लूट मची है , पछताओगे !
और तुम बने जमूरे रहना !
सपने , रैली , भाषण मीठे
जीवन भर तुम पीते रहना
छोड़ देखना , स्वप्न सुनहरे
भाग सके तो भाग सभी संग
दुनिया फ़ायदा उठा रही है
सीख लगाना डुबकी, तू भी
लूट सके तो लूट देश को , नहीं तो पीछे रह जाओगे !
लूट मची है, पछताओगे !शपथ उठाए संविधान की
खद्दर पहने , नेता लूटें !
नियम और क़ानून दिखायें
दफ़्तर वाले, बाबू लूटें !
हाथ में झंडा ले छुटभैया,
धमकी देकर चौथ वसूले
सब्जी वाला तक डंडी के
बल पर, बहिन बनाके लूटे
उल्लू मत बन, बनो जुगाड़ू
आँख उठा ले, राष्ट्रभक्त बन
झूठ को सत्य बनाना सीखो , वरना बेटा क्या खाओगे !
देश लुट रहा पछताओगे !
आँखें खोलो नंगों तुम भी
बहती गंगा में मुँह धो लो
फेंक मजीरा, तबला, ढोलक
हर हर गंगे अलख जगा ले !
जय श्री राम बोल नेता को
जीत दिलाकर शोर मचा ले
हाथ में आएगा, घंटा ही ,
चाहे जितना ज़ोर लगा ले
त्याग पसीना, बनो हरामी
बुद्धि के बल नोट कमाओ
फेंक रज़ाई फटी, लूट ले , वरना पीछे रह जाओगे !
तुम वन्दे मातरम गाओगे !
तुमको धांसू न्यूज़ सुनाकर
प्रेस मीडिया नोट कमाये !'
तुमको भरमाने की खातिर
चोर को साहूकार बताये !
टेलिविज़न बनाए उल्लू ,
मीठे मीठे स्वप्न दिखाये !
जो घर को ही, चले लूटने
उनके जयजयकार लगाए
समय बचा है अब भी बकरे
मूर्ख़ बनाना सीखो भोंदू ,
वरना जीवन भर तुम लल्लू , क्या ओढ़ोगे क्या बिछाओगे !
हाथ में बस घंटा पाओगे !
#व्यंग्य
बेहतरीन !
ReplyDeleteखद्दर और खद्दर धारी ? गांधी जैसे शब्दों का प्रयोग वर्जित है | सुधरो|
ReplyDeleteबहुत बढ़िया
ReplyDeleteवाह
ReplyDeleteबेहद रोचक रचना
वाह!!!!
ReplyDeleteलाजवाब...
बहुत अच्छे से खिंचाई कर दी आपने, लेकिन फिर ऐसे लोग कहाँ बाज आते हैं अपनी हरकतों से, रोजी-रोटी और रुतवा के लिए क्या कुछ नहीं कर जाते हैं।
ReplyDeleteआपके गीत जागरूकता भरे होते हैं, सोये हुए लोगों को जगाने के लिए। काश! एक बार जागकर देखते ऐसे लोग-बाग़ की इसके इतर भी एक सुकून की दुनिया होती है
https://www.youtube.com/watch?v=svRRJRDlI38
वाह बेहतरीन सर
ReplyDeleteलाजवाब अत्यन्त सुन्दर रचना............|||✓
ReplyDeletethanks for sharing
बहुत आभार