Wednesday, May 25, 2011

अगर हम न होंगे तो फिर कौन होगा -सतीश सक्सेना

गुडिया के साथ 
         पिछले सप्ताह मेरे एक मित्र वी के गुप्ता का फोन आया कि उनके किसी मित्र का एस्कोर्ट हॉस्पिटल में ऑपरेशन है और उन्हें खून चाहिए चूंकि आप नियमित खूनदाता हैं, आपसे खून मिलने की उम्मीद है ! मुझे पिछला खून दिए ३ माह हो चुके थे,अतः  मैंने उन्हें तुरंत पंहुचने का आश्वासन दिया और साथ में अनुरोध किया कि वे खुद भी खून दें ! जब मैंने हॉस्पिटल पंहुचकर,झिझकते और अपनी उम्र,बीमारियाँ बताते लोगों के बीच,हँसते हुए खून देने में पहल की तो विनोद गुप्ता एवं अन्य साथी भी तैयार हो गए !उनको बहुत सारी  भ्रांतियां थीं और झिझक टूटने के साथ, वे अपने आपको हल्का भी महसूस कर रहे थे !

         घर पर पंहुचा तो अन्य परिजन कहने लगे अब इस उम्र(५६ वर्ष +) में खून नहीं देना चाहिए ! मेरा एक प्रश्न था कि तुममें से, किसी ने स्वेच्छा से खून देने की हिम्मत की है अगर नहीं, तो यही स्थिति बाहर, पास पड़ोस में सबकी है ! अगर एक आदमी मदद करने में पहल करे तो और लोग भी घर से निकल पड़ते हैं ! मदद देने वाले बहुत हैं, कमी यहाँ सिर्फ पहल करने वाले की है ! 

          एक दिन हमें भी किसी की जरूरत पड़ सकती है और किसी को मदद के लिए आगे आना पड़ेगा सो यहाँ मैंने पहल करने की कोशिश की थी और सफल रहा ! आज जो घबराए हुए लोग हॉस्पिटल में मेरे साथ थे, वे मेरे द्वारा, हँसते हुए रक्त देने ,को आसानी से भुला नहीं पायेंगे और यही मेरा ध्येय था, जो  पूरा हुआ ! 

         आखिरी दिन से पहले, अगर हम किसी जरूरतमंद के काम आ सकें तो मानव जीवन सफल लगता है अन्यथा विश्व में और जीव भी रहते हैं !लोग हमारा नाम अवश्य याद रखेंगे बशर्ते किसी के काम आते समय, दिखावा और तारीफ की चाह  नहीं होनी चाहिए !

         हमारे मरने की खबर सुनकर, अगर कुछ लोग रो पड़ें तो जीवन सार्थक होगया, समझ लें  !

83 comments:

  1. बहुत ही बहरीन प्रयास किया आपने सतीश जी.... यह मदद तो हर मदद से अलग है... क्योंकि इसमें दिखावे की गुंजाईश नहीं है... यह बहुत ही नेक काम है.

    ReplyDelete
  2. fakr hai !
    aur ha.....

    हमारे मरने की खबर सुनकर,.........
    ye kya hai ?

    shubh shubh boliye aur shubh sbhubh likhiye.....
    ye to jeetejee rulane walee bate hai.......

    satish leadership traits sabhee me nahee hote ......
    aur raktdaan ko le kai bhrantiya bhee hai jinhe hatana jarooree hai.

    ReplyDelete
  3. ....बहुत ही नेक काम किया है आपने सतीश जी

    ReplyDelete
  4. दूसरों के काम आना ही सबसे बड़ा धर्म और सबसे बड़ा कर्म है...रक्तदान को तो महादान कहा ही गया है...

    सुन्दर-सी, प्यारी-सी प्रिय गुडिया को स्नेह...

    ReplyDelete
  5. ऐसे इन्सान मरते ही नहीं किसी ना किसी रूप में ज़िन्दा रहते है | अनुकरणीय कार्य ,अच्छी पोस्ट , बधाई .....

    ReplyDelete
  6. अगर हम किसी जरूरतमंद के काम आ सकें तो मानव जीवन सफल लगता है अन्यथा विश्व में और जीव भी रहते हैं

    प्रेरणादायक पोस्ट ...

    ReplyDelete
  7. आप न केवल सहयोगी भाव को जीते है, बल्कि शुभभावों के प्रसार में भी योगदान देते है। एक सुन्दर दिल की यही पहचान है।

    ReplyDelete
  8. जीवन सफल हो गया आपका यह नेक काम करके

    ReplyDelete
  9. पोस्ट प्रेरक है, और
    रक्तदान को महादान कहा जाता है
    फिर भी मैं एक बात कहना चाहूंगा कि हमारे देश में जितना भी रक्तदान द्वारा इकट्ठा किया जाता है, उसमें से शायद ही एक यूनिट भी किसी अनाथ, गरीब, असहाय, जरुरतमंद को उपलब्ध हो पाता होगा, इसका मुझे यकीन नहीं है।
    जो समर्थ हैं उनके लिये रक्तदान करने वाले रिश्ते-नातेदारों, मित्रों की कमी नहीं होती और जिसका कोई नहीं है उसे अस्पतालों (ब्लड बैंक) से खून नहीं दिया जाता है।
    बल्कि राजनेताओं, कसाबों और अपराधियों के काम आता है।

    प्रणाम स्वीकार करें

    ReplyDelete
  10. उदाहरण बन कर जीने का मज़ा ही कुछ और है.

    ReplyDelete
  11. ANUKARNIYA........

    AUR APNATVA DI KO JAWAW DIYA JAI.....
    HASANE WALI BAAT KI JAI...RULANEWALI
    BAAT NA KI JAI.......

    PRANAM.

    ReplyDelete
  12. हुण आया सी,
    पण टिप्पण रोक लित्ता..
    तुस्सी जान्दे प्यौ ते किस वास्ते ...
    असीं वी खून शून देणे वास्ते बदनाम हण !

    ReplyDelete
  13. सतीश जी, इस से बड़ी बात क्या हो सकती है कि हमारा खून किसी को जिन्दगी देने के काम आए।

    ReplyDelete
  14. आपकी पोस्ट बहुत सार्थक है और प्रेरणादायक भी ...आज के वातावरण में जहाँ सच से दूर, हम झूट और फरेब में लिप्त, बहके जा रहें हैं ,ऐसी बातें इंसानियत पर हमारी आस्था मजबूत करती हैं ...!!
    आभार इस शुभ कदम के लिए ...!!

    ReplyDelete

  15. संजय झा की बात टाली नहीं जा सकती अतः अपनत्व दीदी के लिए जवाब दे रहा हूँ....

    @ अपनत्व ,

    आप बहुत संवेदनशील हैं ...
    "हमारे मरने की खबर सुनकर, अगर कुछ लोग रो पड़ें तो जीवन सार्थक होगया, समझ लें "

    मुझे लगता है, जीवन का कुछ पता नहीं कब तक जीना है ! अतः यह मानकर जीता हूँ कि कल का दिन नहीं मिलेगा अतः आज का दिन पूरे उत्साह और आनंद के साथ जीता हूँ !

    चूंकि मानव जीवन पाया है अतः अपने आसपास के उन लोगों की मदद करने का प्रयत्न अवश्य करता हूँ जिन्हें मदद की जरूरत होती है ताकि वे अपने आपको अकेला न समझे और इस प्रकार के प्रयास पूरे मन और स्नेह के साथ करता हूँ !

    अगर मेरे बाद , किये गए कामों को याद करके, लोग आँखों में आंसू ले आयें तो यकीनन जीवन को सफल मन जाना चाहिए !
    आशा है आप संतुष्ट होंगी !

    ReplyDelete
  16. बहुत सुंदर। ऐसे लेख लोगों के लिए कम से कम अच्छे काम के लिए प्रेरणा बनते हैं।

    ReplyDelete
  17. हमारे मरने की खबर सुनकर, अगर कुछ लोग रो पड़ें तो जीवन सार्थक होगया, समझ लें !....

    बहुत सार्थक और प्रेरक प्रस्तुति..आपका प्रयास निश्चय ही सराहनीय है..आभार

    ReplyDelete
  18. आदरणीय सतीश जी ,

    आप जैसा व्यक्ति जो मात्र कहने में ही नहीं बल्कि कुछ सार्थक करने में विश्वास करता है , सच्चे अर्थों में इंसान है | जो सच्चा इंसान नहीं वह किसी भी क्षेत्र में सच्चा नहीं हो सकता |

    आपके इस जनहितकारी लेख से बहुत प्रेरणा मिलती है |

    आप सौ वर्ष की उम्र तक पूर्ण स्वस्थ रहते हुए यूँ ही रक्तदान करते रहें |

    ReplyDelete
  19. हमें आप पर गर्व है ! बधाई, और औरों को प्रेरणा देने के लिये आभार !

    ReplyDelete
  20. thank you for your support and donation of blood to my friend ..immidiate action, also thanks for encourage me for donation of blood it was my FIRST experience in blood bank,,,,It was a great day of my life thank you again and again

    ReplyDelete
  21. बहुत विचारशील और सार्थक चिन्तन.आपकी यह निष्ठा बहुत प्रेरणा दायक है !

    ReplyDelete
  22. आप अपना अपनापन मत छोड़ियेगा, वही व्यक्तित्व का तेज है।

    ReplyDelete
  23. येह स्कूल का नही ,जमाने की ठोकरों का तजुर्बा है....ऐसे ही गुरु भाई नही माना इतनी भीड़ में .
    गुरु भाई जिंदाबाद !

    जी भर के जियो !

    ReplyDelete
  24. यह हुयी न कोई बात ..हम लफ्फाजी करते रह जाते हैं आप कुछ कर दिखाते हैं ..
    जज्बये सतीश सक्सेना को सलाम !
    वैसे आपका ब्लड ग्रुप क्या है -घबराईये नहीं मैं कोई रक्तपिपासु नहीं !

    ReplyDelete
  25. @ प्रवीण पाण्डे,
    शायद छोड़ना चाहूं तब भी न छुड़े प्रवीण भाई !
    आजन्म ऐसे ही रहूँगा !

    ReplyDelete
  26. @ डॉ अरविन्द मिश्र ,
    आपका मित्र घबराने वाला नहीं है ...

    मेरा ब्लड ग्रुप ओ + है और किसी भी साथी को जरूरत हो तो किसी भी समय तैयार मिलूंगा !

    ReplyDelete
  27. @ यादें ,
    आपसे हिम्मत मिलती है आपका आभार !

    ReplyDelete
  28. @ सुरेन्द्र सिंह झंझट,
    लगता है आप भी हमारी नस्ल के हैं !
    आभार !

    ReplyDelete
  29. आदरणीय सतीश जी
    बहुत पुण्य का काम होता है

    ReplyDelete
  30. अगर एक आदमी मदद करने में पहल करे तो और लोग भी घर से निकल पड़ते हैं ! मदद देने वाले बहुत हैं, कमी यहाँ सिर्फ पहल करने वाले की है !... सही कहा आपने जरुरत तो पहल करने की ही होती है, पहले ही नाउम्मीदी कर बैठो तो कहाँ को काम होता है...
    बहुत प्रेरक आलेख प्रस्तुति के लिए आभार

    ReplyDelete
  31. किसी के काम आना मेरी माता जी तो सबसे यही कहती थी कि "जो चीज आपके पास और आप अपनी उमर पूरी कर चुकी हो और अब आपके किसी काम की नहीं है, तो उसे दूसरों के पास जाने दोऔर उनकी सेवा से बड़ा कोई धर्म नहीं!"

    े मेरी माताजी {स्व० श्रीमती सुगना कंवर} की याद में "सुगना फाऊंडेशन मेघलासिया जोधपुर" बनाया गया है

    ReplyDelete
  32. अनुकरणीय....

    ऐसे ही पहल करने वालों की जरुरत है.

    ReplyDelete
  33. रक्त दान --महा दान ।
    लेकिन रक्त दान करने से लोग बड़े घबराते हैं ।
    आशा है आपके उदाहरण से लोगों में डर काम होगा ।
    एक नेक कार्य किया आपने ।

    ReplyDelete
  34. बहुत अच्छी सार्थक पोस्ट है !
    सब दानोंमे रक्तदान श्रेष्ट है
    हमारे मरने क़ी खबर सुनकर ..........
    दूसरोंके प्रेरणा स्त्रोत आप आशावादी को ऐसी बाते नहीं करनी चाहिए !

    ReplyDelete
  35. आपका नेक कार्य अनुकरणीय है.
    आपके त्यागी स्वभाव से मन को प्रेरणा मिलती है.

    मेरे ब्लॉग पर मेरी नई पोस्ट आपका इंतजार कर रही है.

    ReplyDelete
  36. Kudos to you for your kind efforts !!
    Keep it up.
    and yeah its true that today also people hesitate in giving blood, which is I guess the most sacred activity on this earth.

    ReplyDelete
  37. आप शुभकामनाएं लीजिए, खून के मामले में हमने लेन-देन दोनों किया है. (वैसे लिया सिर्फ एक बार ही है.)

    ReplyDelete
  38. किसी की मुस्कुराहटो पे हो निसार
    किसी का दर्द ले सके तो ले उधार
    किसी के वास्ते हो तेरे दिल में प्यार
    जीना इसी का नाम है ........
    आप सदैव ऐसी प्रेरणा बनते रहे और जिंदगियां मुस्कुराती रहे |

    ReplyDelete
  39. सद्प्रयास
    खून देने के बाद का सुख तो खून देने वाला ही जान सकता है

    ReplyDelete
  40. एक ऐसा नेक काम, जो हर तीन माह बाद, हर-एक को करना चाहिए,

    ReplyDelete
  41. मुझे भी जीवन में एक ही बार ये सौभाग्य मिल पाया और 56-57 की उम्र में बिना किसी परेशानी के मैंने भी रक्तदान किया । आपका ये प्रोत्साहनपूरक लेख समग्र मावन जाति की इस बारे में झिझक मिटा सकने का सुन्दर व सार्थक प्रयास है ।
    बिटिया के लिये भी शुभाशीर्वाद सहित अनेकों शुभकामनाएँ...

    ReplyDelete
  42. उपरोक्त टिप्पणी में मावन को मानव पढा जावे । सधन्यवाद...

    ReplyDelete
  43. kabile-taareef hai aapka ye kadam.....

    ReplyDelete
  44. अगर हम किसी जरूरतमंद के काम आ सकें तो मानव जीवन सफल लगता है अन्यथा विश्व में और जीव भी रहते हैं
    सही बात...
    प्रेरक पोस्ट.

    ReplyDelete
  45. खून में लौह तत्त्व बढ़ जाता है...खून देते रहने से ये कंट्रोल में रहता है...परोपकार के साथ-साथ ये स्व-उपकार भी है...कम से कम ६ मेंह में बिना किसी के मांगे रक्त दान करत रहना चाहिए...एक अनुकरणीय उदहारण प्रस्तुत किया है आपने...

    ReplyDelete
  46. इस बारे में भ्रांतियाँ बहुत हैं, समझ वही सकता है जिसने यह काम खुद किया हो।
    आपकी पहल यकीनन दूसरों के लिये प्रेरणा का काम करती है।

    ReplyDelete
  47. किसी परिचित की मदद करने के लिए दिया गया रक्त दान अलग बात है , नियमित रक्तदान हिम्मत की बात है ...
    सराहनीय कार्य ..

    ReplyDelete
  48. ऐसी प्रेरणा देते रहिये - कुछ तो बदलेगा, कुछ तो बदलेंगे।

    ReplyDelete
  49. प्रेरक पोस्ट ...वैसे अन्तर सोहिल जी की टिप्पणी भी बहुत कुछ सोचने को मजबूर करती है ....

    ReplyDelete
  50. किसी से जीवन छीन लेना बहुत आसन काम है , लेकिन किसी को जीवन देना उससे भी आसन है , उपरोक्त दोनों कर्मो का प्रतिफल में कितना फर्क है ? जहाँ एक ओर जीवन लेने वाले को लोग घृणा की दृष्टि से देखते हैं वही दूसरी ओर जीवन देने वाला कोई फ़रिश्ता से कम नहीं होता है , निसंदेह प्रेरक एवं सार्थक प्रयास और उपरोक्त पोस्ट हेतु आभार व्यक्त करता हूँ , ............

    ReplyDelete
  51. सही कहा सतीश जी ... आपकी जिंदादिली जिंदाबाद ...

    ReplyDelete
  52. एक नेक कार्य किया आपने

    ReplyDelete
  53. वाह! बहुत बढ़िया! प्रेरणा देने के लिए आपका आभार!

    ReplyDelete
  54. रक्तदान करने वाले केवल रक्तदाता ही नहीं होते वो जीवन दाता भी होते है. आपने एक पुनीत कार्य किया ..

    ReplyDelete
  55. बड़ी बात कह दी आपने।

    ReplyDelete
  56. पहले तो आपकी गुड़िया के लिए बहुत प्यार और आशीर्वाद...आपका रक्तदान आने वाली पीढ़ी के लिए उत्तम उदाहरण है.. 0+ हमारा भी है लेकिन अब थाएरॉएड के कारण नहीं दे पाते...

    ReplyDelete
  57. आपकी पहल यकीनन दूसरों के लिये प्रेरणा का काम करती है। धन्यवाद|

    ReplyDelete
  58. बिलकुल सच कहा आपने । जीवन वही जो दूसरों के काम आए ।भले ही हमें कोई याद करे या न करे । सेवा और सहयोग से मिलने वाली संतुष्टि का कोई जवाब नहीं । पहल करने वाले भी कम ही होते हैं इसलिए पहल करने वालों की जरूरत हमेशा रहेगी । आपने बहुत ही सार्थक और प्रेरक प्रयास किया और एक महादान किया । बहुत बहुत धन्यवाद।

    ReplyDelete
  59. .....सिर्फ अपने लिए सोचना सरासर बेमानी है!आपने बहुत ही अच्छा उदाहरण प्रस्तुत किया है!....धन्यवाद!

    ReplyDelete
  60. सतीश भाई !हमें भगा दिया था अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान से फॉर्म में यह पढके -हमें एंजाइना है .और अब तो हम ओपन हार्ट सर्जरी भी करवा चुकें हैं .यह सही है एक उम्र के बाद आप रक्त दान नहीं कर सकते कुछ मेडिकल कंडी -शंस में भी यह मुनासिब नहीं रहता इसी लिए एक फॉर्म भरवाया जाता है रक्त दान से पहले अलबत्ता खून देने से अश्थियों की रुकी हुई बढवारफिर से प्रेरित हो जाती है जितना खून हम एक मर्तबा में देतें हैं उसकी आपूर्ति अगले चौबीस घंटों में हो जाती है .बस खूब पानी पीना पड़ता है रक्त दान के बाद .स्साला कोक यहाँ भी आ गया है सहज सुलभ ,दीनदयाल उपाध्याय अस्पताल में एक मर्तबा हमने अपने बीमार चाचाजी के लिए खून दिया था .हमें रक्त दान के बाद कोक पिलाई गई थी ,जो घुलित चीनी की वजह से प्यास को पंख लगा देती है .झूठा है विज्ञापन -जी करता है प्यास लगे .
    बढ़िया प्रेरक रपट के लिए आपका आभार

    ReplyDelete
  61. सतीश भाई !हमें भगा दिया था अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान से फॉर्म में यह पढके -हमें एंजाइना है .और अब तो हम ओपन हार्ट सर्जरी भी करवा चुकें हैं .यह सही है एक उम्र के बाद आप रक्त दान नहीं कर सकते कुछ मेडिकल कंडी -शंस में भी यह मुनासिब नहीं रहता इसी लिए एक फॉर्म भरवाया जाता है रक्त दान से पहले अलबत्ता खून देने से अश्थियों की रुकी हुई बढवारफिर से प्रेरित हो जाती है जितना खून हम एक मर्तबा में देतें हैं उसकी आपूर्ति अगले चौबीस घंटों में हो जाती है .बस खूब पानी पीना पड़ता है रक्त दान के बाद .स्साला कोक यहाँ भी आ गया है सहज सुलभ ,दीनदयाल उपाध्याय अस्पताल में एक मर्तबा हमने अपने बीमार चाचाजी के लिए खून दिया था .हमें रक्त दान के बाद कोक पिलाई गई थी ,जो घुलित चीनी की वजह से प्यास को पंख लगा देती है .झूठा है विज्ञापन -जी करता है प्यास लगे .
    बढ़िया प्रेरक रपट के लिए आपका आभार

    ReplyDelete
  62. अगर हम किसी जरूरतमंद के काम आ सकें तो मानव जीवन सफल लगता है...बहुत कम लोग इसे समझकर अपने आचरण में लाते है .... आपका दान महादान है

    ReplyDelete
  63. जो लोग डरते थे कि न जाने क्या होजायेगा खून देने से और वहाने बना रहे थे कि हमे तो अमुक बीमारी है आदि लेकिन आपकी प्रेरणा से वे तैयार हुये साथ ही उनका भविष्य के लिये डर खत्म होगया इसलिये वे निश्चित ही ऐसा मौका आने पर तैयार हो जाया करेगे। एक से दूसरे को प्रेरणा मिलती है।

    ReplyDelete
  64. सराहनीय,अनुकरणीय कार्य प्रेरणादायक पोस्ट ...

    ReplyDelete
  65. अपने शरीर से जुड़ा यही एकमात्र दान है जिसका आनन्द हम जीते-जी उठा सकते हैं...

    ReplyDelete
  66. आपके विचार जानकर बहुत ख़ुशी हुई वैसे हम भी इस काम के लिए हमेशा तैयार रहते हैं | और खून ही तो देना है जो थोड़ी देर में फिर से बन जायेगा |
    बहुत सुन्दर विचार कथनी और करनी में बहुत फर्क होता है दोस्त |

    ReplyDelete
  67. आपका कदम अनुकरणीय है.... प्रेरणा देते हैं आपके विचार

    ReplyDelete
  68. बेहतरीन ।

    ReplyDelete
  69. प्रशंसनीय क़दम.ये जज़्बा अच्छा लगा.

    ReplyDelete
  70. Sir, bahut dino se chah rahi thee ki aapke darwaje per aaun aur kuch likhun per mauka hi nahi mil pa raha tha. Lekin aaj aapke ye post padhi to rok nahi pai. Aap jo kaam kar rahe hain actually hame yah karna chahiye. Main bhi 2005 se blood donate karti hun. Jab bhi lagta hai kisi ko meri blood ki jarurat hai to chale jati hun donate karne. Ek ajab si shakun milti hai dil ko aisa karne ke baad. Main sochti hun hamara sharir agar kisi ke kaam aa jaye to bus jeevan sarthak ho jayega. WELL DONE sirji!

    Regards, Rewa

    ReplyDelete
  71. प्रेरक पोस्ट....आभार !

    ReplyDelete
  72. kya kahne mere dost ,,,apke is kadam ke deewane,,,koi mane ya na mane,,,apko ham to jarur jane,,,apki......JAI HO BAR BAR JAI HO

    ReplyDelete
  73. पता नहीं लोग रक्तदान से क्यूँ डरते हैं....यहाँ कॉलेज में अक्सर शिविर लगाया जाता है...और सारे कॉलेज स्टुडेंट्स( १८ साल से ऊपर) ख़ुशी-ख़ुशी रक्तदान करते हैं.
    बल्कि होमोग्लोबिन कम होने की वजह से जिन स्टुडेंट्स का रक्त लेने से इनकार कर दिया जता है...वे बेहद निराश हो जाते हैं.

    उन्हें एक बैच भी मिलता है I donated blood today जिसे वे उस दिन लगाए रहते हैं...देखने वालों को भी प्रेरणा मिलती है.

    ReplyDelete
  74. जीना उसका जीना है जो औरों को जीवन देता है ..आपके सराहनीय कार्य की खुशबु फ़ैल रही है ...

    ReplyDelete
  75. मनुष्य तभी मनुष्य है जब वह दूसरों के काम आए। आपकी संवेदनशीलता प्रशंसनीय है।

    ReplyDelete
  76. बहुत अच्छा लगा पढ़ कर.मेरे भाई और्मैने नियमित रक्त दान किया.जबसे इंसुलिन इन्जेक्शन शुरू हुए है डॉक्टर्स ने लेने से मना कर दिया है.अंतिम बार गत वर्ष दिया था.मैं जिन्हें जरूरत है उनके परिवार वालो के सामने शर्त रखती हूँ आपके व्यक्ति के लिए हम देंगे आप उतना ही खून ब्लड बेंक में जमा कराइए अपना.
    और जब लगता है किवास्त्व में मरीज के घर वाले देने को तैयार है किन्तु ग्रुप मंच नही कर रहा या और किसी कारन से डॉक्टर्स नही ले रहे तब हम देते हैं.मेरे एक खास रिश्तेदार का पति और बेटे अस्पताल से भाग गए खून देने के नाम से. तब हमे मरीज को बचना ही था,मरने तो उसे कैसे देते किन्तु ऐसे लोगों के लिए खून देने में मुझे गुस्सा आता है.
    हमने अपने पापा के नेत्र दान करवाए थे.और खुद की ????हा हा हा देह दान और जरूरी सारे ऑर्गन्स जो किसी को जीवन देने में मददगार साबित हो सके. सतीशजी ! कोई याद करे न करे.रोये न रोये ...तनिक सा 'अच्छा' काम करने पर जो संतुष्टि मिलती है उसके आगे सारी पूजा पाठ,दान पूनी छोटे लगते हैं मुझे तो.
    सेल्यूट रे भाई तुझे तु तो अपुन के जैसा ही है.ऐसिच है इंदु माँ भी हा हा हा जियो. पोस्ट पढ़ कर मजा आ गया.जीना इसी को कहते हैं भाई!

    ReplyDelete
  77. रक्तदान के महत्व को अपने उदाहरण से समझा दिया आपने । यह मदद तो सबसे बडी है, सर्वोपरि है, जीवन दान जो देती है ।

    ReplyDelete
Related Posts Plugin for Blogger,