Thursday, June 1, 2023

आंसू छलकें नहीं , अनुभवी आँखों से -सतीश सक्सेना

हँसते और हंसाते , जग से जाना सीखो
स्वीकारो बदलाव वक्त का गाना सीखो !

मरते दम तक साथ तुम्हारे कौन रहेगा ?
साथी सबके बीच अकेले रहना सीखो !

कोशिश करिये, बिना सहारे ही उठने की
पैरों को मज़बूत बना कर चलना सीखो !

शारीरिक, मानसिक दर्द से बचना हो तो
मेहनत करो, बहाना खूब पसीना सीखो !

आंसू छलकें नहीं , अनुभवी आँखों से
दोस्त इन्हें अब आँखों में ही पीना सीखो !

चिट्ठी एक दोस्त को :

7 comments:

  1. बहुत सुंदर

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  2. वाह!! प्रेरणादायक और बहुत सुंदर संदेश

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  3. सदा की भांति मन को गहराई तक स्पर्श कर गई आपकी ये सादा अभिव्यक्ति।

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  4. बहुत सुंदर रचना जी जीवन का सत्य है सर आपकी रचना में ।

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एक निवेदन !
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- सतीश सक्सेना

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