Wednesday, June 15, 2016

तुम मिलोगे तो ही,पर जमीं पर नहीं -सतीश सक्सेना

हम भी यूँ तो गिरेंगे, जमीं पर नहीं !

जीते जी तो झुकेंगे, कहीं पर नहीं !
हर गली से, गुज़रते हैं , हँसते हुए
वे मेहरबां सभी पर, हमीं पर नहीं !

हंसने का भी समय, हो मुक़र्रर यहाँ 
खूब खुल के हंसें पर गमीं पर नहीं ! 

वैसे हंसकर कहूँ , यदि बुरा न लगे 
तुम निछावर हुये हो, हमीं पर नहीं ! 

पर भरोसा सा है, आओगे एक दिन 
तुम मिलोगे तो ही,पर जमीं पर नहीं !

6 comments:

  1. बहुत बढ़िया ।

    ReplyDelete
  2. वाह वाह

    ReplyDelete
  3. लम्बे समय बाद सक्रियता दिखाई दी आपकी।

    ReplyDelete
    Replies
    1. आपका स्वागत है भाई जी ...

      Delete
  4. र गली से, गुज़रते हैं , हँसते हुए
    वे मेहरबां सभी पर, हमीं पर नहीं ...
    वाह ... बहुत ही कमाल की बात कही ... मुझे छोड़ वो सब पर मेहरबान ...

    ReplyDelete

एक निवेदन !
आपके दिए गए कमेंट्स बेहद महत्वपूर्ण हो सकते हैं, कई बार पोस्ट से बेहतर जागरूक पाठकों के कमेंट्स लगते हैं,प्रतिक्रिया देते समय कृपया ध्यान रखें कि जो आप लिख रहे हैं, उसमें बेहद शक्ति होती है,लोग अपनी अपनी श्रद्धा अनुसार पढेंगे, और तदनुसार आचरण भी कर सकते हैं , अतः आवश्यकता है कि आप नाज़ुक विषयों पर, प्रतिक्रिया देते समय, लेखन को पढ़ अवश्य लें और आपकी प्रतिक्रिया समाज व देश के लिए ईमानदार हो, यही आशा है !


- सतीश सक्सेना

Related Posts Plugin for Blogger,