Monday, October 27, 2014
14 comments:
एक निवेदन !
आपके दिए गए कमेंट्स बेहद महत्वपूर्ण हो सकते हैं, कई बार पोस्ट से बेहतर जागरूक पाठकों के कमेंट्स लगते हैं,प्रतिक्रिया देते समय कृपया ध्यान रखें कि जो आप लिख रहे हैं, उसमें बेहद शक्ति होती है,लोग अपनी अपनी श्रद्धा अनुसार पढेंगे, और तदनुसार आचरण भी कर सकते हैं , अतः आवश्यकता है कि आप नाज़ुक विषयों पर, प्रतिक्रिया देते समय, लेखन को पढ़ अवश्य लें और आपकी प्रतिक्रिया समाज व देश के लिए ईमानदार हो, यही आशा है !
- सतीश सक्सेना
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sach me chinta jayz hai....sandesh deti rachna....lazbab
ReplyDeleteबढ़िया व्यंग्य ....बहुत खूब
ReplyDeleteइस आक्रोश का पूरा औचित्य है !
ReplyDeleteसोने भी दीजिये ना :)
ReplyDeleteबेहतरीन अभिव्यक्ति , सतीश सर धन्यवाद !
ReplyDeleteI.A.S.I.H - ( हिंदी में समस्त प्रकार की जानकारियाँ )
राजनीति में बदबू काफी
ReplyDeleteकैसे खुली हवा लाओगे !
अनपढ़,भ्रष्ट,समाज हमारा
अरे गुलामों !कब जागोगे !
....बहुत सही .....इसी में मजा आता है तो फिर जागकर क्या करेंगे ..... जाने कब गुलामी की आदत जायेगी!
सही बात कही है आपने.
ReplyDeleteजागने का वक्त बस आ ही गया है..
ReplyDeleteअनपढ़,भ्रष्ट,समाज हमारा
ReplyDeleteअरे गुलामों !कब जागोगे !
बढ़िया व्यंग्य ....बहुत खूब सतीश जी
सुन्दर, सटीक और भावपूर्ण रचना.....आपको बहुत बहुत बधाई...
ReplyDeleteनयी पोस्ट@आंधियाँ भी चले और दिया भी जले
नयी पोस्ट@श्री रामदरश मिश्र जी की एक कविता/कंचनलता चतुर्वेदी
वाह ... गज़ब की व्यंग धार ...
ReplyDeleteवाह .........बेहद सशक्त शब्दों की तेज़ धार लिये उत्कृष्ट प्रस्तुति
ReplyDeleteKataash shabdo me hai gazab ka dhaar...umda !!
ReplyDeleteजन जागृति से ही देश बच सकेगा
ReplyDeleteबढ़िया व्यंग्य .....