ब्लॉग लेखन एक ऐसी क्रांति है, जिसकी कुछ वर्षों पहले कल्पना भी नहीं की जा सकती थी ! इस प्लेटफार्म के आने से कितने ही प्रतिभाशाली लेखक, समाज में अपनी सफल उपस्थिति दर्ज कराने में कामयाब हुए हैं ! हिंदी जगत को, जो आसान रास्ता गूगल ने, अपने बलबूते पर, आसानी से उपलब्ध करा दिया शायद यह काम किसी भी व्यवस्था के लिए एक बेहद कठिन और दुष्कर रास्ता साबित होता ! कम से कम मैं गूगल का आभारी हूँ कि इसके जरिये न केवल अपनी अभिव्यक्तियों को साकार कर सका अपितु बहुत सारे बेहतरीन लोगों के सामने, अपने आपको पेश कर सकने में भी कामयाब हुआ !
लेखन अमर होता है ! एक बार लिखे गए शब्द, सुदूर क्षेत्रों में भी आज आसानी से पढ़े जाने के लिए उपलब्द्ध हैं और कालांतर में, स्मृतियों में जीवित रहते हुए पीढ़ियों यात्रा करने में सक्षम हैं !पाठक समूह रूचि, बुद्धि और परम्परा अनुसार अपने अपने अर्थ लगाकार इन्हें अपनी स्मृतियों में सहेजे रहते हैं !
किसी भी लेखक को ,अपने श्रद्धालु पाठक से अपार सम्मान पाना, कोई चौंकाने वाली बात नहीं है और हमारे परिवेश में, जहाँ अक्षरों को विद्या मानते हुए पूजा जाता है वहां लेखक को मार्गदर्शक के रूप में स्वीकार करना कोई असाधारण बात नहीं है ! अधिकतर साधारण मगर बेईमान लेखक अपने पाठकों की श्रद्धा की बदौलत , आसमान को शिक्षा देते देखे जाते हैं ! अफ़सोस है कि प्रभावित श्रद्धालु , अपनी निश्छल श्रद्धा के कारण, अपने परिवार तक को हमेशा के लिए , इन चालाक शिकारियों का शिष्य बना देता है ! इस समय देश में ऐसे गुरुओं की कोई कमी नहीं है !
देश और समाज के प्रति प्रतिबद्धता को याद रखते हुए लिखे गए ईमानदार लेखन का लोग सम्मान करते हैं, यदि इस प्रकार के लेखन में व्यक्तिगत राजनैतिक प्रतिबद्धता को अलग रखा जाये , तो लेखक के विचार, पाठकों के ह्रदय को छू लेने में, अक्सर कामयाब होते हैं !
समाज के लिए अहितकर एवं खराब लिखते समय हमें याद रखना चाहिए कि हमारे यह लेख, एक दिन हमारे बच्चे और परिवार जन भी पढेंगे और तात्कालिक जोश में लिखे गए, कुछ लेख ही, हमारे व्यक्तित्व का विस्तृत परिचय देने के लिए काफी होते हैं !
आइये इसी परिप्रेक्ष्य में पंकज उधास की एक ग़ज़ल सुने , विडियो यू टयूब से साभार !
तुझे देखकर सब मुझे जान लेंगे ....
अनुरोध : आपके आने का आभार ...आगे से, मेरे गीत पर कमेन्ट न करने का अनुरोध है , आशा है मान रखेंगे !
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