70 वर्ष की उम्र में मैं सुबह ५ बजे से लेकर रात ११ बजे तक ऐक्टिव रहता हूँ , दिन में आज तक नहीं सोया ! सब कुछ सामान्य खाता पीता हूँ , वजन बढ़ने से रोकने के लिए पिछले कुछ साल से रोटी , दूध और शुगर की मात्रा बहुत कम कर दी है !
हमारे यहाँ लोग चिंतित रहते हैं कि बुढ़ापे में पौष्टिक खाना , टॉनिक आदि लेना चाहिये, भोजन के ज़रिए अपने शरीर को मजबूर बनाने के
लिए कभी कुछ नहीं खाया , अगर पौष्टिक डाइट की बात करें तो मैंने नाश्ते में सप्ताह में दो बार उनके अंडों के अलावा कुछ नहीं लेता !
मैं अपना आदर्श उस ग़रीब रिक्शेवाले को मानता हूँ , जो पूरे दिन १०० किलो वजन लेकर रिक्शा ढोता है और दिन में लगभग ५० किमी रोज़ चलता है ! सुबह चार रोटी सब्ज़ी , लंच में चार ठंडी रोटी सब्ज़ी और रात में घर जाकर जो रखा है उसे खाकर गहरी नींद सोता है ! उसके पास डॉ के पास जाने को पैसा नहीं होते , उसका बुख़ार बिना दवा दो चार दिन में ठीक हो जाता है !
मैंने जितने डॉ दोस्तों को जानता हूँ उनमें से कोई अपने घर में पैरासीटामोल तक का उपयोग नहीं करते , वे सब यह दवाएँ अपने रोगियों पर ही चलाते हैं , मैं आज तक इन दवाओं से बचा हूँ !
सो अगर स्वस्थ रहना चाहते हो तब यह सूत्र याद रख लें
- दुख और कष्टों को याद न रखिए , मुक्त होकर ख़ुद को हँसना सिखाइए !
- अगर धन है तब उसे खर्च करना सीखें , वह सब करिए जो कभी न किया हो और मन ख़ुश हो !
- पहली आवश्यकता सबसे अधिक गहरी साँस लेना सीखें दिन में जब याद आए तभी , इससे बरसों से बिना गहरी सांस लिये बंद फ़ेफ़डे खुलेंगे और थके हुए हृदय को ताक़त मिलेगी , स्वच्छ खून पतला होकर रक्त कोशिकाओं और बीमारियों को साफ़ कर देगा !
-दूसरी आवश्यकता पानी की , इसे खूब पीजिए , जब चाहे पीजिए
- तीसरी आवश्यकता खाना की जिसे कम से कम खायें , केवल उतना जितनी आपने मेहनत की हो , भूख न लगे तो खाना नहीं खाना है !
- बाज़ार का कोई भोजन न खायें , आजकल हार्ट अटैक का कारण नमकीन बिस्किट , ब्रेड आदि सबमें गंदे तेलों का उपयोग करना होता है , पाम आयल दुनियाँ के कितने ही देशों ने बैन कर दिया है मगर हमारे यहाँ धड़ल्ले से उपयोग होता है !
कल सुबह १० किलोमीटर दौड़ने का दिल है सो पाँच बजे निकलूँगा फ़िल्मी गाने के साथ , सुनना हो तो कल मिलना !
प्रणाम आप सबको !
प्रेरणादायक सदा की तरह
ReplyDeleteमंगलकामनाएं
ReplyDeleteप्रेरणादायक
ReplyDeleteवाह!!
ReplyDeleteलाजवाब सीख के साथ प्रेरणादायी सृजन ।