Friday, May 19, 2023

दिखावा अस्वस्थ बनाता है -सतीश सक्सेना

 काया कल्प के संकल्प में सहजता ही आवश्यक है जिसे आज के दिखावटी जगत में पाना बेहद मुश्किल होता है ! सहज आप तभी हो सकेंगे
जब मन स्वच्छ हो ईमानदार हो खुद के लिए भी और गैरों के लिए भी ! स्वस्थ मन और शरीर को पाने के लिए आप को भय त्यागना होगा , मृत्यु भय पर विजय पाने के लिए अपनी आंतरिक सुरक्षा शक्ति पर भरोसा रखें कि वह अजेय है किसी भी बीमारी से उसका शरीर सुरक्षित रखने में वह सक्षम है और हाँ, अपने विशाल प्रभामण्डल
और तथाकथित आदर सम्मान भार को सर से उतारकर घर पर रख देना होगा अन्यथा यह गर्व बर्बाद कर देने में सक्षम है मेरे हमउम्र तीन मित्र इस वर्ष मोटापे की भेंट चढ़ गए और कुछ हार्ट अटैक की कगार पर हैं ,काश वे समय रहते चेत गए होते !

भारत हृदय रोग और डायबिटीज की वैश्विक राजधानी बन चुका है , हर चौथा व्यक्ति इसका शिकार है और उसे पता ही नहीं , चलते समय या सीढियाँ चढ़ते समय सांस फूलता है, उसे यह तक पता नहीं कि साँस फूलने का मतलब क्या होता है और न उसके पास समय है कि इस बेकार विषय पर ध्यान दे मोटापे को वह उम्र का तकाजा समझता है ! खैर ...
बरसों से आलसी शरीर को सुंदर और स्वस्थ बनाने के लिए कृत्रिम प्रसाधनों , दवाओं का त्याग करना होगा , उनसे शरीर स्वस्थ होगा का विचार, केवल खुद को मूर्ख बनाना है ! शरीर स्वस्थ रखने के लिए जो अंग जिस कार्य के लिए बने हैं उनका सहज भरपूर उपयोग करना सीखना होगा ! गलत लोक श्रुतियों और मान्यताओं, सामाजिक भेदभाव पर खुले मन से विचार कर उनका त्याग करें आप खुद ब खुद सहज होते जाएंगे !
दर्द सारे ही भुलाकर,हिमालय से हृदय में
नियंत्रित तूफ़ान लेकर, धीमे धीमे दौड़िये !
जाति,धर्म, प्रदेश,बंधन पर न गौरव कीजिये
मानवी अभिमान लेकर, धीमे धीमे दौड़िये !

4 comments:

  1. सुन्दर प्रस्तुति।

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  2. सार्थक लेखन

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  3. आपके ब्लॉग पर आना हम जैसों के लिए पाठशाला जाने से कम नहीं। हर बार कुछ-न-कुछ सीखते ही हैं। आज भी एक अनमोल सीख मिली है। हृदय से आपका आभार।

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एक निवेदन !
आपके दिए गए कमेंट्स बेहद महत्वपूर्ण हो सकते हैं, कई बार पोस्ट से बेहतर जागरूक पाठकों के कमेंट्स लगते हैं,प्रतिक्रिया देते समय कृपया ध्यान रखें कि जो आप लिख रहे हैं, उसमें बेहद शक्ति होती है,लोग अपनी अपनी श्रद्धा अनुसार पढेंगे, और तदनुसार आचरण भी कर सकते हैं , अतः आवश्यकता है कि आप नाज़ुक विषयों पर, प्रतिक्रिया देते समय, लेखन को पढ़ अवश्य लें और आपकी प्रतिक्रिया समाज व देश के लिए ईमानदार हो, यही आशा है !


- सतीश सक्सेना

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