आज सुबह सुबह, डॉ. अमर ज्योति के जन्मदिन के अवसर पर, माँ शारदा पुत्र - राकेश खंडेलवाल की चार पंक्तियाँ पढ़कर अनायास मेरे जैसे लापरवाह व्यक्ति को भी, अमर ज्योति की कुछ रचनाओं की याद आगई !
अपना कष्ट भूल कर ( लम्बे समय से डॉ अमरज्योति एक सड़क दुर्घटना के कारण लगभग बिस्तर पर ही हैं ) कमज़ोर, गरीबों के बारे में हमारी आँखे खोलने का प्रयत्न करते अमर वास्तव में माँ शारदा के सच्चे सुपुत्र हैं ! अंधे बहरे समाज के लिए उन्होंने वह सब लिखा जो हमारी आँखे खोलने को पर्याप्त होता.... अमर ज्योति लेखकों से कहते हैं ...
राजा लिख और रानी लिख,
फिर से वही कहानी लिख ,
बैठ किनारे लहरें गिन,
दरिया को तूफानी लिख
गोली बारी में रस घोल
रिमझिम बरसा पानी लिख
रामराज के गीत सुना
हिटलर की कुर्बानी लिख
राजा को नंगा मत बोल
परजा ही बौरानी लिख
फिरदौसी के रस्ते चल ,
मत कबीर की बानी लिख
उपरोक्त कविता में आज के लेखकों पर तीखा व्यंग्य है , उनकी अधिकतर कवितायें कमजोरों और जीवन को ढोते हुए लोगों का प्रतिनिधित्व करती है ! उनकी हर ग़ज़ल, दर्द में तडपती हुई जिंदगियों की, हकीक़त दिखाती नज़र आती है !
राजा लिख और रानी लिख,
फिर से वही कहानी लिख ,
बैठ किनारे लहरें गिन,
दरिया को तूफानी लिख
गोली बारी में रस घोल
रिमझिम बरसा पानी लिख
रामराज के गीत सुना
हिटलर की कुर्बानी लिख
राजा को नंगा मत बोल
परजा ही बौरानी लिख
फिरदौसी के रस्ते चल ,
मत कबीर की बानी लिख
उपरोक्त कविता में आज के लेखकों पर तीखा व्यंग्य है , उनकी अधिकतर कवितायें कमजोरों और जीवन को ढोते हुए लोगों का प्रतिनिधित्व करती है ! उनकी हर ग़ज़ल, दर्द में तडपती हुई जिंदगियों की, हकीक़त दिखाती नज़र आती है !
एक गरीब विधवा रज्जो की अम्मा का शब्दचित्रण देखिये आपको एक जवान बेटी की विधवा गरीब माँ के जीवन का यह चित्र बहुतों के लिए शायद कल्पना ही होगा मगर अगर आप बुंदेलखंड के किसी सुदूर ग्राम में जाएँ तो यह आम समस्या है !
राम के मंदिर पर लिखते हुए अमर को अपने देश में कप प्लेट धोते लव कुश याद आ रहे हैं ! इनका पूछना है कि "रख सकेंगे क्या अंगूठे को बचा कर एकलव्य;रामजी के राज में शंबूक जी पायेंगे क्या!"
एक और बानगी देखिये- कि कुछ लोगों को शायर और कवियों के लिए पसंदीदा मौसम सावन और बदली छाये माहौल से दहशत होती है, बदली के छाने से .....यह भी जीवन है ! कितने लोग इनके बारे में सोचते हैं
एक और बानगी देखिये- कि कुछ लोगों को शायर और कवियों के लिए पसंदीदा मौसम सावन और बदली छाये माहौल से दहशत होती है, बदली के छाने से .....यह भी जीवन है ! कितने लोग इनके बारे में सोचते हैं
डॉ अमर ज्योति random rumblings की रचना को एक बार पढ़ कर मन नही भरता ! हर रचना एक वास्तविक चित्रण करती है एक सच्चाई का जिसको हम आम जीवन में नज़रन्दाज़ करते हैं ! विनम्रता की हालत यह है, अपने परिचय में एक पूरी लाइन भी नही लिखी ! जनाब इंग्लिश साहित्य में Ph.D. हैं, और सेवा हिन्दी की कर रहे हैं ! डॉ अमर ज्योति जैसे स्वच्छ लेखक हिन्दी जगत की आंख में गुलाब जल के समान हैं जो बेहद शीतलता देते हैं !
जन्मदिन पर मेरी शुभकामनयें और ईश्वर से प्रार्थना है ,वे इस लम्बी बीमारी से शीघ्र ठीक होकर सानन्द जीवन व्यतीत करें !
डॉ अमर ज्योति जी को जन्म दिवस की बधाई एवं शीघ्र स्वास्थय लाभ की कामना.
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