Tuesday, August 27, 2024

संवेदना -सतीश सक्सेना

बीमारी में हाल , न पूछो माली से !
जाकर पूछो बिन पत्तों की डाली से

कितने मूक संदेशा , आये जाली से
नयनों से ही बातें , नयनों वाली से !

प्यार न जाने कितने रूपों में आता
हमने उसे छलकते देखा,गाली से !

दर्द तुम्हें एहसास न होगा , शब्दों से ,
समझ न पाये यदि आँखों की लाली से

कितने घर की गंद छिपाये छाती में !
जाकर पूछो , बाहर गंदी नाली से !

5 comments:

  1. बहुत सुन्दर

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  2. अत्यंत सुंदर छंदबद्ध पंक्तियाँ।

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  3. वाह वाह! सतीश जी! इतने सुंदर गीतों को लावारिस ना छोड़िये कविवर! आपसे निवेदन है 🙏😊

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एक निवेदन !
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- सतीश सक्सेना

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