हम भी यूँ तो गिरेंगे, जमीं पर नहीं !
वैसे हंसकर कहूँ , यदि बुरा न लगे
तुम निछावर हुये हो, हमीं पर नहीं !
पर भरोसा सा है, आओगे एक दिन
तुम मिलोगे तो ही,पर जमीं पर नहीं !
वे मेहरबां सभी पर, हमीं पर नहीं !
हंसने का भी समय, हो मुक़र्रर यहाँ
खूब खुल के हंसें पर गमीं पर नहीं !
हंसने का भी समय, हो मुक़र्रर यहाँ
खूब खुल के हंसें पर गमीं पर नहीं !
वैसे हंसकर कहूँ , यदि बुरा न लगे
तुम निछावर हुये हो, हमीं पर नहीं !
पर भरोसा सा है, आओगे एक दिन
तुम मिलोगे तो ही,पर जमीं पर नहीं !
बहुत बढ़िया ।
ReplyDeleteवाह वाह
ReplyDeleteलम्बे समय बाद सक्रियता दिखाई दी आपकी।
ReplyDeleteआपका स्वागत है भाई जी ...
Deleteर गली से, गुज़रते हैं , हँसते हुए
ReplyDeleteवे मेहरबां सभी पर, हमीं पर नहीं ...
वाह ... बहुत ही कमाल की बात कही ... मुझे छोड़ वो सब पर मेहरबान ...
बहुत सुंदर.
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