अधिकतर महागुरु ( ६० वर्ष से अधिक ) इस बात से चौंकेंगे कि बढ़ती उम्र में वेट लिफ्टिंग सीखना , बॉडी वेट एवं रेजिस्टेंस बैंड एक्सरसाइज उनके लिए आवश्यक ही नहीं , बढ़ती उम्र की आवश्यक जरूरत है और इस
आवश्यकता की पूर्ति के लिए मैं सतीश सक्सेना ( ७०+) यह पूरा वर्ष नौजवानों की तरह जिम ट्रेनिंग में लगाकर अपने शरीर के मसल्स मास को दुबारा ताकत दूँगा और आख़िरी दिन की और बढ़ते हुए भी मैं , बढ़ी उम्र में बीमारी मुक्त रहने का संघर्ष जारी रखूँगा !कोई डॉ यह नहीं बताता, सबका कहना है कि आराम करिए इस उम्र में नहीं तो आप अपने जॉइंट डैमेज कर लेंगे जबकि तेजी से घटते बॉडी मसल्स और मास को बढ़ाने का सबसे बेहतर तरीका यही है , और हाँ यह मसल्स दुबारा मजबूत बन सकती हैं किसी भी उम्र में, बशर्ते यह विश्वास बना रहे !
मुझे चिंता है उन महर्षियों की जो अपना सारा समय शिष्यों के मध्य ज्ञान बाँटने में गुजारते हैं और अपनी सेहत दवा व्यवसायियों के भरोसे सौंप कर निश्चिंत रहते हैं , अगर नहीं चेते तो कुछ समय में उनके शरीर की दुर्दशा निश्चित है ! “इलाज करा लेंगे “ उन्हें शायद यह पता ही नहीं कि बुढ़ापे में दवाओं के ज़रिये इस शरीर का इलाज संभव ही नहीं , हाँ ढेरों पैसे खर्च कर , वे शरीर में कुछ ख़तरनाक बीमारियां व तीन गुना दवाएं लेकर ही घर वापस आयेंगे !
प्रणाम आप सबको , हो सके तो बिना चिढ़े इस विषय पर ओपन मन से गौर करियेगा ! सादर सस्नेह
सटीक | चिढ़े बिना गौर कर रहे हैं :) :) :) |
ReplyDeleteखुले मन से ही ग़ौर कर रहे हैं सतीश जी। आपकी बातें एवं आपका जीवन दोनों ही हम जैसों हेतु प्रेरणा-स्रोत हैं।
ReplyDeleteउम्र का बुद्धि विकास से कोई प्रामाणिक संबंध नहीं पाया गया है जनाब, एक शतक उम्र का अनुभव भी 10 वर्षीय बाल बुद्धि के दायरे मे सीमित 10 बार वहीं के वहीं चक्कर खाकार्र गिरी हुई बरामद पाई गई है। 100 के तजुर्बे को आखरी समय राम नाम लेने की हिदायत दी गई तो उसके बाल मन / बुद्धि का निश्चल जवाब था की मुझे तो समोसे खाने की इच्छा हो रही है (सत्य घटना)। जीवन भी अलग अलग प्रकार से अपने को परिभाषित करने हेतु लालायित मालूम पड़ता है।। लिखते रहिए...
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