Friday, July 9, 2021

मैं धीमी आवाजों को अभिव्यक्ति दिलाने लिखता हूँ -सतीश सक्सेना

 एक दोस्त ने , बढे हुए वजन को घटाने के लिए व्हाट्सप्प यूनिवर्सिटी के किसी ग्रेजुएट का बताया फार्मूला भेजा और पूंछा कि क्या इसे दो दिन कर लूँ ? उसे पढ़ने पर पता चला कि उसमें 17 तरीके के किचेन अवयव शामिल थे , जिनको तलाश करने और बनाने में ही वजन दो किलो घट जाएगा और उसका विवरण इतना जबरदस्त था कि पालन करने वाले को यह फार्मूला रामवाण ही लगेगा !

हमारे देश में ज्ञानियों की भरमार है , ज्ञान देने वाले और लेने वाले दोनों एक से हैं , उनकी हर बीमारी खाने से जुड़ी मानी जाती है और उनकी हर समस्या का निदान भी खाने में ही होता है बस शरीर को तकलीफ न देना पड़े और वजन घट जाए इसकी तलाश जीवन भर चलती रहती है ! जैसे तैसे जब वे 45 के होते हैं तब उन्हें लगता है कि शरीर बेडौल होने लगा है और वे इसका इलाज टहलना मानते हैं सो पड़ोस के किसी एक मित्र के साथ पार्क में आधा घंटा, ऑफिस में मारे हुए तीर उस दोस्त को सुनाते हुए, टहलना शुरू करते हैं जो ताउम्र चलता है बिना यह समझने का प्रयत्न किये कि इस क्रिया से एक किलो भी वजन हिला नहीं है ! उम्र बढ़ने के साथ स्वतः शारीरिक क्षरण के साथ बीमारियां बढ़ने लगती हैं जिनका इलाज वे सड़क छाप ज्ञानियों के दिए फार्मूलों से करते हैं ! इन फॉर्मूलों में अदरक , हल्दी , काली मिर्च , लौंग, दालचीनी , निम्बू , हरा धनिया, सेंधा नमक , जीरा , अजवायन , हींग  और लहसुन अवश्य होता है जो हम बचपन से खाते रहे हैं !

उपरोक्त फार्मूला में नाटकीयता की भरमार है ताकि गुरु के प्रति आदर भावना और अधिक हो , जबकि सप्ताह में दो दिन अगर रोटी आदि नियमित भोजन बंद कर पहले दिन केवल सब्जियां उबालकर अथवा कच्ची सलाद और दुसरे दिन केवल फलों का सेवन, भरपूर पानी पीते हुए करें तब वजन डेढ़ से ढाई किलो घट जाता है और अगर साथ में रोज ब्रिस्क वाकिंग या रनिंग करें तब यह वजन कभी शरीर पर कब्ज़ा नहीं कर सकता ! 

आज सुबह दौड़ते हुए मेरे पास से एक नौजवान आगे निकला गया उसके हावभाव से लग रहा है कि वह दौड़ने में नौसिखिया है , नतीजा थोड़ी देर बाद ही वह हांफने लगा और वाक करने लगा ! तब मैंने उसे समझाया कि हांफते हुए दौड़ना जान ले सकता है , हांफने का मतलब तुम्हें सही पर्याप्त मात्रा में ऑक्सीजन नहीं मिल पा रही अतः हृदय पर अधिक दवाब पड़ रहा है ! मेरे साथ दौड़ो और दौड़ते हुए मेरी तरह साँस लो , हर गिरते उठते कदम पर सांस खींचना और छोड़ना शामिल होना चाहिए जिस दिन कदम ताल के साथ सांस लेना और छोड़ना सीख गए उस दिन तुम कितनी ही दूरी दौड़ोगे , थकोगे नहीं !

सो अगर अपने बीमार हृदय, पेन्क्रियास और मोटापे से पीछा छुटाना है तो दौड़ना सीखना शुरू करें ! आप हर उम्र में खुश रहेंगे, स्वस्थ रहेंगे !   

  

12 comments:

  1. आदरणीय सर,आपके लेख बहुत ही ज्ञानवर्धक होते हैं आप निरंतर लोगो को जागरूक करने का प्रयास भी करते हैं जो बेहद सराहनीये है और मैं नतमस्तक हूँ।
    आज सबकुछ इंस्टेंट चाहने वालों में धैर्य कहा। समझते ही नहीं कि-धैर्य के साथ निरंतर किया गया प्रयास ही फलित होता है,सादर नमन आपको

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  2. बहुत सुन्दर

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  3. सादर नमस्कार ,

    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कलमंगलवार (13-7-21) को "प्रेम में डूबी स्त्री"(चर्चा अंक 4124) पर भी होगी।
    आप भी सादर आमंत्रित है,आपकी उपस्थिति मंच की शोभा बढ़ायेगी।
    --
    कामिनी सिन्हा

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  4. आपके ये अनुभव अगर समझ-बूझ कर सही ढंग से अपनाए जायें तो उनका लाभ निश्चित ही मिले.शौक के साथ समझने का माद्दा होना बहुत ज़रूरी है ,अन्यथा अपना ही नुक्सान हो सकता है.

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  5. अपनी सेहत के प्रति जागरूक रहना जरूरी है।
    सीखने वालों के लिए आप बेहद प्रेरक और ऊर्जावान व्यक्तित्व है।
    प्रणाम सर
    सादर।

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  6. बहुत काम की जानकारी

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  7. साँस का कदम ताल। हम भी सीखेंगे, ५० के होने वाले हैं।

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  8. प्रेरणादायक और सार्थक जानकारी

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  9. धन् इस लेख के लिए आपका धन्यवाद सर 🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏

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एक निवेदन !
आपके दिए गए कमेंट्स बेहद महत्वपूर्ण हो सकते हैं, कई बार पोस्ट से बेहतर जागरूक पाठकों के कमेंट्स लगते हैं,प्रतिक्रिया देते समय कृपया ध्यान रखें कि जो आप लिख रहे हैं, उसमें बेहद शक्ति होती है,लोग अपनी अपनी श्रद्धा अनुसार पढेंगे, और तदनुसार आचरण भी कर सकते हैं , अतः आवश्यकता है कि आप नाज़ुक विषयों पर, प्रतिक्रिया देते समय, लेखन को पढ़ अवश्य लें और आपकी प्रतिक्रिया समाज व देश के लिए ईमानदार हो, यही आशा है !


- सतीश सक्सेना

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