Tuesday, January 11, 2022

थुलथुल शरीर से मुक्ति चाहिए तो सोच बदलनी होगी -सतीश सक्सेना

क्या आपने एक भी ऐसे मेहनतकश मजदूर को देखा है जो शरीर से थुलथुल हो , तोंद निकाले हुए बोझा ढो रहा हो अथवा फावड़ा चला रहा हो ! कभी सदर बाजार या अपने शहर की व्यस्त मार्किट में जाएँ वहां आपको हाथ गाड़ी में , अपने शरीर के वजन से 10 गुना सामान लादकर खींचते हुए मेहनतकश मिलेंगे जिनके शरीर से पसीना टपक रहा होगा आप देखेंगे कि जब यह इंसान दोपहर में लंच करने के लिए मैले कपडे में बंधी 4 मोटी रोटियां निकाल, बाजार से 10 रूपये के छोले खरीद कर खाने बैठता है तब आपके मन में कोई विचार खुद को सुधारने के नहीं आते , तब यह लेख आपके लिए नहीं है !

आप भले यकीन न करें मगर अपने रिटायरमेंट के बाद (साठ वर्ष बाद ) मैंने अपने कायाकल्प करने के संकल्प में जिस व्यक्ति को गुरु बनाया वह मेरे मोहल्ले में घर के सामने बरसों से खड़ा होता एक अनपढ़ रिक्शावाला है जो पूरे दिन दो महिलाओं / पुरुषों  को बैठा कर कम से कम 3 से 5 km के , 20 चक्कर रोज लगाता है ! मैं हैरान था कि यह मैला कुचैला, बढाए गंदे बालों वाला इंसान , एक दिन में 120 किलो वजन को लेकर 5 किलोमीटर कैसे आता जाता होगा ! अगर 10 घंटों में यह 20 चक्कर भी लगता है तब इसका अर्थ हुआ कि पूरे दिन में इस दुबले पतले इंसान ने 80 km का सफर , कम से कम 100 kg वजन खींचते हुए किया है , यह जानकारी हतप्रभ करने के काफी थी मेरे लिए !

मैंने उससे उसका भोजन पूछा कि कितने अंडे और दूध ,फल रोज खाते हो भाई तो उसने अपना खाने का डब्बा दिखाया जिसमें चार मोटी रोटियां , आलू की सूखी सब्जी और प्याज था ! यह उसका लंच था , रात को घर जाकर दाल रोटी खायेगा, अंडा और दूध और डॉक्टर उसके बजट में ही नहीं थे , थोड़ा दूध घर में लाता है अपने बच्चों के लिए बस , बुखार उखार आने पर लेटना पड़ता है दो तीन दिन में ठीक हो जाने पर फिर काम पर ! जबकि हमारे ज्ञान के अनुसार अगर मैं मेहनत या एक्सरसाइज करता हूँ तब मुझे पौष्टिक खाना मिलना ही चाहिए अन्यथा शरीर बेकार और बीमार हो जाएगा जबकि यह रिक्शे वाला बीस बरसों से यही कर रहा है और सारी जमा पूँजी अपने गाँव माता पिता के पास भेजता है !

थुलथुल शरीर आपके थुलथुल मन का भी परिचायक है इस पर मनन करके देखिये सो अगर थुलथुल काया से मुक्ति चाहते हैं तो खुद को बदलना होगा  ! उन्मुक्त होकर बोलना और हंसना सीखना होगा बिना किसी की परवाह और दिखावा किये कि कोई क्या कहेगा , आप अपनी भावनाओं को बिना दबाये खुलकर व्यक्त करना सीखिए और यह आप तभी कर पाएंगे जब आप दूसरों के प्रति और खुद के लिए ईमानदार होंगे बिना किसी दिखावे के !

दुनिया की हर उस चीज आनंद लेना शुरू करें जिसके लिए मन हुआ और खर्चे या लोगों के कारण उस इच्छा को कही दबा दिया इसमें हर तरह का खाना पीना जो घर में संभव नहीं, शामिल होगा एवं वह सब काम करें जिसके बारे में सुना है, मगर कर नहीं पाए, ढेरों कारणों के कारण, मन मसोस कर रह गए , खुद को एन्जॉय करना सीखें, बिना किसी दिखावे के गर्व रहित प्यार करें खुद को और शरीर को अपना मित्र बनाएं उससे बातें करें उसपर विश्वास करें वह आपको कभी धोखा नहीं देगा ! प्रसन्न मन आपकी इच्छाशक्ति को अदम्य बनाने में समर्थ है ! जी भर कर हंसना सीखें और इसके लिए कंपनी तलाशें ,पार्क में भीड़ में खड़े होकर हो हो करते हुए बनावटी हंसी आपको जोकर बनाने में ही समर्थ होगी इसका रंच मात्र भी फायदा नहीं !

मेडिकल अथवा अन्य विज्ञापनों से प्रभावित न हों हमेशा यह ध्यान रखें कि विज्ञापनों का सुझाव मानने पर अगर आपको खर्च करना पड़ रहा है तो यह सुझाव सफल है उनके व्यवसाय के लिए और आप असफल !
  1. केवल पांच चीजों का ध्यान रखें गहरी साँस लेकर शुद्ध हवा अंदर खींचना शुरू करें, पूरे फेफड़े खोलने का अभ्यास करें महसूस करें कि यह सामान्य सांस नहीं बल्कि प्राणवायु है जो समूचे रक्तप्रवाह को स्वच्छ करती है हृदय की थकान को दूर करते हुए , बेहतर गतिशील बनाती है ! 
  2. दिन भर में 4 लीटर स्वच्छ पानी , खासतौर पर भूख लगने पर पहले पानी ही पियें ! RO ( रिवर्स ओस्मोसिस ) जल से आवश्यक मिनरल्स निकाल देता है यह हानिकारक है ! कोशिश प्राकृतिक शुद्ध पानी लेने की रहे !
  3. टॉनिक ,विटामिन , प्रोटीन भूलकर कोई भी सामान्य भोजन करें कोशिश रहे कि भोजन परिश्रम करने के बाद ही खाएं और मेहनत के अनुसार ही खाएं अगर पूरे दिन कुछ नहीं किया है तब भोजन न करें अथवा न्यूनतम करें !
  4. कम से कम आधा दिन हाथ पैरों का उतनी मेहनत के साथ चलना आवश्यक है जिससे पसीना बहना शुरू हो जाए अगर आप मेहनतकश नहीं हैं तब वाक करना आरम्भ करें इसमें गति, दूरी , समय आदि में बदलाव लाते रहें ! लगातार एकसार किया गया वाक बेकार हो जाता है क्योंकि शरीर इसे स्वीकार कर अपने नियम में ढाल लेता है ! सो इसमें परिवर्तन करें साथ ही यह अकेले करना चाहिए मनन करते हुए शरीर से बात करते हुए न कि दोस्तों के साथ गप्पे मारते हुए !
  5. भरपूर नींद लें , नींद न आने का कारण आप खुद और आपके लगातार घुमड़ते विचार होते हैं , अपने मन से चालाकी, क्रोध  और समझदारी का त्याग करें बच्चों जैसा निर्मल मन लेकर सोने जाएँ एक दिन तकिये पर सर रखते ही नींद आएगी !
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2 comments:

  1. बहुत ही जानकारी भरा आलेख ।
    सरस, सरल शब्दों में शरीर, मन और आत्मा को स्वस्थ रखने का नायाब नुस्खा बताया है आपने आदरणीय सर ।
    मैं भी रुचि रखती हूं पर नियमित नहीं रह पाती, परंतु हमे अपनी सेहत का ध्यान रखना चाहिए ।
    आपके रिक्शेवाले के सटीक उदाहरण से मैं भी रूबरू होती हूं और महसूस करती हूं । बिलकुल सटीक बात ।
    एक उपयोगी आलेख के लिए बहुत बहुत आभार मेरी हार्दिक शुभकामनाएं 💐🙏

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  2. वाह! एक से बढ़कर एक उपाय सुझाए हैं आपने एक स्वस्थ और सुखमय जीवन के लिए

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एक निवेदन !
आपके दिए गए कमेंट्स बेहद महत्वपूर्ण हो सकते हैं, कई बार पोस्ट से बेहतर जागरूक पाठकों के कमेंट्स लगते हैं,प्रतिक्रिया देते समय कृपया ध्यान रखें कि जो आप लिख रहे हैं, उसमें बेहद शक्ति होती है,लोग अपनी अपनी श्रद्धा अनुसार पढेंगे, और तदनुसार आचरण भी कर सकते हैं , अतः आवश्यकता है कि आप नाज़ुक विषयों पर, प्रतिक्रिया देते समय, लेखन को पढ़ अवश्य लें और आपकी प्रतिक्रिया समाज व देश के लिए ईमानदार हो, यही आशा है !


- सतीश सक्सेना

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