मैंने कुछ समय पहले, कहीं पढ़ कर, ब्लाग के बारे, सोचना, शुरू किया था,! मेरा मानना था कि अपने विचार व्यक्त करने का यह अच्छा साधन है, और इसके ज़रिये शायद समाज सेवा करने का अपना शौक पूरा कर पाउँगा ! जिन मशहूर ब्लाग्स के बारे में अखबारों में पढा था कि वे बहुत अच्छा कार्य कर रहें हैं, उन्हें रोज पढ़ना शुरू किया, मगर जल्दी ही समझ में आ गया कि कहीं कोई बड़ी गड़बड़ है, और लगभग २ महीने बाद, अब तो यह समझ ही नही आता कि किस ब्लाग को अच्छा कहूं और किस को बुरा, जिसको अच्छा कहता हूँ वही कुछ दिन में अपनी असलियत पर आ जाता है !
हर ब्लाग पर अपने अपने ग्रुप बने हुए हैं, जो हमले से बचने और दूसरे से मुकाबला करते हैं , और यह सभी स्वनामधन्य साहित्यकार और मशहूर पत्रकार हैं जिनसे सब कोई डरते हैं, यह वो हैं जो दावा करते हैं कि देश को कभी सोने नहीं देंगे ! आज एक बहुत मशहूर ब्लाग ( जिसको मैं बहुत पसंद करता हूँ/ था शायद नाम के कारण ) के द्बारा, बताई गयी एक ब्लाग पर गया तो लगा कि किसी पॉर्न ब्लाग पर आ गया, अपने विश्वास को बहुत गालियाँ दी और बाहर आ गया, साथ ही एक तकलीफ भी कि पढ़े लिखे व्यक्ति जिम्मेवार क्यों नहीं हैं ? क्या उनका कोई परिवार नही है या कभी होगा भी नही, इंटरनॅशनल नेटवर्क पर हम भारतीय क्या दे रहे हैं ? हर एक ब्लाग बेहतर प्रदर्शन करने के लिए नए हथकंडे आजमा रहा है, और जो ब्लाग लोकप्रिय हैं, वे भी एक दूसरे की टांग खींचने पर लगे हैं !
अजीब स्थिति में हूँ, कष्ट के साथ !मैं किसी कि आलोचना नहीं करना चाहता, क्योंकि सब कहीं न कहीं अच्छा कार्य भी कर रहे हैं ! मगर चाहता हूँ कि यह अपनी एनर्जी देश हित में लगाये, उस से ही भला होगा, अपनी विद्वता का उपयोग इस कम पढ़े लिखे देश में, हम जैसे कम पढ़े लोगों को, कुछ अच्छा देकर, सुखी बनायें !
हर ब्लाग पर अपने अपने ग्रुप बने हुए हैं, जो हमले से बचने और दूसरे से मुकाबला करते हैं , और यह सभी स्वनामधन्य साहित्यकार और मशहूर पत्रकार हैं जिनसे सब कोई डरते हैं, यह वो हैं जो दावा करते हैं कि देश को कभी सोने नहीं देंगे ! आज एक बहुत मशहूर ब्लाग ( जिसको मैं बहुत पसंद करता हूँ/ था शायद नाम के कारण ) के द्बारा, बताई गयी एक ब्लाग पर गया तो लगा कि किसी पॉर्न ब्लाग पर आ गया, अपने विश्वास को बहुत गालियाँ दी और बाहर आ गया, साथ ही एक तकलीफ भी कि पढ़े लिखे व्यक्ति जिम्मेवार क्यों नहीं हैं ? क्या उनका कोई परिवार नही है या कभी होगा भी नही, इंटरनॅशनल नेटवर्क पर हम भारतीय क्या दे रहे हैं ? हर एक ब्लाग बेहतर प्रदर्शन करने के लिए नए हथकंडे आजमा रहा है, और जो ब्लाग लोकप्रिय हैं, वे भी एक दूसरे की टांग खींचने पर लगे हैं !
अजीब स्थिति में हूँ, कष्ट के साथ !मैं किसी कि आलोचना नहीं करना चाहता, क्योंकि सब कहीं न कहीं अच्छा कार्य भी कर रहे हैं ! मगर चाहता हूँ कि यह अपनी एनर्जी देश हित में लगाये, उस से ही भला होगा, अपनी विद्वता का उपयोग इस कम पढ़े लिखे देश में, हम जैसे कम पढ़े लोगों को, कुछ अच्छा देकर, सुखी बनायें !
अरे दूसरे चिट्ठों के बारे में क्यों चिन्ता करते हैं। आप, बढ़िया लिखिये और लीखते चलिये। चिट्ठों का स्तर अपने आप ऊंचा होगा।
ReplyDeleteअरे दूसरे चिट्ठों के बारे में क्यों चिन्ता करते हैं। आप, बढ़िया लिखिये और लिखते चलिये। चिट्ठों का स्तर अपने आप ऊंचा होगा।
ReplyDeleteये सब सिर्फ़ ब्लॉग जगत में ही नही है.. ये तो समाज में हर तरफ है.. बुराई और अच्छाई तो आपको कही भी मिल जाएगी.. उन्मुक्त जी ने सौ फीसदी सही कहा है.. आप अच्छा लिखिए और अच्छा पढ़िए.. वर्थ के प्रपंचो से दूर रहे..
ReplyDeleteहमारी शुभकामनाए आपके साथ है
मेरे विचार से आप यह मान लें कि यह हमें ऐसी हालतों में चलना है। आप अपनी रचनायें लिखते रहिये। आप इस बात की परवाह न करें कि आपको किस फोरम पर कितने लोगों ने पढ़ा बल्कि आप इस बात पर विचार करिये कि आपको कितने लोग आगे पढ़ने वाले हैं। आपका लिखा कोई भी पाठ कभी भी इंटरनेट पर पढ़ा जा सकता है यह जरूरी नहीं है कि जिस दिन आपने लिखा उसी दिन सब उसे पढ़ लें। मैंने अपने अनुभव के आधार पर यह विचार व्यक्त किया है। मेरी शुभकामनायें आपके साथ हैं।
ReplyDeleteदीपक भारतदीप
आप ने बहुत सही लिखा हे, ओर वेफ़िक हो कर लिखे, जिस ने टिपण्णी देनी हे वो जरुर देगा, वेसे जरुरी नही खुब टिपण्णिया आये तभी आप लिखे, अजी दिल खोल कर लिखो पढ्ने वाले पढेगे ही,टिपण्णियो को मत देखे,उन्मुक्त ओर कुश भाई भी सही कह रहे हे, ओर यह दोनो पुराने भी हे, एक बात लिखु मेने आप के कहे अनुसार आप का ब्लाग्स नही पढा,
ReplyDeleteभई ब्लॉग्स के बारे मे भी गीता का उपदेश लागू होता है।
ReplyDeleteकर्म किए जा, फल की इच्छा मत करो।
कभी कभी धर्म के लिए अपनों से भी लड़ना पड़ता है।
तुम क्यों व्यर्थ चिंतित होते हो, जो आज तुम्हारा है, कल किसी और का था, आने वाले मे किसी और का होगा (मतलब प्रसिद्दि) इसलिए वत्स कर्म किए जा....
बाकी यार मस्त होकर लिखो, जिसको मर्जी हो पढो, जिसको मर्जी हो छोड़ो, वैसे भी गंद तो समाज मे हर जगह होता है। टीवी पर विज्ञापन अच्छे बुरे सभी तरह के आते है, ना पसन्द आए तो चैनल बदल दो।
सतीश जी,आप समझे यह एक मोहल्ला हे जिस मे रंग बिरंगे लोग हे,ओर सभी अपनी अपनी बात लिख रहे हे,मस्त रहो, कई तो हमे गालिया भी दे जाते हे, क्या करे,लडना झगडना ओर गालिया देना तो हमे आता नही, बस मुहं फ़ेर लो अच्छा हे, ओर आप लिखते बहुत अच्छा हे बस लिखते रहो, अब की बार पढ कर आया हु, :)
ReplyDeleteaap ko abhivyakti kaa ek maadhyam mila haen likhtey rahey
ReplyDeleteआपकी बात में दम है...
ReplyDeleteउन्मुक्त जी ने सही कहा है. आप अच्छा लिखिए और अच्छा पढ़िए.
ReplyDeleteमोहभंग होने पर क्षोभ व दुःख तो होता ही है,स्वाभाविक है किंतु यह भी सत्य है कि चर्चित या भीड़ भरे या जाने पहचाने या सुझाए या यह या वह के अतिरिक्त कुछ ऐसे भी लिख रहे हैं जो भले बहुत जल्दी नजर में न चढ़ता हो पर है महत्वपूर्ण. अब जिसके पास जो है वह वही तो उलीचेगा बाहर, या वही तो बाँटेगा. पर इन सब से या ऐसी ही ब्लॉग जगत की और बहुत सी चीजों से विचिलित हुए बिना अपनी राह चले चलिए.आशा की जानी चाहिए कि धीरे धीरे स्तर में सुधार होगा. वैसे क्वालिटी कभी भीड़ का मुँह नहीं जोहती व दोनों का कई मायनों में बैर ही होता है. आप अपनी राह चले चलिए.
ReplyDeleteअजी मस्त रहिए , लिखते जाईए।
ReplyDeleteसक्सेनाजी निराश होने की आवश्यकता नहीं है. यह दुनियां बहुत बडी है और सभी तरह के लोग हैं हम अपनी विचाराधारा किसी पर थोप तो नहीं सकते. केवल हम क्या कर सकते हैं, यह विचार करो और अपनी आन्तरिक प्रेरणा के बल पर करते जाओ. जीवन एक खेल है- अपना पाला निर्धारित करके सच या फ़िर दूसरा पक्ष असत जिओसक्ले साथ भी रहो रह सकते हो किन्तु दूसरों को सच के पाले में ढ्केल के नहीं ला सकते. जिन पोर्न साइट की और आप संकेत कर रहै है उनको समाप्त करना संभव नहीं है. हमें क्या पढ्ना है क्या लिखना है, इसके लिये स्वतन्त्र है किन्तु दूसरों पर नियन्त्र
ReplyDeleteण नहीं लगा सकते.
आपने इमानदारी से सत्य बात कही है !
ReplyDeleteऔर इसमे रहना है तो मोहल्ला माहोल में रहना मजबूरी है ! गुट बाजी कहाँ नही है ! निर्भीकता से लिखने के लिए धन्यवाद !गंदी चीजों को गंदी कहने वाले भी जरूरी है ! और ज्यादा से ज्यादा लिखें !
जब इतना कुछ कह दिया गया है, तो अब और कहने की क्या आवश्यकता है। सुपाच्य सलाहें मुबारक हों।
ReplyDeleteनमस्कार। मैं आपकी बात से सहमत हूँ पर अगर हमारा ब्लाग कोई ब्लागर न पढ़े तो इससे क्या? सर आपको पता है बहुत सारे अन्य लोग भी जो ब्लाग नहीं लिखते,वे ब्लाग पढ़ते हैं। आप उनके लिए लिखिए, समाज को नई दिशा देने के लिए लिखिए। चिट्ठावाद में विश्वास रखिए न कि चिट्ठाकारवाद में।
ReplyDeleteमुझे तो काफी प्रसन्नता होती है क्योंकि मेरे मित्र, मेरे बच्चों को मेरा लिखना बहुत ही पसंद है।
बस जीतू भाई (नारद भगवान) की बात को सत्य मानते हुए क्योंकि वह सत्य ही है- फल की आशा न रखते हुए निस्वार्थ भाव से अपने (ख्याति) लिए नहीं, अपनों के लिए, समाज के लिए लिखिए। "वाद" शब्द के बिना सबकुछ अधूरा है, सत,द्वापर, त्रेता में भी वाद था, यह चिरस्थाई है, यह था, है और रहेगा। यह निराकार, निर्विकार, असीम, अथाह, निर्गुण, सगुण, अगुण ब्रह्म का ही तो रूप है और ब्रह्म तो हर जगह है।
नमस्कार।
Suresh ji aisa sabhi ke saath hota hai
ReplyDeletehum kisi ke bare main koi raay kayam karte hain uske baad jab wo toota hai to dukh hota hi hai
matlab ke log hai aur bhaut kuch len dena jaisa bhi hai
magar sab bura hai aisa bhi nahi
bus hum khud ko in sabke beech main bacha kar rakh sake yahi dua hai