पत्र के पहले भाग में, बेहद प्रतिष्ठित लेखिकाओं तथा लेखकों ने अपनी उत्साहवर्द्धक प्रतिक्रियाएं दी, मैं यह स्पष्ट करना कहता हूँ कि इस कविता में बेटी को नसीहत नहीं बल्कि एक बेहद प्यार करने वाले पिता की इच्छा है कि जितना प्यार तुम मुझे करती हो उतना ही प्यार अपने नए पिता, मां और बहिन को करना और इस प्यार की शुरुआत, वहां जा कर तुम्हे करनी है, बिना उनसे उम्मीद किए !
एक खिले , दूजा मुरझाये ,
बिन बोले सब बात कहोगी !
चूंकि यह ख़त पुत्री के लिए है, स्वाभाविक है कि मुझे उसकी भावी ससुराल से कोई उम्मीद नही करनी चाहिए ! समझाने का अधिकार मुझे केवल अपनी पुत्री को ही है ...
सदा अधूरा , पति रहता है
यदि तुम साथ नहीं दे पाओ !
यदि तुम साथ नहीं दे पाओ !
अगर , पूर्ण नारीत्व चाहिए
पति की अभिलाषा बन जाओ !
बनो अर्ध नारीश्वर जैसी ,
हर साधना तुम्हारी होगी !
हर साधना तुम्हारी होगी !
पहल करोगी अगर नंदिनी, घर की रानी तुम्हीं रहोगी !
पति-पत्नी हैं एक डाल पर
लगे फूल दो बगिया में !
जब तक खिलें न साथ ,
अधूरे लगते हैं सुंदरता में !
बिन बोले सब बात कहोगी !
पहल करोगी अगर नंदिनी, घर की रानी तुम्हीं रहोगी !
कमजोरों का साथ दिया तो
ईश्वर देगा, साथ तुम्हारा !
वृद्ध जनों का प्यार मिला ,
सारा जीवन सफल तुम्हारा
सारा जीवन सफल तुम्हारा
आशीर्वाद बड़ों का लेकर ,
सबसे आगे तुम्हीं रहोगी !
सबसे आगे तुम्हीं रहोगी !
पहल करोगी अगर नंदिनी, घर की रानी तुम्हीं रहोगी !
कार्य करो संकल्प उठा कर
खुशियां घर में हंसती आये !
खुशियां घर में हंसती आये !
स्व-अभिमानी बनकर रहना
पर अभिमान न होने पाये !
दृढ़ विश्वास ह्रदय में लेकर,
कार्य करोगी सफल रहोगी !
पहल करोगी अगर नंदिनी, घर की रानी तुम्हीं रहोगी !
कमजोरों के लिए सुपुत्री,
जिस घर के दरवाजे खुलते !
आदि शक्ति परमात्मा ऊपर,
जिस घर श्रद्धासुमन बिखरते !
कभी अँधेरा पास न आए
सूर्य-किरण सी तुम निखरोगी !
सूर्य-किरण सी तुम निखरोगी !
पहल करोगी अगर नंदिनी, घर की रानी तुम्हीं रहोगी !
next part http://satish-saxena.blogspot.in/2008/07/blog-post_14.html
refer :
http://sumanpatil-bhrashtachar-ka-virus.blogspot.in/2014/01/blog-post_11.html
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बहुत बढिया। लिखते रहिए।
ReplyDeleteबहुत सही!!
ReplyDeleteबहुत-बहुत- बहुत बढिया रचना है।बधाई।
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