Saturday, December 10, 2022

रोबो चेयर, एक वरदान -सतीश सक्सेना

घर में कुर्सी पर बैठ कर लैपटॉप पर या कम्बल में टीवी , बाहर निकलो गाड़ी से ऑफिस में , लिफ्ट से ऑफिस में अपनी कुर्सी तक ,शाम को गाड़ी से घर वापसी , घर के अंदर सोफा तैयार , डाइनिंग कुर्सी पर बैठकर डिनर , और बाद में गर्म बिस्तर 

सोचता हूँ कि पैरों का काम ही क्या है , घर में खड़े होकर कार तक  पैदल जाना पड़ता है , हाई क्वालिटी रोबो व्हील चेयर बनवा लेता हूँ उसमें सामने लैपटॉप स्क्रीन लगी हो , सेंसर सड़क पर किसी से टकराने भी नहीं देंगे ! घुटनों की जरूरत भी सिर्फ उठते समय पड़ेगी जब सोने जाना होगा , यह कुर्सी लगभग एक लाख की आएगी , खरीदने की सोच रहा हूँ , आराम के लिए पैसा उपयोग न किया तो फिर किस काम आएगा  !

 घर में पूरे दिन बैठे रहकर टीवी देखते समय मेरी स्पोर्ट्स वाच रिमाइंडर देती रहती है कि अब कम से कम खड़े ही हो जाओ भैया ? इसे फेंक ही दूँगा किसी दिन गुस्से में  !

6 comments:

  1. बहुत सुंदर

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  2. अच्छी लगी उलटबांसी व्यंग्य का अलग अंदाज।
    सार्थक।

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  3. स ई क आ निठल्ला बन मरना ही है कुछ और अच्छे से मरा जाय ।
    वाह!!!

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  4. हा हा हा...
    बहुत जबरदस्त।
    वैसे सर ऐसी कुर्सियों का आविष्कार पैरों से अशक्त लोगों के लिए
    वरदान ही हैं शायद ...।
    प्रणाम सादर।

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  5. आपको जन्मदिन की बहुत-बहुत हार्दिक शुभकामनायें

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- सतीश सक्सेना

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