भुला पीठसंकल्प कलियुगी आकर्षण में योगी आये,
योग सिखाने जोगी बनकर,राजनीति के ढोंगी आये !
महंगाई से त्रस्त,भूख बेहाल ग्राम,शमशान बना के,
ध्यान बटाने को मूर्खों का, राजा के सहयोगी आये !
लालकिले तक पंहुचाने में जाने कितने पापड बेले,
अश्वमेध फल लेने अपना, भगवा पहने भोगी आये !
कष्ट दूर चुटकी में करने धूर्त,धर्म,भय चूरन लेकर,
रोगमुक्त करने माँ बहिनें,ये संपत्ति वियोगी आये !
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- सतीश सक्सेना