Friday, May 4, 2018

हेल्थ ब्लंडर्स 6 -सतीश सक्सेना

अधिकतर लोग दौड़ने को बेहद आसान मानते हैं जबकि हकीकत इसके बिलकुल उलट है ,यह शरीर को सिखाने के लिए सबसे जटिल एक्सरसाइज है जिसमें शरीर के बॉडी कोर में अवस्थित किडनी, पेन्क्रियास, लीवर ,
आंतें , फेफड़े और हृदय जैसे महत्वपूर्ण अवयवों में लगातार कम्पन होता है साथ में स्किन, मांसपेशियों ,मस्तिष्क में होते कम्पन से एक अलग ही ऊर्जा उत्पन्न होती है जो दौड़ते समय बेपनाह आनंद देती है !

दो वर्ष पूर्व इस आनंद की जगह हांफना और गंदा पसीना होता था जो दौड़ने के प्रति वितृष्णा और गुस्सा पैदा करता था कि पागल आदमी  ऐयरकण्डीशन्ड माहौल को छोड़ कहाँ सड़क और धूल में दौड़ने आ गया ! मगर आज शीशे में अपने सपाट पेट को देखकर अपने ऊपर गर्व होता है 


आज लगातार 7 km दौड़ते समय मैं याद कर रहा था अपने उन मित्रों को जो आलस्य को नहीं छोड़ पा रहे और धीरे धीरे अपनी छिपी हुई बेपनाह ताकत से महरूम होते जा रहे हैं !



बीमारियाँ मुझे उनसे कम नहीं हैं , हार्ट पल्पिटेशन , ब्लड प्रेशर ,उम्र बढ़ने के साथ मिलता बेपनाह डिप्रेशन ,शरीर में उम्र के साथ पनपतीं कैंसर नुमा गांठे तथा अन्य डरावने लक्षण , ब्रोन्काइटिस , क्रोनिक खांसी , क्रोनिक पायोरिया , दो बार टूटा एंकल , अच्छे अच्छों को घर में आराम करने को मजबूर कर देतीं मगर यह बाधाएं मुझे न रोक पायीं तो सिर्फ इसलिए कि मैं अपना बीमार दयनीय बुढ़ापा देखना नहीं चाहता था और मैंने रिटायरमेन्ट के बाद, यह कर भी दिखाया !

और यह सब मैंने अपने वृद्ध सुस्त शरीर को धीरे धीरे सिखाया ही नहीं बल्कि उसकी आदत भी डाल दी कि सुगठित शरीर देखने में सुन्दर ही नहीं लगता बल्कि अधिक समय मजबूती के साथ जीने में भी सहायक है !

मानवों ने अपने शरीर को आराम देने के लिए अपने दिल को तसल्ली देने के लिए तरह तरह के व्यायामों का आविष्कार कर लिया है जो उसे इस ग़लतफ़हमी में डाले रहते हैं कि वह अपनी सेहत का समुचित ख्याल कर रहा है उसमें दोस्तों के साथ गप्पे मारते हुए पार्क में टहलना, दूध सब्जी लाना, बच्चे खिलाना और ऑफिस में मीटिंगों में जाने की कवायद भी शामिल है !

अगर कोई एक मंजिल चढ़ने अथवा थोड़ा तेज टहलने में हांफ रहा है तो निश्चित ही वह हृदय रोगी है या बनने की कगार पर है सो सचेत हो जाएँ कि आलसी व्यक्ति  को इस आसन्न खतरे से डॉ की केमिकल गोलियां नहीं बचा पाएंगी अगर कोई बचा पाएगी तो वह उस शरीर की जीर्ण होती प्रतिरक्षा शक्ति ही बचाएगी जिसे शक्तिशाली बनाना होगा !

मृत्युभय, उम्र घटाने के लिए सबसे बड़ी बीमारी है जिसे मेडिकल व्यापारी धड़ल्ले से, डरते हुए व्यक्ति को और डराने में उपयोग करते हैं !अधेड़ अवस्था में हर व्यक्ति छोटे मोटे लक्षणों को भी कैंसर समझ लेता है और भागता है डॉ के पास जो तुरंत पूरे शरीर के टेस्ट लिख देता है कि इस उम्रदराज मालदार आदमी के शरीर में पनपती हुई कोई न कोई खतरनाक बीमारी अवश्य निकल आये और उसके बाद अपने बचे हुए दिन में यह बेचारा कभी जोरदार आवाज में भी बोलने के लायक नहीं रहता !

आलसी और मोटे पेट वाले लोग सबसे अधिक डायबिटीज और हृदय रोगी हैं उन्हें चाहिए कि धीरे धीरे अपने शरीर को तेज चलना सिखाएं और वाक के अंत में एक से दो मिनट धीमे धीमें दौड़ कर समाप्त करें एक से दो माह में उनके शरीर को दौड़ना आ जाएगा और साथ ही सुस्त पेन्क्रियास और हृदय की मोटी फैट से भरी धमनियों में भी जान पड़नी शुरू हो जायेगी !

विश्वास के साथ शुरू करें यह प्रक्रिया और अपने आप शुरू होगा आपका कायाकल्प भी अगले दो वर्ष में मेरी तरह 63 वर्ष की जगह 36 के दिखोगे अगर अवसाद के शिकार हैं तो उनके लिए रनिंग करें जिनको आपकी जरूरत है और मेरा विश्वास है कि वे लोग हतोत्साहित होंगे जिन्हें आपकी जरूरत ही नहीं !

अंत में ध्यान रहे बहुत अधिक पानी और गहरी नींद बहुत आवश्यक है इसके लिए , इस मेहनत के बाद अगर यह दोनों न मिले तब कुछ भी नतीजा नहीं निकलेगा ! अंत में मेरी एक रचना जो शायद अनूठी है अपने तरह की ....

साथ कोई दे, न दे , पर धीमे धीमे दौड़िये !
अखंडित विश्वास लेकर धीमे धीमे दौड़िये !


दर्द सारे ही भुलाकर,हिमालय से हृदय में
नियंत्रित तूफ़ान लेकर, धीमे धीमे दौड़िये !

जाति,धर्म,प्रदेश,बंधन पर न गौरव कीजिये
मानवी अभिमान लेकर, धीमे धीमे दौड़िये !

जोश आएगा दुबारा , बुझ गए से हृदय में
प्रज्वलित संकल्प लेकर धीमे धीमे दौड़िये !

समय ऐसा आएगा जब फासले थक जाएंगे
दूरियों को नमन कर के, धीमे धीमे दौड़िये !


3 comments:

  1. अत्यंत प्रेरणादायक पोस्ट !

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  2. आपके जज्बे को सलाम।

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  3. हम तो चेतक हैं, हमें कहते हैं, धीरे दौड़िए?
    लाठियां लेकर भगाए हैं, विकट नेता कई,
    हम तो कहते हैं, कभी उनके भी पीछे दौड़िए.
    बहुत खूब सक्सेना साहब!

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एक निवेदन !
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- सतीश सक्सेना

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