ब्लॉग लेखन शुरू करते समय मन में बड़ा उत्साह था कि मैं यहाँ अच्छे लेखन से जुड़ कर अपने ज्ञान में कुछ योगदान कर पाऊंगा, और उन महा नायकों से रूबरू होने का मौका भी मिलेगा जिनको अखबारों में पढ़ कर धन्य मानता रहा ! मगर मुझे लगता है कि अनपढ़ आदमी के ज्ञान की तरह मेरे ज्ञान की सीमा भी कुएं के मेढक जितनी ही थी ! आज जब इस मैदान ( ब्लागर जगत ) में आया तो लगता है कि मैं लेखकों के मध्य नही, पहलवानों के मध्य कार्य कर रहा हूँ !
हिन्दी ब्लाग की प्रमुख कमजोरी, उपयुक्त और प्रभावशाली लेखन की कमी के अलावा, ख़राब माहौल है शायद इसी कारण महिला और साहित्यिक लेखन की वेहद कमी है ! यहाँ हर लेखन पर प्रतिक्रियाएं दी जाती हैं, अच्छे लेखन पर अपरिपक्व कमेंट्स, समाज की कमियों वाले लेखों पर, बुद्धि से लगभग पैदल लोगों के गाली गलौज युक्त कमेंट्स, बेहद एक्टिव महिला ब्लागरों के साथ, व्यक्तिगत तौर पर अश्लील कमेंट्स, किसी भी अच्छे लेखक के मन में वित्रश्ना भरने के लिए काफी हैं !
अधिकतर लोग अपने नीरस लेखन से दुखी होकर किसी भी चर्चित ब्लाग पर जाकर भद्दी व घटिया टिप्पणी ,यहाँ तक कि गालियाँ भी देते हैं,जिससे उनकी प्रतिक्रिया चर्चा का विषय बन सके और उनको लोग जान जाए,अधिकतर ऐसे लोग महिला और संवेदनशील लेखकों को मानसिक चोट पहुंचाने में सफल भी रहते हैं,और उनका उद्देश्य जाने बिना,लोग प्रतिक्रियाओं के माध्यम से,अनचाहे ही,उन्हें कामयाब हीरो बना देते हैं! ऐसे लोगों के नाम और उनके ब्लाग को एक ब्लैक बोर्ड पर प्रर्दशित कर लोगों को आगाह किया जा सकता है !
प्रोत्साहन में बड़ी शक्ति होती है,बहुत शक्तिशाली कलम भी शुरू में लड़खडाने लगती है, प्रोत्साहन के कमी और बदकिस्मती से अगर शुरुआत में ही इन्हे कुछ लोग हूट करदें तो बड़े बड़े ईमानदार और शक्तिशाली वैचारिक प्रतिभा के धनी लोग भी चुटकियों में दम तोड़ देंगे,और इस निष्ठुर ब्लॉग जगत में कोई उसकी कब्र पर दो फूल अर्पित करने आयेगा इसमे मुझे संदेह है !
जहाँ एक तरफ़ अच्छे एवं उचित लेखों के लिए पाठकों की प्रतिक्रियाएं वातावरण में एक सौहार्दपूर्ण मिठास घोलने का कार्य करेंगी ! वहीं नाज़ुक विषयों पर अनजाने तथा बिना सोचे समझे की गयी प्रतिक्रियाएं समाज का सत्यानाश कराने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती हैं !
और इसी प्रकार तात्कालिक जोश में,एक सामान्य उत्साही ब्लागर की ग़लत तारीफ मिलने पर,विद्वान मगर पथभ्रष्ट,और अति उत्साहित लेखनी,समाज का वह विनाश करेगी जिसकी कोई कल्पना भी न कर सके! आज आवश्यकता है कि आप नाज़ुक विषयों पर,प्रतिक्रिया देते समय,निष्पक्षता व ईमानदारी का ध्यान रखें !
हिन्दी ब्लाग की प्रमुख कमजोरी, उपयुक्त और प्रभावशाली लेखन की कमी के अलावा, ख़राब माहौल है शायद इसी कारण महिला और साहित्यिक लेखन की वेहद कमी है ! यहाँ हर लेखन पर प्रतिक्रियाएं दी जाती हैं, अच्छे लेखन पर अपरिपक्व कमेंट्स, समाज की कमियों वाले लेखों पर, बुद्धि से लगभग पैदल लोगों के गाली गलौज युक्त कमेंट्स, बेहद एक्टिव महिला ब्लागरों के साथ, व्यक्तिगत तौर पर अश्लील कमेंट्स, किसी भी अच्छे लेखक के मन में वित्रश्ना भरने के लिए काफी हैं !
अधिकतर लोग अपने नीरस लेखन से दुखी होकर किसी भी चर्चित ब्लाग पर जाकर भद्दी व घटिया टिप्पणी ,यहाँ तक कि गालियाँ भी देते हैं,जिससे उनकी प्रतिक्रिया चर्चा का विषय बन सके और उनको लोग जान जाए,अधिकतर ऐसे लोग महिला और संवेदनशील लेखकों को मानसिक चोट पहुंचाने में सफल भी रहते हैं,और उनका उद्देश्य जाने बिना,लोग प्रतिक्रियाओं के माध्यम से,अनचाहे ही,उन्हें कामयाब हीरो बना देते हैं! ऐसे लोगों के नाम और उनके ब्लाग को एक ब्लैक बोर्ड पर प्रर्दशित कर लोगों को आगाह किया जा सकता है !
प्रोत्साहन में बड़ी शक्ति होती है,बहुत शक्तिशाली कलम भी शुरू में लड़खडाने लगती है, प्रोत्साहन के कमी और बदकिस्मती से अगर शुरुआत में ही इन्हे कुछ लोग हूट करदें तो बड़े बड़े ईमानदार और शक्तिशाली वैचारिक प्रतिभा के धनी लोग भी चुटकियों में दम तोड़ देंगे,और इस निष्ठुर ब्लॉग जगत में कोई उसकी कब्र पर दो फूल अर्पित करने आयेगा इसमे मुझे संदेह है !
जहाँ एक तरफ़ अच्छे एवं उचित लेखों के लिए पाठकों की प्रतिक्रियाएं वातावरण में एक सौहार्दपूर्ण मिठास घोलने का कार्य करेंगी ! वहीं नाज़ुक विषयों पर अनजाने तथा बिना सोचे समझे की गयी प्रतिक्रियाएं समाज का सत्यानाश कराने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती हैं !
और इसी प्रकार तात्कालिक जोश में,एक सामान्य उत्साही ब्लागर की ग़लत तारीफ मिलने पर,विद्वान मगर पथभ्रष्ट,और अति उत्साहित लेखनी,समाज का वह विनाश करेगी जिसकी कोई कल्पना भी न कर सके! आज आवश्यकता है कि आप नाज़ुक विषयों पर,प्रतिक्रिया देते समय,निष्पक्षता व ईमानदारी का ध्यान रखें !
shuruaati samay hai kuchh kamiyan to aayengi hi dheere dheere log paripakv ho jayenge
ReplyDelete' read your thoughts in this artical, and to be very true few days back i too wanna present same kind of thoughts but being a woman i kept my self aside from presenting my view about it. but today after reading your words, i am feeling a kind of relief and thankful to you for this presentation. it seems you have read hearts of many sensitive persons and felt there unhappyness also. hatts off to you for being a voice of many broken hearts in this blogworld'
ReplyDeleteRegards
"यहाँ हर लेखन पर प्रतिक्रियाएं दी जाती हैं, अच्छे लेखन पर अपरिपक्व कमेंट्स, समाज की कमियों वाले लेखों पर, बुद्धि से लगभग पैदल लोगों के गाली गलौज युक्त कमेंट्स, बेहद एक्टिव महिला ब्लागरों के साथ, व्यक्तिगत तौर पर अश्लील कमेंट्स, किसी भी अच्छे लेखक के मन में वित्रश्ना भरने के लिए काफी हैं !"
ReplyDeleteजैसा कि आपने लिखा है कि इस तरह के काम किसी भी अच्छे लेखक का मन वितृष्णा से भरने के लिए काफी हैं. आपके लेख से ये भी समझ में आ रहा है कि आपका मन वितृष्णा से भर गया है. लेकिन फिर भी हम तो यही चाहेंगे कि आप अपने लेखन से हमें ऐसे ही रास्ता दिखाते रहें. आपके लेखन से हमें बहुत कुछ मिलता है.
बिल्कुल सही सोचा लिखा है आपने
ReplyDeleteसत्य के ईश यूं ही नहीं हुआ करते
सक्सेस तो आपको मिलेगी अवश्य
ना ना करते हां हां सदा हुआ करती।
आपका लेख पढ़ा । पर जैसा आपने जिक्र लिया है वैसे तो शायद कोई ब्लागर होगा । पर हो सकता है किसी महानुभाव ने अपने अनुसार कुछ अभद्र लिखा हो । मेरे हिसाब से आप का लिखा लेख या कोई भी पोस्ट आपके बेहतरी के लिए कुछ कुछ लिखेगें ।ऐसा मेरा मानना हे । पर आप का भी कुछ न कुछ अनुभव होगा ।जो आपने यह लिखा है। हमारे समूह के लिए । अच्छा लगा
ReplyDeleteबहुत ही सुन्दर गजल और ज्यादा क्या कहूँ । अच्छा लगा पढ़कर
ReplyDeleteनेक लिख, ब्लॉग/कुँए में डाल!
ReplyDeleteमत सोच यहाँ क्या हाल,
मिले न मिले किसी से ताल,
खुद नेक तो बांका न बाल।
-मिनी शर्मा
bahut paripakva vichaar ! dhanyvaad
ReplyDeleteबड़े ही स्पष्ट तरीके से आपने अपनी बात रक्खी है ! आपकी
ReplyDeleteदो टूक शैली में कही गई गई बात से मैं पूरी तरह सहमत हूँ !
पर कहीं न कहीं उम्मीद का दामन भी थामे रहना है ! शायद
समय के साथ कुछ बदलाव अवश्य आयेगा ! इस सुंदर पोस्ट
के लिए आपको धन्यवाद !
शिव कुमार मिश्रा जी जैसे वरिष्ठ लेखक का यहाँ स्वागत है, उनके आने से मेरे लेख इस लेखन को सम्मान मिला है, आभारी हूँ !
ReplyDelete"आज आवश्यकता है कि आप नाज़ुक विषयों पर,प्रतिक्रिया देते समय,निष्पक्षता व ईमानदारी का ध्यान रखें"
ReplyDeleteआपके इस कथन से पूर्णतया सहमत हू.. मगर आज आवश्यकता इसकी भी है है कि आप
"नाज़ुक विषयों पर पोस्ट लिखते समय निष्पक्षता व ईमानदारी का ध्यान रखें... "
अच्छे लेखन पर मैने कभी बुरी टिप्पणिया नही देखी.. और बुरे लेखन पर अच्छी नही..
हालाँकि दो लोगो के विचारो में असमानता होना बहुत ही आम बात है.. लेकिन उसे अपने स्वाभिमान पर चोट नही समझना चाहिए.. अंतत यहा सभी ब्लॉगर है और अपनी बात कहने के लिए स्वतंत्र है..
Bandhu, blog dunia men bhi kuch shararati tatva honge. kabul men kya gadhe nahin hote? Parantu kuchh ke karan sab ke bare men dharna banana bhi theek nahi.Aapki yah baat sahi hai ki achha likhne wale aur achhe lekhkon se sampark badhane walon ko nirasha hoti hai, parantu lagta hai dheere dheere is sthiti men sudhar aayega. Kathit roop se jo jyada bade patrakar aur lekhak hain ve to yahi sochte hain ki unke lekhan par tippani karna dusaron ka farz hai aur ve kisi ke lekhan par pratikriya den vah unki tohin hai.isliye ve kewal likhte hain, pratikriya nahin dete. Baharhal bhai, aap to apna kaam karen, fal ki chinta na karen.
ReplyDeleteनेक लिख, ब्लॉग/कुँए में डाल!
ReplyDeleteमत सोच यहाँ क्या हाल,
मिले न मिले किसी से ताल,
खुद नेक तो बांका न बाल।
क्या बात कही है!! मिनी जी से पूरी तरह सहमत.
रहा सवाल अश्लील व भद्दी टिप्पणियों का तो इन्हें मॉडरेट किया जा सकता है बाकी बचा प्रति टिप्पणियों व प्रति पोस्टों का - तो सार्वजनिक जीवन में इसे झेलना ही होगा...नजरअंदाज करना सीखें... लोग थकहार कर खुद चुप हो जाएंगे या फिर कुछ सीख जाएंगे...
साहित्यकार की मौत दो तरह से होती है एक तब जब कोई विद्वान् उसके लेख को पढ़ या सुनकर, सराहना ना करे और चुप हो जाए =और दूसरी मौत तब होती है जब कोई नावाकिफ ,नाजानकार शेर सुनकर वाह वाह कर जाए या तारीफ कर जाए /
ReplyDeleteसाहित्यिक लेखन की वेहद कमी है !
ReplyDeletesatish ji
blog ek daairy haen koi saaitik patrika nahin
hindi blog agrgator par haen is liyae aap ko ek hi jagah dikh jaatey haen
kuch logo nae isko kavita , kehani ityadi kae prasaar prachaar kae liyae use kiya haen aur apni saahitik pratibha ko dikhaaya haen achcha haen kyuki unkae liyae yae print medium ka second or cheap { cost vise } option haen . ek kittab ko chhapaney mae paesaa aur samay dono lagtey haen
blog ka asli mazaa to apne man ki baat likh daene mae haen ek daairy ki tarah bina yae sochey ki log kyaa kahegae
par hindi bloging mae comment ko protsaahn mana jaata haen aur is liyae hindi bloging mae aap ko dairy kam milaegii
ek mamta ji ka blog haen jo is category mae sahii baethaa haen
यह निराशा और वितृष्णा भी एक आवश्यक दौर है, आता है और चला जाता है, यह सभी के साथ होता है, और जो मजबूती से टिका रहता है वही चलता है…
ReplyDeleteAap har aadmi ko khush nahi rakh sakte, Aur har aadmi ko parkar khush nahi ho sakte........yehi hai blog. Bus aap apna karya karte rahen,
ReplyDeleteआप परेशान न हो दुनियां में सभी तरह के लोग मिलेंगे. अपने को आगे बढाते रहें. कई बार अपने से विपरीत विचार भी सही होता है. अतः केवल प्रशंसा की कामना न करें और न ही किसी की तथ्यरहित प्रशंसा करें. टिप्पणी निडर होकर करनी चाहिये. आपने जो भी लिखा है संवेदन शील व्यक्ति यही अनुभव करता है.
ReplyDeleteअच्छा लेखन क्या है ये कह पाना बड़ा मुश्किल है ?..कभी रवि रतलामी जी ने एक पोस्ट पर लिखा था कि हर इंसान अपनी पोस्ट ठेलकर सोचता है कि देखो उसने कितनी महान पोस्ट ठेली है ?दरअसल ये आपकी अभिव्यक्ति का एक साधन मात्र है आपके विचारो का ,इसमे साहित्य कि समझ जरूरी नही !....लिखना पढ़ना केवल पत्रकारों का या सहितियिक लोगो का काम है...ऐसा नही है...एक अच्छा पाठक भी एक अच्छे लेखक के लिए किसी आलोचक से बड़ा होता है.....दूसरी सबसे जरुरी बात
ReplyDeleteआपके विचारो से जो असहमत हो उसे अपना दुश्मन मत मानिये जहाँ विचार होगे वो टकरायेंगे ही ,हाँ स्पष्टवादिता में नम्रता ओर शिष्टता का संतुलन होना जरुरी है
टिप्पणी मॉडरेशन सक्षम कर ही चुके हैं फ़िर कैसा कष्ट देखिये. :)
ReplyDeleteयदि आप हिन्दी में लिखते हैं तो अच्छी टिप्पणियाँ तो कम ही मिलेंगी, लेकिन अंग्रेज़ी लेखन आपको अधिक सफल बनाएगा. आप ख़ुद को अधिक संतुष्ट पायेंगे.
हिन्दी की जिस समस्या की ओर आप ने सभी का ध्यान खींचा है वह अभी लंबे समय तक बनी रहेगी.
अब गाँव में रह कर कहना कि धूल मुझे पसंद नहीं यह तो ग़लत ही होगा. :)
सतीश जी क्षमा बडन को चाहिए......यह बहुत पुराना सिद्धांत है। हर समाज में अच्छे-बुरे लोग होते है। हम अगर अपने विचार लोगों के सामने रख रहे है तो हमें अच्छी-बुरी कमेंट्स के लिए तैयार रहना चाहिए। और भाई बुद्धि से पैदल लोगों को भी लिखने का हक है। वे हर जगह लिखते है सिर्फ़ ब्लॉग पर नहीं। इश्वर उन्हें सद्बुद्धि दे बस यह दुआ कीजिए और अपने सार्थक लेखन से ब्लॉग-जगत को समृद्ध कीजिए । ढूंढेगे तो यहाँ भी कई मोटी मिल जायेगे।
ReplyDeleteसतीश जी, दिल छोटा मत किजिये, ओर मस्त होना सीखिये, यह दुनिया है, यहां सभी तरह के लोग भी है,आप अपना लिखे ओर जो यह अनामी टिपण्णी कार है, जो गालिया देते है आप इन को दिल मे मत रखे, क्यो कि जिस के पास जो है बही तो बांटेगा, आप इन्हे अनदेखा कर दे, जबाब ही मत दे, मस्त हो ओर दोबारा से हिम्मत से लिखे.
ReplyDeleteमे भी कोई सहित्य कार नही हिन्दी भी ठीक से नही लिख पाता , तो क्या लिखना छोड दुं मे किसी लालच से तो नही लिखता, बस दिल करता है सो लिख देता हुं, छोडो उन्हे जो दिल दुखाये, बस हंसना सीखॊ, ओर उन्हे देखो जो हजारो दुखॊ मे भी हंसते है ओर हंसाते हए
धन्यवाद
आपके विचार अच्छे लगे. हलाकि एक अच्छे लेखन के अपने गुण होते हैं, परन्तु सभी से अच्छे लेखन की आशा रखना ज्यादती होगी. इन्टरनेट पे आने वाले लोग बहुत विभिन्न व्यावसायिक पृष्टभूमि से आते हैं और जरुरी नही उन्हें पत्रकारिता का थोड़ा भी ज्ञान हो. अतः, जरुरी है प्रोत्साहन देना.
ReplyDeleteइन्टरनेट की बुनियाद ही मुक्त विचारो पर आधारित है, अतः उन्हें पनपना ज्यादा जरुरी है बनिस्पत अच्छे बुरे लेखन की स्टाइल के. अन्यथा ना तो विचार ही आ पाएंगे सामने और ना ही हिन्दी को फलने का मौका मिल पायेगा. ठीक उसी तरह से जैसे शुद्द हिन्दी सिर्फ़ किताबो मैं सिमट के रह गई है.
रही नियति की बात, किसी को निचा देखाने से कभी कोई महान नही बना है.
सही और संजीदा विचार..साथ हूँ आपके.
ReplyDeleteआपने जो लिखा है वो सच कहिये तो मेरे भी दिल की बात है...आज ब्लॉग में जो हो रहा है उसने हर हद पार कर दी है...शर्म आती है की लोग ऐसा कैसे कर सकते हैं...लेकिन हो रहा है..चर्चा पाने और ख़ुद पर लोगों को मत्वज्जा करने के लिए लोग गिर रहे हैं जो नही होना चाहिए...हर संस्था हर लाइन का कोई रूल होना चाहिए जिसे सबको फालो करना ही चाहिए...लेकिन बहुत ग़लत हो रहा है...अमर जी जैसे काबिल-ऐ-एहतराम बुजुर्ग और काबिल ब्लोगर तक को कुछ बीमार जेहन के लोग अपना निशाना बना लेते हैं तो हमारे और आप जैसों की क्या बात करें...लेकिन ये बंद होना ही चाहिए..
ReplyDeleteआपकी बात विचारने योग्य है.
ReplyDeleteफिर भी यही कहना चाहूँगा कि सभी तरह के लोग होतें है, लिहाजा जो लोग गलत लगें उन्हें नज़र अंदाज़ कर देना ठीक है
बिल्कुल सही कहा आपने! कंइ लेखक तो कमेन्ट करने में भी ब्लोगर का बायोडेटा देखते है यानी की उनकी उम्र या फ़ेमिली।पता नहिं अपने ब्लोग पर तो अपनी जो पहचान बताते है, या अपने बारे में बताते है सही होगा या नहिं ये ख़ूद उन्हें पता नहिं होता।अगर ब्लोगर ने अपने फेमिली का बायोडेटा दे दिया तो वह ब्लोग पर कमेन्ट करना तक़ छोड देते है उन्हें क्या समज़ा जाये?
ReplyDeleteअरे! हम ब्लोगर लोग अपने ख़यालात से ज़ूडे होते है ना कि फ़ेमिली से।
फ़िर ये ना इंसाफी क्यों?
सही वक़्त पर सही पोस्ट!!!
wajib sawal hain.
ReplyDeletelekin
apna to farz hai paigaam jahan tak pahunche.
hamari mansha aur mantavy yahi hona chahiye.