Monday, July 30, 2012

एक बुरा ख़त बिंदु के लिए - सतीश सक्सेना

बिनी ,   
तुम्हारी भाभी अनुप्रिया नागराजन के बारे में, आज सारे अखबारों में छपीं खबरें, जिनके लिंक दे रहा हूँ, हमारे लिए बहुत मनहूस हैं , मगर पढ़ लो ताकि हमें याद रहे कि भगवान् हमें उतना प्यार नहीं करता जितना हम सोंचते हैं ! 
एक झटके में उसकी क्रूरता ने , हमारे परिवार की  रौनक, हर समय मुस्कराती और भरपूर प्यार करती अनु, को हमसे छीन लिया !
स्ट्रेचर पर खून से लथपथ अनु के चेहरे को, दोनों हाथों में लिए, मैं बार बार रो रो कर, उस मनहूस रात उसे मनाता रहा !
उठ जाओ अनु बच्चा , मैं आ गया मेरा बेटा ...
पर वह रूठ गयी थी ...
हम सब उसे बहुत बहुत प्यार करते थे ...और वह हमें ! 
उसे हमसे छीन लिया गया और तब जब उसके पेट में एक मासूम जान और थी !   
और हम उसे नहीं बचा पाया , न उसे.... न उसके अजन्मे बच्चे को....  
हमें पहुँचने में बहुत देर हो गयी थी ..
उस रात पहली बार मैंने अप्पा जी को फूट फूट कर रोते देखा, लगता है अन्नू उनके दिल में भी, अपनी जगह बना चुकी थी .
और  अम्मा का तो जैसे सब कुछ लुट गया बच्चे ....
अनु उनका  सपना था , जब वह अनु के साथ चलती थी तब चेहरे पर शानदार चमक रहती थी रोज अपनी बहू को बैंक पहुँचाना और लाना नियमित था, लगता था जैसे वे सबसे खुशकिस्मत माँ हैं, अनु के कारण वे बहुत उत्साहित थी लगता था जीवन का एक सहारा मिल गया था  !
अनु को लंच में तीन चार तरह का सामान पैक करना रोज का काम था ...
ये दोनों सास बहू एक दुसरे को अथाह प्यार करने लगीं थी ....
मैं नहीं समझ पाता कि उनके आँसू कैसे पोंछे जाएँ , 
वे अपने आपको बहुत अकेला पाएंगी ...
शायद तुमसे मिलकर वे बहुत रोयेंगी !
आज अनु का अस्थि विसर्जन किया उसकी छोटी छोटी अस्थियाँ बीनते समय सामने पेड़ की डाल पर मुस्कराती अनु बैठी दिखी मुझे....
नवीन अकेला हो गया है उसके सपने शुरू होने से पहले ही ख़त्म हो गए !
यहाँ आते समय एक बात याद रखना कि तुमने वायदा किया था कि विपरीत परिस्थितियों में तुम घबराओगी नहीं 
आज वही दिन है ..
यही जीवन है बेटा , मैं तुम्हे एअरपोर्ट पर मिलूंगा मगर अनु मेरे साथ नहीं होगी ...
रोना मत !
अंकल









53 comments:

  1. मन रो दिया..हे भगवान..

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  2. भाई जी ......!
    क्या कहूँ ...कैसे कहूँ
    इस दुःख की घड़ी में ... हम सब आप के
    दुःख में शामिल हैं .....
    जाने वाले की आत्मा को शांति मिले और
    हम सब को सहने की शक्ति !

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  3. भगवान अनुप्रिया जी की आत्मा को शाँति और उन के अपनों को ऐसा दुख सहन करने की शक्ति प्रदान करे

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  4. रमता जोगी बहता पानी .जीवन है बस आनी जानी

    DUKH MEN SHAMIL

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  5. इतना दर्द क्यों मिलता है हमें.. इस दुख को सहने की शक्ति दे भगवान ।

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  6. जाने ये पोस्ट क्यूँ पढ़ी मैंने....
    अभी अभी मैंने भी अपना एक बहुत करीबी पूरा परिवार खोया है...कार क्रेश में ही.
    नाराज़ हूँ भगवान से...

    सादर
    अनु

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  7. अत्यंत दुखद. जिसने ऐेसी दुनिया बनाई है वही दुख सहने की शक्ति भी देगा.

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  8. बहुत दुखद और अफसोसनाक है यह घटना.
    विधना के इस विधान के आगे हमारा जोर कहाँ चलता है.गर्भ में पल रहे शिशु को भी लील गया वह .
    परिवार के साथ हार्दिक सहानुभूति.

    ...कल टीवी समाचारों में खबर देखी थी,पर आपका चित्र पूरा नहीं देख पा था,पर मन में आशंका ज़रूर हुई थी और आज इस पोस्ट ने उसे सच कर दिया.
    आपसे हार्दिक संवेदना है मित्र .

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  9. इस दुख की घड़ी में हम सब आपके साथ हैं। आप भविष्य में ऐसी पोस्ट कभी न लिखें, यही ईश्वर से प्रार्थना है।

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  10. बहुत दुखद घटना,,,ईश्वर दुख को सहने की शक्ति दे,,,,,

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  11. बहुत दुखद समाचार है यह। हौसला रखें।

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  12. बिंदु ही नहीं हम सब के लिये ये खत बहुत बुरा निकला। शब्द भी नहीं होते । धैर्य रखने के अलावा और कोई चारा नहीं होता है । आप भी कोशिश करें धैर्य रखने की ।

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  13. .

    बहुत दुखद !


    बहुत अनर्थ कर देता भगवान भी कई बार ...
    वह पोस्ट भी पढ़ी हुई थी ...
    मन भीग गया ...


    भगवान जाने वाले की आत्मा को शांति और उन के अपनों को यह दुख सहन करने की शक्ति प्रदान करे!

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  14. i am so sorry satish
    please accept my heart felt condolence

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  15. बेहद दुखद घटना
    इश्वर सबको इसे सहने की शक्ति दे !

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  16. कल तक रहते जो मुस्काते ,हँसते गाते ,आते जाते

    ऐसे आने जाने वाले ,जाने चले जातें हैं ,कहाँ ?

    आकस्मिक दुःख पहाड़ सा टूटता है ...समय बड़ा बलवान है ,
    समय करे नर क्या करे ,
    समय समय की बात ,किसी समय के दिन बड़े ,
    किसी समय की रात .
    दुःख की यह रात भी धीरे धीरे घट जायेगी ,कट जायेगी ..फितरत दी है उसी भगवान ने सब कुछ सहने की समय के साथ जख्म भर जातें हैं ,पर जो जातें हैं लौट के नहीं आते ,जाने चले जाते हैं कहाँ ......

    दुनिया से जाने वाले ,जाने चले जाते हैं कहाँ ...

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  17. बहुत दुखद समाचार .हे ईश्वर ,सहन करने की शक्ति भी देना !

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  18. दुखद !
    ईश्वर दुख को सहने की शक्ति दे .

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  19. अफ़सोस ! बेहद अफ़सोस ! उनकी मुक्ति के लिए दुआयें !

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  20. दुखद समाचार। विनम्र श्रद्धांजलि।

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  21. उफ्फ!!!! बेहद दुखद है घटना है.... रब आप लोगो को दुःख सहने की ताकत दे...

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  22. This comment has been removed by the author.

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  23. This comment has been removed by the author.

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  24. संसार की हर शै का, इतना ही फसाना है। इक धुंध से आना है, इक धुंध मेँ जाना है'.......इस निष्ठुर प्रकृति के सामने हम सब असहाय हैं.आपको ढाढस रखना होगा.ईस्वर से मेरी प्राथना है की इस दुखद कष्ट से उबरने की शक्ति आपको एवं पूरे परिवार को दे..

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  25. ईश्वर इस दुखद स्थिति को सहन करने की शक्ति भी देना !

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  26. बहुत दुखद समाचार ....ईश्वर इस दुखद घड़ी में धैर्य और हौसला बनाए रखे ...

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  27. बहुत दुखदायी .
    भगवान आप सब को यह कष्ट सहन करने की शक्ति दे .

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  28. so sad . My Feeling are with Her family and friends.

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  29. ओह्ह्ह........हृदयविदारक घटना है सतीश जी...अश्रुपूरित श्रद्धांजलि.

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  30. जानता हूँ कि कहना आसान है लेकिन धीरज रखना ही होगा, और कोई चारा भी नहीं| शोकसंतप्त परिवार के साथ संवेदना व्यक्त करता हूँ|

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  31. हृदय विदारक समाचार। हार्दिक संवेदनाएँ।

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  32. ओह ..हार्दिक संवेदना भाई ...ईश्वर सभी को इस विछोह पर धैर्य दे और आत्मा को शांति !

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  33. अल्प उम्र में ऐसी हृदय विदारक घटना? !! संजोगों की निष्ठुरता देख मन संतप्त हो उठा। हार्दिक संवेदना। परिवार शीघ्र मनोव्यथा से उभरे ऐसी कामना!!

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  34. दुखद समाचार...ईश्वर परिवारजनों को दुख सहने की शक्ति दें|

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  35. दुखद समाचार है सतीश जी,
    ईश्वर आप को यह कष्ट सहन करने की शक्ति दे .
    विनम्र श्रद्धांजलि।

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  36. सतीश जी ,जीवन की मुख्य धारा को आकस्मिक तौर पर मोड़ने वाले परिवर्तन सुनामी बनके न जाने कहाँ से चले आते हैं .साथ के नीचे सब कुछ शांत और प्रशात रहता है और जीवन तट पर विध्वंस और सन्नाटा बुनते है ये आकस्मिक ठहराव .

    यहाँ आकस्मिकता और होनी ,विधि की विडंबना और विधना में से किसे बलवान समझा जाए .

    कई मर्तबा पूर्व जन्म के संस्कार बड़े प्रबल होतें हैं .विधना का खेल इस जन्म में खेलते हैं .लगता है सब कुछ आदमी यहीं भोगके नहीं जाता .कुछ अ -भोगा साथ चला जाता है कर्म फल .
    अंत में विधना का खेल ही चलता है .करम गति टारे न टरे ....धीरज धर्म मित्र अरु ,नारी ,आपद काल परखिये चारी ...

    समय बदलता है यह भी बदलेगा फिर फूल खिलेंगे . परिवर्तन ही शाश्वत है .

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  37. बहुत दुखद खबर है और कैसा इत्तेफाक कि उस दिन अपने अखबार के दफ्तर में यह खबर मेरे हाथ ही आई। बड़ा हादसा था इसलिए प्रमुखता से लगाया था। हादसे और अपराध अक्सर झकझोर देते हैं लेकिन उस दिन पता नहीं था कि यह दुर्घटना इतने करीब की होगी। आपने जिस संवेदनशीलता से उनके बारे में लिखा है वह आंखें भिगो गया। इस दुख की घड़ी में सब आपके साथ हैं, हौसला रखें।

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    1. आभार आपका नरेन्द्र भाई !

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  38. ओह आँखें भर आयी। कुछ अपने साथ बीतेैसे ही पल याद आ गये। पता नही भगवान इन्सान के साथ कौन से खेल खेलता है। लेकिन सहन करना ही पडता है भगवान अनु की आत्मा को शान्ति दे और परिवार को इस दुख का सामना करने का साहस।

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  39. बहुत दुखद घटना... हमारे साथ बाटने के लिए धन्यवाद

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  40. यह तो बेहद दुखद है।

    सारी परिक्षाएँ पास कहने के बाद ईश्वर तूने यह क्या रिजल्ट दिया! तेरी माया तू ही जाने पर हमको तो लगता है कि बहुत गलत किया।

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  41. बहुत ही दुखद ... कई बार हर हम ऐसे पलों में अवाक और नि:शब्‍द रह जाते हैं ..

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  42. दुखद ... भगवान अनुप्रिया की आत्मा को शाँति दे ... ईश्वर दुःख सहने की क्षमता दे ...

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  43. अत्यंत करुण घटना. नियति पता नहीं क्या तय करती है हम सब के लिये.

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  44. सतीश जी इस दुख को कैसे सह रहे होंगे ? धीरज तो आपको धरना ही होगा । नियती का खेल अजब है कौन समझ पाया है इसको । आपके दुख में हमे शामिल समझें । भगवान अनुप्रिया जी के आत्मा को शांति दे ।

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  45. बेहद दुखद .
    भगवान अनु की आत्मा को शान्ति दे और परिवार को इस दुख का सामना करने का साहस.

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  46. bahut hi dukhad paristhiti hai bhagvan sabhi ko dukh sahne ki shakti de .....anu ji ki aatma ko shanti mile .....

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  47. सतीशजी,
    बहुत दिनों से नेट व ब्लागिंग पर आना नहीं हो पाने के कारण इस ह्रदयविदारक घटना की जानकारी नहीं मिल पाई । समझ नहीं पा रहा हूँ कि किस तरह ढाढस बंधाने जैसी बात करुँ ।

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  48. कहना आसान है पर फिर भी अनुरोध है कि लिखें इससे दर्द को बहने का अवसर मिलेगा । दुख बांटने से कम होगा ।

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एक निवेदन !
आपके दिए गए कमेंट्स बेहद महत्वपूर्ण हो सकते हैं, कई बार पोस्ट से बेहतर जागरूक पाठकों के कमेंट्स लगते हैं,प्रतिक्रिया देते समय कृपया ध्यान रखें कि जो आप लिख रहे हैं, उसमें बेहद शक्ति होती है,लोग अपनी अपनी श्रद्धा अनुसार पढेंगे, और तदनुसार आचरण भी कर सकते हैं , अतः आवश्यकता है कि आप नाज़ुक विषयों पर, प्रतिक्रिया देते समय, लेखन को पढ़ अवश्य लें और आपकी प्रतिक्रिया समाज व देश के लिए ईमानदार हो, यही आशा है !


- सतीश सक्सेना

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