"जिन्दगी से थका हारा ये योद्धा आज आत्मसमर्पण करता है क्योंकि वो औरों के लिए जिया और अपनी शर्तों से ज्यादा दूसरों की भावनाओं को मान देता रहा."
समीर लाल के यह शब्द और यह लेख पढ़ कर ऐसा महसूस हुआ कि इस शानदार संवेदनशील व्यक्तित्व को कोई गहरा आघात लगा है, और वह भी किसी ऐसे व्यक्ति द्वारा जिसे यह अपना मानते रहे हैं !
कुछ लोग संवेदनशीलता का मज़ाक ही नहीं उडाते बल्कि उन्हें कमज़ोर,मूर्ख और नपुंसक जैसे शब्द कहते हुए, यह सबूत देते नज़र आयेंगे कि आप सर्वथा अयोग्य हैं और इन लोगों को कोई सरोकार नहीं कि समीर के दिल में उस व्यक्ति के प्रति भी कोई दुर्भावना नहीं है बल्कि वे हर समय विनम्रता के साथ, सेवा भाव लिए, हाथ जोड़े तत्पर हैं !
इस दुनिया में निस्वार्थ किसी अन्य की मदद करने का अर्थ, अपने प्यार, स्नेह और सेवा भाव पर शक का प्रश्नचिंह लगवाना है और ब्लाग जगत में तो ऐसे उदाहरण हर जगह नज़र आयेंगे !
मगर भौतिकता वादी जगत के रहने वाले सामान्य नागरिकों को , जिन्हें बात बात में "बदले में" , "हमें क्या फायदा.."कोई क्या समझेगा " "मेरा है " जैसे तकिया कलाम, बचपन से पारिवारिक विरासत के स्वरुप में मिले है, क्या यह संवेदनशीलता को समझ पाएंगे ? क्या कुछ लोग इस योग्य भी हैं कि वे इस दर्द को महसूस भी कर सकें !
भावुक और सच्चे इंसान प्यार के लायक ही होते हैं ! ऐसे लोगों को अगर सहयोग या सम्मान देना नहीं सीख पाए हैं, तो कम से इनका अपमान नहीं करना चाहिए .... आज के निष्ठुर समय में ऐसे लोग वास्तव में दुर्लभ हैं !
ऐसे प्यारों के साथ सम्मान और इज्ज़त का ही व्यवहार होना चाहिए जिसके यह सर्वथा योग्य है !
पर कुंदन को ही तो आग में तपना पडता है !!
ReplyDeleteउन की पोस्ट पढ कर ऐसा ही महसूस हुआ....
ReplyDeleteBahut khoob...
ReplyDeleteइस दुनिया में निस्वार्थ किसी अन्य की मदद करने का अर्थ, अपने प्यार, स्नेह और सेवा भाव पर शक का प्रश्नचिंह लगवाना है और ब्लाग जगत में तो ऐसे उदाहरण हर जगह नज़र आयेंगे !
ReplyDeleteआपने तो हकीकत ही बयान कर डाली है तो इससे आगे और क्या कहा जा सकता है?
रामराम.
हाँ मैं भी आवाक रह गया था -पर समीर जी खुद को संभाल लेगे
ReplyDeleteहृदय से आभारी हूँ आपका. आपने समझा और जाना है. बहुत राहत का अनुभव हुआ.
ReplyDeleteJHOOTH SE ANJAAN HAIN SAMEERLAL !
ReplyDeleteSATYA KI PAHCHAN HAIN SAMEERLAL !
DUSHMANI TOH DUSHMANON SE BHI NAHIN
DOSTON KI JAAN HAIN SAMEERLAL
JISKO JITNA CHAAHIYE, LE JAAEEYE
SNEH KI TOH KHAAN HAIN SAMEERLAL
DEVTA TOH KAH NAHIN SAKTA MAGAR
VAAKAEE INSAAN HAIN SAMEERLAL
@अलबेला खत्री
ReplyDelete"देवता तो कह नहीं सकता मगर
वाकई इंसान हैं , समीरलाल !"
आपके तरन्नुम में लिखे इन शब्दों से समीर लाल जी के प्रति आपका प्यार झलकता है और निस्संदेह वे आपके प्यार के सर्वथा योग्य भी हैं ! आप का धन्यवाद !