय का पूरा वृक्ष हमारे शरीर पर खड़ा है , उसे इतने समय में कुछ ही जानकारी हासिल हो पायी है अन्यथा आधुनिक मेडिकल साइंस केवल शैशवावस्था में ही है यह खुद मेडिकल साइंटिस्ट मानते हैं , वे मानव मस्तिष्क संरचना के बारे में सर्वथा अनभिज्ञ है जो मानव को सौ वर्ष तक चलाता है और तमाम बीमारियों से उसकी रक्षा करने में समर्थ है !

-आँखे खोलें , आपका शरीर इस योग्य है कि बिना किसी सपोर्ट के पूरे वर्ष शान से जी सके सिर्फ अपना भरोसा बनाये रखें और

इसकी आवश्यक खुराक शुद्ध हवा , भरपूर स्वच्छ पानी , मामूली भोजन , थकान के बाद की भरपूर नींद एवं पैरों का भरपूर उपयोग करें आप पूरे जीवन वृद्धावस्था से बचे रहेंगे !

सादर प्रणाम आप सबको !

बढ़ी उम्र में , कुछ समझना तो होगा !
तुम्हें जानेमन अब बदलना तो होगा !

उठो त्याग आलस , झुकाओ न नजरें
भले मन ही मन,पर सुधरना तो होगा !

अगर सुस्त मन दौड़ न भी सके तब
शुरुआत में कुछ ,टहलना तो होगा !

यही है समय ,छोड़ आसन सुखों का
स्वयं स्वस्त्ययन काल रचना तो होगा !

असंभव नहीं , मानवी कौम में कुछ ?
सनम दौड़ में,गिर संभलना तो होगा !

8 comments:



  1. नमस्ते,
    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा सोमवार (10-01-2022 ) को (चर्चा अंक 4305) पर भी होगी। आप भी सादर आमंत्रित है। 09:00 AM के बाद प्रस्तुति ब्लॉग 'चर्चामंच' पर उपलब्ध होगी।

    चर्चामंच पर आपकी रचना का लिंक विस्तारिक पाठक वर्ग तक पहुँचाने के उद्देश्य से सम्मिलित किया गया है ताकि साहित्य रसिक पाठकों को अनेक विकल्प मिल सकें तथा साहित्य-सृजन के विभिन्न आयामों से वे सूचित हो सकें।

    यदि हमारे द्वारा किए गए इस प्रयास से आपको कोई आपत्ति है तो कृपया संबंधित प्रस्तुति के अंक में अपनी टिप्पणी के ज़रिये या हमारे ब्लॉग पर प्रदर्शित संपर्क फ़ॉर्म के माध्यम से हमें सूचित कीजिएगा ताकि आपकी रचना का लिंक प्रस्तुति से विलोपित किया जा सके।

    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।

    #रवीन्द्र_सिंह_यादव

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  2. जय हो आपकी जब तक आप दौड़ रहे हैं हम बूढ़े नहीं होने वाले :)

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  3. ऊर्जा का संचार करती,ऊर्जावान रचना🙏

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  4. नई ऊर्जा का संचार करती ऊर्जावान रचना🙏

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  5. एक बार फिर प्रेरणदायक पोस्ट, वाक़ई यदि अंतिम श्वास तक स्वस्थ रहना है तो जीवन शैली की बदलना तो होगा

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  6. उठो त्याग आलस , झुकाओ न नजरें
    भले मन ही मन,पर सुधरना तो होगा !
    प्रेरणादायक प्रस्तुति

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  7. लाजवाब पोस्ट ताजगी और प्रेरणा से भरी।
    हर कथन सटीक ।
    सादर।

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  8. वाह!सराहनीय।
    बधाई आपको।
    सादर

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एक निवेदन !
आपके दिए गए कमेंट्स बेहद महत्वपूर्ण हो सकते हैं, कई बार पोस्ट से बेहतर जागरूक पाठकों के कमेंट्स लगते हैं,प्रतिक्रिया देते समय कृपया ध्यान रखें कि जो आप लिख रहे हैं, उसमें बेहद शक्ति होती है,लोग अपनी अपनी श्रद्धा अनुसार पढेंगे, और तदनुसार आचरण भी कर सकते हैं , अतः आवश्यकता है कि आप नाज़ुक विषयों पर, प्रतिक्रिया देते समय, लेखन को पढ़ अवश्य लें और आपकी प्रतिक्रिया समाज व देश के लिए ईमानदार हो, यही आशा है !


- सतीश सक्सेना

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