बहुमुखी प्रतिभा के धनी अनुराग शर्मा ने आज एक खस्ता शेर लिखा , जो सीधा दिल में, गहराई तक उतरता चला गया ! हलके फुल्के हास्य व्यंग्य के लिए लिखी इस रचना का एक एक शेर, लगता है जीवन की सच्चाई बयान कर रहा है !
अक्सर स्वार्थी हम लोग ,जब भी अपनों का फायदा उठाते हैं तो अपनी योग्यता और अपनी ही पीठ थपथपाते रहते हैं कि हम इस योग्य है कि यह गधा मेरे लिए काम आ रहा है ! यह हमारी ही मुहब्बत है कि वह हमसे प्यार करता है ....
बेहद दर्द के साथ इन प्यारों का साथ छोड़ना ही बेहतर है ... दिल कहता है कि
इंशा अब इन्हीं अजनबियों में चैन से सारी उम्र कटे
जिनके कारण बस्ती छोड़ी नाम न लो उन प्यारों का
आज के समय में खोया पाने का आकलन करें तो लगता है जीवन में आनंद ही नहीं है ! क्यों न बुरी संगति, याद ही न रखें और बेहतर आशाओं के साथ, जीवन के ख़राब पडावों को भूलने की कोशिश करें !
आज यह गाना कई बार सुना ...
क्यों न बुरी संगति, याद ही न रखें और बेहतर आशाओं के साथ, ख़राब पडावों को भूलने की कोशिश करें ! .....
ReplyDeleteसही कहा आपने....
गांधी जी के तीन बंदरों को हमें सदा याद रखना ही चाहिए....
बड़ा गहरा दर्द छुपा है इस शेर में ! सच्चाई की इससे बेहतर तस्वीर भला क्या होगी !
ReplyDeleteआभार !
इंशा अब इन्हीं अजनबियों में चैन से सारी उम्र कटे
ReplyDeleteजिनके कारण बस्ती छोड़ी नाम न लो उन प्यारों का
समाहित कर दिया जिन्दगी को इसमें ...आपका आभार
ज़िन्दगी का फलसफा कुछ ऐसा है कि :
ReplyDelete" अल्लाह ने नवाज़ दिया है तो खुश रहो
तुम क्या समझ रहे हो ये शोहतरत गज़ल से है"
अनुराग जी से मिलवाने के लिये आपका शुक्रिया!!
thik hai aap atyachar karte rahiye.......
ReplyDeletepranam.
दरार कभी बड़ी नहीं होती,
ReplyDeleteभरने वाले हमेशा बड़े होते हैं,
इतिहास के हर पन्ने पर लिखा है,
दोस्ती कभी बड़ी नहीं होती,
निभाने वाले हमेशा बड़े होते हैं...
जय हिंद...
सुन्दर विचार , शुभकामनाये .
ReplyDeleteसही बात.
ReplyDeleteसही कहा आपने....
ReplyDeletejai baba banaras...
बुरे लोगो से बचकर रहने मे ही भलाई है
ReplyDeleteवही गाना एक बार और सुन लीजिए हमारी तरफ से।
ReplyDeleteदर्द की दास्तानां, बेचैन करने वाला शेर।
ReplyDeleteबहुत बढ़िया लिखा है -
ReplyDeleteसटीक प्रस्तुति -
anurag ji ko vishesh badhai -
बहुत बढ़िया लिखा है -
ReplyDeleteसटीक प्रस्तुति -
anurag ji ko vishesh badhai -
अपनो के हाथ का मारा है हर शख्स
ReplyDeleteज़िन्दा है मगर ज़िन्दगी का मारा है हर शख्स
ज़िन्दगी की यही सच्चाई है
सही कहा आपने....
ReplyDeleteमेरा तो फंडा है- अच्छी बातें याद रखो, बुरी बातें भूल जाओ. किसी से कोई अपेक्षा ना रखो... बस किसी के लिए कुछ करो, लेकिन किसी प्रतिदान की आशा ना रखो... ये गाना मुझे भी बहुत अच्छा लगता है... हर फ़िक्र को धुँए में उड़ाता चला गया...
ReplyDeleteश्री अनुराग शर्मा जी की हर प्रस्तुति निराली होती है।
ReplyDeleteमैं तो उनके स्पष्ठ और सुदृष्ट विचारों से हमेशा प्रभावित होता रहा हूँ
यह नज़्म तो जैसे जीवन की असलीयत का प्रतिबिंब है। सटीक अभिव्यक्ति।
इस प्रस्तुति के लिए आभार। सतीश भाई जी!!
वे काटें तो प्यार मुहब्बत हम बोलें तो अत्याचार.
ReplyDeleteवास्तविक स्थिति जीवन की । आभार...
emotional atyachar !
ReplyDeleteमेरे आंसू पोंछे और अब आप भी शुरू हो गए -सुश्री रचना जी ने मेरी पोस्ट पर अनुरक्ति में भी एक विरक्त भाव को बनाए जाने का बहुत आलेख संदर्भित किया है आपके लिए भी उतना ही लाभकर है जितना मेरे लिए -देख लें !
ReplyDeleteखुदा करे दर्दे मुहब्बत न हो किसी को नसीब
रोया मेरा रकीब भी गले लगा के मुझे !
आह्वान हो चुका है, इन सबसे ऊपर उठिए अब!
सबको आप उठायें अब आपको कौन उठाये? क्या खुदा ? अल्लाह रहम करें और आप शतन्जीवी हों !
सही है ....
ReplyDeleteआपके लेख ने सागर में गागर का काम किया है, सन्देश बहुत अच्छा है| हमें अपने जीवन मूल्यों के साथ-साथ बचपन से ही अपने/नयी पढ़ी के संस्कारों में शामिल करना चाहिए|
ReplyDeleteशुभकामनाएँ
सुन्दर विचार .
ReplyDeleteखुशदीप जी की बात -
दोस्ती कभी बड़ी नहीं होती,
निभाने वाले हमेशा बड़े होते हैं..
में भी दम है.
मैं जिंदगी का साथ निभाता चला गया ....
ReplyDeleteलाजवाब गाना है...... फिल्म शराबी का.
वे काटें तो प्यार मुहब्बत हम बोलें तो अत्याचार ..एकदम सही कहा.
शुभकामनाये .
सत्य वचन सतीश जी ......जिन्दगी में ये दंश झेलने ही हैं |
ReplyDeletebohot khoob
ReplyDeleteसही है।
ReplyDeleteगांधी जी के बंदर हमारा मार्ग दर्शन करते रहते हैं।
एक खस्ता शेर पढ़ कर आये हैं :):)
ReplyDeleteअक्सर स्वार्थी हम लोग ,जब भी अपनों का फायदा उठाते हैं तो अपनी योग्यता और अपनी ही पीठ थपथपाते रहते हैं कि हम इस योग्य है कि यह गधा मेरे लिए काम आ रहा है ! यह हमारी ही मुहब्बत है कि वह हमसे प्यार करता है ....
लोगों के स्वार्थ को सही पहचाना है ...
एक खस्ता शेर पढ़ कर आये हैं :):)
ReplyDeleteअक्सर स्वार्थी हम लोग ,जब भी अपनों का फायदा उठाते हैं तो अपनी योग्यता और अपनी ही पीठ थपथपाते रहते हैं कि हम इस योग्य है कि यह गधा मेरे लिए काम आ रहा है ! यह हमारी ही मुहब्बत है कि वह हमसे प्यार करता है ....
लोगों के स्वार्थ को सही पहचाना है ...
Your photo is very impressive Satishji :]
ReplyDeleteThe pipe goes well with your personality.
शेर जानदार लगा...
ReplyDeletestish bhaai gaagar men saagar bhr diyaa he chutili lekhni ke liyen mubark ho . khtar khan akela kota rajsthan
ReplyDeleteसतीशजी, मेरी मान्यता है कि जीवन में सुखी वे हैं जिनके पास अच्छे लोगों की पहचान करने की कुव्वत है और दुखी वे हैं जो अच्छे लोगों को अपने जीवन से निकाल देते हैं।
ReplyDeleteकभी कभी ऐसा भी हो जाता है की हम जिसे प्यार करते है अपना समझाते है उसकी चीजो का हक़ से इस्तेमाल कर लेते है उससे हर तरह का सहयोग ले लेते है अपनी हर जरुरत पर सबसे पहले उसे ही याद करते है क्योकि वो अपना है हमें उम्मीद होती है की वो हमें कभी ना नहीं कहेगा और सामने वाले को लगता है की उसका इस्तेमाल किया जा रहा है | जो सामने वाला अपना है अपना प्यारा है तो अपनी कोई शंका उससे बिना हिचक बता देनी चाहिए |
ReplyDelete@डॉ वर्षा सिंह जी,
ReplyDeleteये गाना देवानंद की फिल्म हम दोनों का है...इस गाने में देव साहब का सिगरेट के कश पर कश लगाने का अंदाज़ देखने वाला है....हर फिक्र को धुएं में उड़ाता चला गया, मैं ज़िंदगी का साथ निभाता चला गया...
जय हिंद...
एक 'भी' तो बनता है इसमें. काटें या बोलें में से किसी एक के बाद. तब और जमेगा. क्यों?
ReplyDeleteसुन्दर विचार .
ReplyDeleteखुशदीप जी की बात -
दोस्ती कभी बड़ी नहीं होती,
निभाने वाले हमेशा बड़े होते हैं..
में भी दम है
अनुराग जी से मिलवाने के लिये आपका शुक्रिया!!
इसे कुछ इस तरह भी लिखा जा सकता है कि "वे काटें तो प्यार मुहब्बत हम बोलें तो अत्याचार -स.म.मासूम
ReplyDeleteकाश हम भी दीदी होते हमें भी मिलती ३-३ टिप्पणी. :)
सच का आइना ...
ReplyDeletethis is life ,sir.
ReplyDeleteकहीं गहरी चोट लगी है बंधु :(
ReplyDeleteकहां तक छोडेगे किस किस को छोडेगे किस किस शहर को छोडेंगे
ReplyDeleteतुम हो नाखुश तो यहां कौन है खुश फिर भी फराज
लोग रहते है इसी शहरे.दिल.आजार के बीच
आज के समय में खोया पाने का आकलन करें तो लगता है जीवन में आनंद ही नहीं है ! क्यों न बुरी संगति, याद ही न रखें और बेहतर आशाओं के साथ, जीवन के ख़राब पडावों को भूलने की कोशिश करें !
ReplyDeleteयही है जिन्दगी....सार्थक प्रस्तुति के लिए आभार....
क्यों न बुरी संगति, याद ही न रखें और बेहतर आशाओं के साथ, जीवन के ख़राब पडावों को भूलने की कोशिश करें !
ReplyDeleteआमीन ! सत्य कथन ।
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ReplyDelete.
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क्यों न बुरी संगति, याद ही न रखें और बेहतर आशाओं के साथ, जीवन के ख़राब पडावों को भूलने की कोशिश करें !
भूलने की कोशिश न करें, भूल जायें... यह याद रखना चाहिये हमें, कि व्यक्तियों, चीजों या प्रसंगों को भूल जाना हमारा कुदरती गुण है, जबकि व्यक्तियों, चीजों या प्रसंगों को याद रखने के लिये हमें अपनी ओर से सक्रिय प्रयास करना होता है...
...
मैं जिन्दगी का साथ निभाता चला गया ................................. वास्तव मैं जिन्दगी का साथ निभाना सबसे कठिन काम हैं | इसका साथ निभाने के चक्कर मैं मोज-मस्ती सब कुछ भूल जातें हैं | खोया-पाया का आकलन करना तो जिन्दगी के साथ नाइंसाफी होगी, क्यों-की हम लेकर क्या आये थे जो खोया जाये , हमने तो इस जिन्दगी मैं सिर्फ पाया-ही-पाया हैं | रही आनन्द की बात , यह तो हर इन्सान के व्यव्हार पर निर्भर करता हैं, कोई तो अपने आपको हर पल आनन्दमय महसूस करता हैं और कोई हमेसा दुखी ही नजर आता हैं |
ReplyDeleteसर ,वैसे अगर जिन्दगी जीने का तरीका सीखना हो तो आपसे बहतर कोई विकल्प नहीं हैं |
जो मिल गया उसी को मुकद्दर समझ लिया।
ReplyDeleteशेर भले ही खस्ता कहा गया हो पर बशीर बद्र की चार लाइनें याद दिला गया...
ReplyDeleteमुझसे क्या बात लिखानी है कि अब मेरे लिए
कभी सोने कभी चांदी के क़लम आते हैं ।
मैंने दो चार किताबें तो पढ़ी हैं लेकिन
शहर के तौर तरीक़े मुझे कम आते हैं ।
अच्छा क्या है, बुरा क्या है - इस विषय पर भी कोई ज्ञान गंगा बहाये तो और ज्यादा आनंद आ जाये।
ReplyDeleteआज कल के चलन के हिसाब से तो जो बेवकूफ़ बनता रहे वो अच्छा है, ऐसा मुझे लगता है।
इस गाने की बात मत करिये सतीश भाई, हम फ़िर शुरू हो जायेंगे:))
@जीवन में सुखी वे हैं जिनके पास अच्छे लोगों की पहचान करने की कुव्वत है और दुखी वे हैं जो अच्छे लोगों को अपने जीवन से निकाल देते हैं।
ReplyDeleteअजित जी की बात से पूर्ण्तया सहमत। इब्ने इंशा (और आप) के फ़ैन तो हम पहले से ही हैं।
utar gaya dil me..jabardast.
ReplyDeleteजी हाँ ,खराब पड़ावों को भूलने की कोशिश और अच्छे मंजरों को याद करने की आदत बना लें तो जिंदगी का सफर खूबसूरत होता जायेगा गाने के शानदार बोल 'मै जिंदगी का साथ निभाता चला गया ..' बेहतरीन सन्देश देतें हैं.
ReplyDeleteमेरे ब्लॉग पर आपके दर्शन नहीं हो रहे हैं,क्या रूठे हुए हैं आप ?
जीवन के कई रूप है..कभी धूप, कभी छाँव, कभी नर्म,कभी गर्म,कभी हँसी,कभी गम,कभी दोस्त,कभी दुश्मन सब कुछ कदम कदम पर दिखता है..पर जीवन जीना उसी को कहते है जो हर पल को हँस कर जिए ..बस उन चीज़ों पर ध्यान दे जो कोई मकसद दे या हौसला बाकी चीज़ों पर व्यर्थ वक्त जाया करने में कुछ फ़ायदा नही है..
ReplyDeleteआपने बड़े ही संक्षिप्त लेखनी में बहुत बड़ी बात कही है...एक अच्छा विचार ग्रहण करने योग्य...नमस्कार चाचा जी
waah kaya likha hai aapne....jitne gehre dard hai utni gehri rachna h aapki ....kehte hai ki insaan vid me v akela hota hai....sabka saath rehne ke babjud dhuk ki ghari me wo tanha hota hai..lekin humara sacchha sathi hum khud hote hai...gehre vaab ke lie baadhai............
ReplyDelete.
ReplyDeleteबहुत खूबसूरत गीत याद दिला दिया ,इस गीत में मेरी प्रिय पंक्तिया - जो मिल गया उसी को मुकद्दर समझ लिया ...
आभार ....
बात तो पते की है ....पर ....
ReplyDeleteइस कथ्य के पीछे इशारा किस ओर है सतीश जी .....?
इंशा अब इन्हीं अजनबियों में चैन से सारी उम्र कटे
ReplyDeleteजिनके कारण बस्ती छोड़ी नाम न लो उन प्यारों का
सही कहा खराब पडाओं को भूल कर आगे बढ़ने का नाम ही जिंदगी है.
इंशा अब इन्हीं अजनबियों में चैन से सारी उम्र कटे
ReplyDeleteजिनके कारण बस्ती छोड़ी नाम न लो उन प्यारों का
wah...jabab nahin....
bilkul sahee baat..........
ReplyDeletevaise kadvee yado ko brain bhee block karne me saksham hai.........
आज के समय में खोया पाने का आकलन करें तो लगता है जीवन में आनंद ही नहीं है ! क्यों न बुरी संगति, याद ही न रखें और बेहतर आशाओं के साथ, जीवन के ख़राब पडावों को भूलने की कोशिश करें !
ReplyDeleteसही कहा आपने....
agar insaan itnee see baat samjh jay to phir rona kis baat ka!
bahut prerak saarthak prastuti ke liya abhar
umda!!! mubarakbad lijiye dil se!!
ReplyDeleteइब्ने मरियम हुआ करे कोई
ReplyDeleteमेरे दुःख की दवा करे कोई ...
http://www.kavitakosh.org/kk/index.php?title=%E0%A4%87%E0%A4%AC%E0%A5%8D%E0%A4%A8%E0%A5%87-%E0%A4%AE%E0%A4%B0%E0%A4%BF%E0%A4%AF%E0%A4%AE_%E0%A4%B9%E0%A5%81%E0%A4%86_%E0%A4%95%E0%A4%B0%E0%A5%87_%E0%A4%95%E0%A5%8B%E0%A4%88_/_%E0%A4%97%E0%A4%BC%E0%A4%BE%E0%A4%B2%E0%A4%BF%E0%A4%AC
गालिब का एक शेर याद आ रहा है..गलत लिखूं तो सुधार कर पढ़ लीजिएगा...
ReplyDeleteदोस्त गमख्वारी में अब और फरमायेंगे क्या
ज़ख्म के भरने तलक नाखून न बढ़ जायेंगे क्या
क्यों न बुरी संगति, याद ही न रखें और बेहतर आशाओं के साथ, जीवन के ख़राब पडावों को भूलने की कोशिश करें !
ReplyDeleteji gurudev.
jo kaho satyvachan.
:)
Sahji kaha hai Sateesh ji ...
ReplyDeleteaur Anuraag ji ke somya chehre ko to ham abhi tak nahi bhoole ...
भाई सतीश जी बहुत ही सुंदर पोस्ट के लिए बधाई और नवसम्वत्सर की शुभकामनाएं |
ReplyDeleteइंशा अब इन्हीं अजनबियों में चैन से सारी उम्र कटे
ReplyDeleteजिनके कारण बस्ती छोड़ी नाम न लो उन प्यारों का
:)
नए संवत २०६८ विक्रमी की हार्दिक बधाई।
ReplyDeleteनया साल आपके और आपके कुटुंब को आनंद प्रदायी हो।
swarthi kaun nahi...Yahan tak ki Maryada puroshattam ram bhi swarthi the...apni MARYADA aur PURUSHTWA ke dambh aur swarth ke vashibhoot unhone Seeta ji ka prityag kiya tha..
ReplyDeleteAapki rachna dharmita ko pranam...jeevan ki aapadhaapi mein iss tarah ke vicharon ka aadaan pradaan nihayat jaruri hai...
यथार्थ-लेखन है.आप सब को नवसंवत्सर तथा नवरात्रि पर्व की मंगलकामनाएं.
ReplyDeleteबात तो सौ आने सच है
ReplyDeleteनव-संवत्सर और विश्व-कप दोनो की हार्दिक बधाई .
ReplyDeleteकित्ती अच्छी सोच है...
ReplyDelete____________________
'पाखी की दुनिया' में भी आपका स्वागत है.
मैं जिंदगी का साथ निभाता चला गया.... मेरा भी पसंदीदा गीत है ...जीवन जीने की कला सिखाता हुआ।
ReplyDeletehttp://thotaditya.blogspot.com/2011/04/blog-post.html
ReplyDeleteसमय मिले तो इसे भी देखे।।
http://thotaditya.blogspot.com/2011/04/blog-post.html
ReplyDeleteसमय मिले तो इसे भी देखे।।
जब फिक्र धुंआ हो जाता है तो जिन्दगी साथ निभाने लगती है ..अनुराग जी से मिलवाने के लिए आभार
ReplyDelete