सुनी सुनाई खबरों पर,एतबार बदल लें !
झूठी खबरों के सस्ते अखबार बदल लें !
चलते, अहंकार की चाल,नज़र आती है !
उनसे कहिये,चलने का अंदाज बदल लें !
बच जाएगा, आया ऊँट पहाड़ के नीचे
उंची गर्दन, नीची करके , चाल बदल ले !
तीखी उनकी धार , नहीं दरबार सहेगा !
चंवर बादशाही से ही,तलवार बदल लें !
कोई मसालेदार खबर इन दिनों न आई
उनको कहिये अपने गोतामार बदल लें !
झूठी खबरों के सस्ते अखबार बदल लें !
चलते, अहंकार की चाल,नज़र आती है !
उनसे कहिये,चलने का अंदाज बदल लें !
बच जाएगा, आया ऊँट पहाड़ के नीचे
उंची गर्दन, नीची करके , चाल बदल ले !
तीखी उनकी धार , नहीं दरबार सहेगा !
चंवर बादशाही से ही,तलवार बदल लें !
कोई मसालेदार खबर इन दिनों न आई
उनको कहिये अपने गोतामार बदल लें !
मसालेदार बना रहा है
ReplyDeleteइस बार थोड़ी सी बस
कुछ देर लगा रहा है
बदलते रह गये हम
बदलने में सब कुछ
अब कुछ बचा नहीं
गोता मारने के बाद
वापस लौटा ही नहीं
अब जा रहा है
वाह बहुत खूब।
वाह्ह..क्या बात है सर...बहुत खूब👌👌
ReplyDeleteपके हुयो अनुभव की रचनाएँ - यथार्थ कथन !
ReplyDeleteवाह ! बहुत खूब..
ReplyDeleteवाह!!!
ReplyDeleteबहुत शानदार गजल
वाह ... सभी शेर लच्छेदार ...
ReplyDeleteजबरदस्त ...